एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी में भूगोल विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे फेकल्टी प्रोग्राम में देश विदेश के विशेषज्ञ ले रहे हैं भाग

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*हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की भूगोल विभाग द्वारा आयोजित किया  जा रहे  फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम मैं देश विदेश की विषय विशेषज्ञ  ले रहे हैं भाग* 




 *शिक्षकों तथा छात्रों को मिल रहा है उनके अनुभवों का लाभ* 
 *विभिन्न तकनीकी सत्रों में शुद्ध तकनीकयों के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयरों के गुर सिखाए जा रहे हैं प्रोग्राम में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को*




हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की भूगोल विभाग द्वारा सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ओपन सोर्स क्यू जी आई एस पर 21 जुलाई से आयोजित किया जा रहा है जिसमें इस देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं उसे फैकल्टी तथा शोध छात्र भाग ले रहे हैं. अभी तक 15 तकनीकी सत्र आयोजित किए जा चुके हैं जिनमें प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गई साथ ही विभिन्न सॉफ्टवेयर की जानकारी के साथ ही उनकी प्रयोगात्मक कार्य भी संपन्न करवाए गए. प्रथम सत्र सुबह 9:30 बजे से अंतिम सत्र शायं  6:00 बजे तक प्रतिदिन चलने वाले इन सत्रों में प्रतिभागियों को कई नई जानकारियां प्राप्त हो रही हैं. दूसरे दिन संचालित सत्र के चेयरमैन प्रोफेसर वाईपी रेवानी डीन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग तथा को चेयरमैन डॉ नरेश राणा असिस्टेंट प्रोफेसर रूरल टेक्नोलॉजी विभाग थे. इस अवसर पर प्रोफेसर रेवानी ने कहा जीआईएस का सभी क्षेत्रों में बढ़ रहा है नियोजन तथा प्रबंधन में इसका महत्व दिनों दिन बढ़ रहा है डॉ नरेश राणा इन सॉफ्टवेयर की सहायता से जहां समय की बचत होती है वहीं इससे शुद्धता भी अधिक रहती है. दिल्ली विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर जो इस कार्यक्रम में कोऑर्डिनेटर भी है ने इस सत्र में राष्ट्र इमेज वेक्टर इमेज जियोरेफेंसिंग तकनीकी पहलुओं को समझाया. इसी सत्र में शहीद भगत सिंह कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर पूनम शर्मा ने क्यू  जी आई एस सॉफ्टवेयर, पालीगोन, विभिन्न सूचनाओं को लीवर के माध्यम से व्यक्त करना तथा एयर को कैसे सही किया जाता है उस को विस्तार से समझाया. अगले सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर एमएस पवार भूगोल विभाग गढ़वाल विद्यालय को चेयरमैन के रूप में डॉक्टर वी एस नेगी दिल्ली विश्वविद्यालय थे. प्रोफेसर पवार ने कहा  भौगोलिक सूचना तंत्र की उपयोगिता आज विभिन्न क्षेत्रों में है इससे किसी विषय को समझने तथा विश्लेषण करने मैं सरलता होती है. दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ बीएस नेगी ने कहा जी आई एस सॉफ्टवेयर की सहायता से  दूरस्थ की क्षेत्रों से आंकड़ों को एकत्रित करना एवं विश्लेषण करना आसान हो गया है. इस सत्र के विषय विशेषज्ञ डॉ दलजीत ने पोली से मैप एडिटिंग अलग-अलग लेयर सेव फाइल जियो रेप्रेनसिंग के  प्रयोगात्मक कार्य करवाएं. अगले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रमुख भूगोल देता प्रोफेसर एस सी कलवार पूर्व विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर तथा सह अध्यक्षता डॉ आर बी गोदियाल भूगोल विभाग गढ़वाल विश्वविद्यालय टिहरी परिसर ने की. इस अवसर पर प्रोफेसर कलवार ने सैटेलाइट इमेज फिजियोग्राफी लैंड यूज़ फीचर का गैस के उपयोग से अध्ययन आसान हो गया है डिजिटल लाइब्रेरी का प्रचलन तेजी से हो रहा है. जीआईएस सूक्ष्म