July 27, 2024

अरे बिष्ट जी, आपका घेस तो रही गया -ऐसा क्यों कहा निवर्तमान मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने

0
शेयर करें
अरे बिष्ट जी, आपका घेस तो रही गया 

electronics


मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सेवानिवृत्त हो रहे हैं  तो  उनको मिलने वरिष्ठ पत्रकार अर्जून सिंह बिष्ट उनको मिलने गए तो उनके मुंह से अचानक निकला की अरे बिष्ट जी आपका घेस तो रही गया की बार वह घेस जाने की इच्छा व्यक्त कर चूके थे।
मुख्य सचिव के प्रतिष्ठित पद से उत्पल कुमार सिंह आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 
पिछले कई वर्षों से उनसे मिलने का सौभाग्य मिलता रहा है, इसलिए आज तो मिलना ही था। उनका स्टाफ व्यस्तता बता कर मिलवाने से बच रहा था तो थोड़ा सा लहजे में सख्ती भी लानी पड़ी। मुझे कहना पड़ा कार्ड देकर आओ, मिलना है या नहीं चीफ सेक्रेटरी साहब तय करेंगे, आप नहीं। तब जाकर चपरासी मेरा विजिटिंग कार्ड भीतर दे आया। करीब पांच सात मिनट बाद जैसे ही भीतर बैठे अफसर बाहर निकले तो हमारा बुलावा भी आ गया। 
अंदर पहुंच कर सामान्य अभिवादन के साथ उन्होंने कहा अरे, बिष्ट जी आपका घेस तो रही गया। कितनी बार जाने की सोची मगर…. चलो अब देखते हैं। खूब सारी बातें भी हुई। बहुत अपनेपन में उन्होंने काफी कुछ शेयर भी किया। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे देहरादून में ही रहने जा रहे हैं। इसलिए उनका स्नेह व मार्गदर्शन मिलता रहेगा। उनकी सरलता की बानगी देखिए। मैंने कहा, सर एक फोटो ले लूं, तो बोले। अरे आइए न। बहुत सहजता के साथ उन्होंने फोटो खींची। 
उत्पल कुमार सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के उन चुनिंदा अफसरों में से हैं जिन्होंने कोयले की खान के भीतर से भी खुद को बेदाग निकालने में कामयाबी पायी। शायद यही कारण है कि शासन, प्रशासन ही नहीं आम जनता व राजनीतिज्ञों के मन में भी उनके लिए बहुत सम्मान है। 
प्रशासनिक सेवा में आने के बाद भी उन्होंने ट्रैकिंग के अपने शौक के लिए समय समय पर समय निकाला। उन्होंने खुद मुझे बताया था कि वे करीब 35 साल पहले रूपकुंड की ट्रैकिंग करके आये थे। रूट की चर्चा करते हुए उन्होंने घेस की भौगोलिक स्थिति को समझा था। वो बहुत उत्साहित भी थे कि घेस और बगजी बुग्याल जाना है। मेरी भी हार्दिक इच्छा थी कि वे मुख्य सचिव रहते हुए घेस आयें। यह तो नहीं हो सका, लेकिन वे आएंगे ऐसा उन्होंने आज सेवानिवृत्ति से ठीक पहले मुझसे वादा किया। वे स्वस्थ और दीर्घायु रहें यही कामना है। 
————————
नीचे की पंक्तियां पत्रकार साथी शीशपाल गुसाईं की पोस्ट से ली हैं। ताकि उत्पल जी के बारे में कुछ और जानकारी शेयर कर सकूं। —

उनके खाते हैं चोटियां चढ़ने का इतिहास है। 
गंगोत्री – कालन्दी- बद्रीनाथ ट्रैक 110 किलोमीटर विश्व का उच्च तम ट्रैक है। इसमें 80 किलोमीटर में बर्फ रहती है। यहाँ से कम लोग 
लौटते हैं, लेकिन वे मिशन पूरा कर लौटे।

उन्होंने विश्व का उच्चतम हिमालयी ट्रैक 110 किलोमीटर दूरी तय की है ।  उत्पल कुमार सिंह के इतिहास पर थोड़ा सा ध्यान गया तो पाया कि, वे बड़े वाले ट्रैकर हैं।वे जब पहाड़ चढ़ते हैं तो अपने से 20 वर्ष से कम उम्र के अफसरों को पीछे छोड़ देते हैं। 

गंगोत्री – कालन्दी- बद्रीनाथ ट्रैक 110 किलोमीटर विश्व का उच्च तम ट्रैक है। इसमें 80 किलोमीटर में बर्फ रहती है। इसलिए यह जोखिम भरा है। उत्पल कुमार सिंह ने 2003 में गंगोत्री से चढ़ कर 
 करीब 15 दिन में इतिहास बनाया है। जो सीनियर आईएएस के लिए बहुत बड़ी बात है। इसे कालन्दी ट्रैक कहते हैं और यह ऊपर ही ऊपर उत्तरकाशी- टिहरी – रुद्रप्रयाग से चमोली जिले के माना में निकलता है। इस ट्रैक पर 2008 में 8  ट्रैकरों की मौत की बड़ी घटना हुई थी। यानी यह एवरेस्ट जैसे ही जोखिम भरा होगा। कालन्दी की ऊंचाई 6000 मीटर के करीब है। गंगोत्री से इसकी शुरुआत होती है। 

29 अप्रैल 2018 को उत्पल जी पहले मुख्यसचिव बने जिन्होंने तीसरी बार तपोवन तक की चढ़ाई की। और वहाँ अमर गंगा में 15 मिंट का ध्यान किया। और वापस गंगोत्री लौट आये। 29 को वह भोज वासा में रुके थे। 30 की सुबह को वह भोजवासा से गौमुख वहाँ से 5 किलोमीटर आगे तपोवन गए थे। इससे पहले वे 1996 में 
2002 में तपोवन गए थे। तपोवन मतलब तप का स्थान

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

रैबार पहाड़ की खबरों मा आप कु स्वागत च !

X