अध्ययन के लिए काफी उपयोगी है. इस अवसर पर डॉ गोदियाल ने वर्तमान कोविड- पेनडमिक मैं इस सॉफ्टवेयर का काफी उपयोग किया गया है. इस तकनीकी सत्र के विषय विशेषज्ञ डॉक्टर सुरती कंगना द्वारा हिमालय के वनों में आग  के  प्रभाव के अध्ययन में जी आई एस  तकनीकी बहुत ही कारगर सिद्ध होती है. आग से नुकसान का आकलन तथा संवेदनशील क्षेत्रों की तत्काल पहचान की जानी संभव हुई है. इसी सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ अतुल कुमार जो गढ़वाल विश्वविद्यालय के पौड़ी परिसर के  भूगोल विभाग में कार्यरत हैं, ने जीआईएस सॉफ्टवेयर,  आंकड़ों के स्रोत विक्टर व राष्ट्रर  इमेज पर अपना बहुत ही महत्वपूर्ण प्रस्तुतीकरण दिया. दसवीं तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर बीपी नैथानी भूगोल विभाग गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर तथा सह अध्यक्षता डॉ एसपी सती एसोसिएट प्रोफेसर उद्यान एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार पर्यावरण विज्ञान विभाग ने  की. अवसर पर प्रोफेसर नैथानी ने कहा जी आई एस आज हर विषय का प्रमुख भाग बन गया है सामाजिक वानिकी तथा आपदा प्रबंधन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. डॉक्टर सती ने प्रोफेसर महावीर सिंह नेगी विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग गढ़वाल विश्वविद्यालय जो इस कार्यक्रम के संयोजक भी है, उनके  द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को आयोजित कराना तथा उसमें बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिभागियों का भाग लेना वह देश के प्रतिष्ठित हे विशेषज्ञ के रूप में तकनीकी सत्र में अपनी सेवाएं देना इस कार्यक्रम की महत्ता को सिद्ध करता है. निश्चित रूप से यह कार्यक्रम इसमें भाग लेने वाले फैकल्टी तथा शोध छात्रों के लिए सिद्ध होगा. राजस्थान में कोविड-19 अध्ययन में जीआईएस का जिस तरह से उपयोग किया गया है वह अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुए हैं. फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अगले सत्र की अध्यक्षता रोहतक विश्वविद्यालय भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एसके बंसल तथा सह-अध्यक्षता राजकीय महाविद्यालय नरेंद्र नगर के  पर्यटन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर संजय मेहर ने की. इस अवसर पर प्रोफेसर बंसल ने कहा जीआईएस मुख्य था यह एक आंकड़ा स्रोत है यह निर्णय लेने की क्षमता में सहायता करता है बिना देखे किसी विषय वस्तु का अनुमान, आकार रंग फ्रेम आदि के आधार पर सही जानकारी का अनुमान लगाना जीआईएस है तथा क्यू जीआईएस सॉफ्टवेयर की मदद से सही स्थिति विस्तार पूर्वक जानने मैं मदद करता है. डॉक्टर मेहरा ने कहां पर्यटन के क्षेत्र में इस सॉफ्टवेयर का बहुत अधिक महत्व है विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों की इसकी सहायता से कोडिंग में सहायता मिलती है. तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका से डॉ विनीता सीहोटा जो वहां की एक प्रमुख अधिकारी भी हैं ने बाल्टीमोर शहर में सड़क जाल के प्रबंधन में इन सॉफ्टवेयर की भूमिका को विस्तार से बताया. ट्रैफिक कंट्रोल मी इसकी कितनी कारगर भूमिका है उस पर अपना महत्वपूर्ण प्रस्तुतीकरण दिया. इन सॉफ्टवेयर की सहायता से विभिन्न सूचनाओं का विश्लेषण करना तथा उन्हें जनता तक उपलब्ध कराना जिससे यातायात की समस्या को रोका जा सके. आज के प्रथम सत्र की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय में भूगोल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर जगबीर सिंह तथा सह  अध्यक्षता गढ़वाल विश्वविद्यालय केफार्मास्टिकल साइंस पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ विजय कुमार ने की. इस अवसर पर डॉ जगबीर ने कहा विभिन्न सॉफ्टवेयर ने लोगों की जिंदगी को आसान बना दिया है. हर क्षेत्र में इसका उपयोग किया जा रहा है. डॉ विजय कुमार ने मेडिकल क्षेत्र में जी आई एस की भूमिका कितनी कारगर सिद्ध हो रही है इस पर विस्तार से अपने विचार रखे. कोविड-19 मैं विभिन्न देशों ने भिन्न-भिन्न तरीके से इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया. इस सत्र के विषय विशेषज्ञ दिल्ली  वि वि में शिछक वैशाली  शर्मा व चेतन होड्डा  ने रिसर्च मेथाडोलॉजी रिसर्च पेपर राइटिंग पर विस्तार से अपना प्रस्तुतीकरण दिया. आज के दिन के अंतिम सत्र अध्यक्षता की प्रमुख भूगोलवेत्ता चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष सिमरत कलहन तथा सह अध्यक्षता भूगोल विभाग पौड़ी मैं प्रोफेसर अनीता रुडोला ने  की. प्रोफेसर सिमरत ने इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में जिओ स्पेशल टेक्नोलॉजी का तथा सामाजिक क्षेत्र में बहुत अधिक महत्व बढ़ता जा रहा है. शोध छात्रों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण साधन हो गया है जिसे हम कम समय कम लागत मैं सही अध्ययन कर पा रहे हैं. प्रोफेसर  रूडोला ने विभाग द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी दी. इस सत्र के विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर बी देशमुख इंदिरा गाँधी  मुक्त  वि  वि ने  महाराष्ट्र का लैंड सेट इमेज को भूगोल सूचना तंत्र क्वांटम जीआईएस के माध्यम से मानचित्रण किया राष्ट्र डेटा का तुलनात्मक अध्ययन कर पुरानी राष्ट्र इमेज और नई राष्ट्र इमेज की तुलना कर होने वाले भौगोलिक परिवर्तन से अवगत कराया नदी उसके आसपास के क्षेत्रों प्रकार का परिवर्तन कर रही है क्वांटम जीआईएस के माध्यम से इसे आसानी से तुम बहुत ही शुद्धता से इस कार्य को किया जा सकता है, से अवगत कराया. हमें भौतिक नगरीय बंद जिस किसी बदलाव का अध्ययन करना है उसके लिए जीआईएस तथा क्वांटम जीआईएस बहुत ही उपयोगी सॉफ्टवेयर है.
प्रोफ़ेसर महावीर सिंह नेगी विभागाध्यक्ष भूगोल हेमंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जो इस सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के संयोजक भी हैं प्रत्येक सत्र में चेयरमैन को-चेयरमैन, के साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों से विषय विशेषज्ञों का धन्यवाद किया. तथा इस अवसर पर उन्होंने कहा पेनडमिक  के इस दौर में ऑनलाइन ही एक ऐसा माध्यम था जिससे जहां लगातार छात्र-छात्राओं का अध्यापन कार्य नया जाना संभव हुआ है वही छात्रों से छात्रों शिक्षकों को नई-नई तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराना वह आने वाले समय के लिए उन्हें तैयार करना इस फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम आयोजित करने का मुख्य मकसद था. इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल का आभार व्यक्त किया इसके साथ ही विभाग के सभी शिक्षकों पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एम एस एस रावत डीन स्कूल ऑफ अर्थ साइंस आर एस पवार आयोजन समिति के पदाधिकारी प्रोफेसर एमएस पवार प्रोफेसर बीपी नैथानी डॉक्टर एल पी ल खेड़ा डॉ राजेश भट्ट डॉ अतुल कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के  डॉ दलजीत सिंह जो मुख्य ट्रेनर एवं ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर भी है, सरदारशहर चुरु राजस्थान की डॉक्टर सुनील जो इस कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर हैं के साथ ही डॉ मनोज हिमांशु ग्रोवर, इस कार्यक्रम का संचालन कर रही शोध छात्रा नेहा चौहान, तथा तकनीकी सहयोग कर रहे छात्र मोहम्मद असलम व विकास रावत के साथ ही विभागीय सहयोगी डॉक्टर जे एस कठेत, जी पी सेमवाल का आभार व्यक्त किया.

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