July 27, 2024

जब भी गीत बजेगा गढ़वाली तब नाचेगी उत्तराखण्ड की गुड़िया जुन्याली-पूरी खबर वीडियो के साथ देखिए

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जब भी गीत बजेगा गढ़वाली तब नाचेगी उत्तराखण्ड की गुड़िया  जुन्याली

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पहली म्यूजिकल गुड़िया बनी उत्तराखण्ड की 

 

दीपक कैन्तुरा

  •       आत्मनिर्भर भारत के लिए सहरानीय पहल

   ( देखिए वीडियो में दीप नेगी ने क्या कहा)

 

” जुन्याली गुडीया ” की मुख्य विशेषताएं: –

  •        अच्छी लचीली गुणवत्ता के कारण गुड़िया की मुद्रा ( सिरहाथ) को बदला जा सकता है।
  •         इसमें 7- प्रसिद्ध पहाड़ी गीतों((गढ़वालीकुमाउनी) की श्रृंखला हैजो की  60-सेकेंड तक चलते हैं और फिर से शुरू से बजते हैं ।
  •          गुड़िया इन पहाड़ी गानो पर नृत्य भी करती है |
  •       नृत्य ऑप्शन को अगर लॉक लिया जाय तो गुड़िया सिर्फ पहाड़ी गीत गाती है |
  •        इसमें रंगीन-चमकदार पंख हैं जो की अँधेरे में चमकते हैं |
  •         इसमें निचले हिस्से में चमकती लाइट हैं जो अँधेरे में चमकती हैं | 
  •       इसकी आँखे 3D हैं जो की वास्तविक लगती हैं |
  •         कानो में छिद्र हैं जिन्हे इसे खरीदने वाला कान की बालियाझुमके आदि से सजा सकता है |
  •         लचीली गुणवत्ता होने से नाक पर भी नथुली या नोज़रिंग पहनाई जा सकती है      लचीली गुणवत्ता होने के कारण अगर गुड़िया बच्चो के हाथ से गिरती भी है तभी भी जल्दी से टूटने फूटने वाली नहीं हैं ।
  •       जुन्याळी कि लम्बाई एक फ़िट है जिस कारण इसे सजाने के लिये भी उपयोग किया जा सकता है।
  • 7300758707 अधिक जानकारी के लिए दीप नेगी से आप वटसप पर संपर्क कर सकते हैं


 

 

 

रंत रैबार- उत्तराखण्ड के लोगों की कामयाबी और हुनर  डंका  का दुनिया में बज रहा है , चाहिए क्षेत्र कोई भी हो उत्तराखण्ड़ी बुलंदियों पर है और वह चाहिए कहीं भी हो उनका दिल उत्तराखण्ड के लिए धड़कता है। और आज उत्तराखण्ड को दुनिया सलाम करती है कुछ एसा कर दिखाया टिहरी से तालुक रखने वाले ये तीन और साथियों ने  दीप नेगी और उनके साथियों ने दीप नेगी गीतकार लेखक कवि हैं और वर्तमान समय में दुबई में मेड़िकल लाइन में काम करते है । दीप नेगी हमेशा अपनी बोली भाषा और अपनी जड़ो से गहरा लगाव रखने वाले दीप नेगी का दिल हमेशा उत्तराखण्ड के लिए धड़कता है। और इसी का परिणाम है की उनहोंने अपने तीन साथियों के साथ  उत्तराखंड की पहली म्यूज़िकल डांसिग गुडिया बनाई यह गुड़िया केवल उत्तराखण्ड के गीतों पर ड़ांस ही नहीं करती बल्कि इसका पहनावे में हमारी उत्तराखण्ड की संस्कृति बसती है । दीप नेगी बताते हैं कि। जब मैं दुबई मे दोस्त की बेटी जन्मदिन की पार्टी मे गया थाकाफ़ी लोग उपहार में बहुत से खिलोने लायेकिसी में अंग्रेजी  गाने बज रहे थे किसी मे अरबी गाने। एक पहाड प्रेमी होने के नाते मैं उन सब में पहाड ढूंढने लगासोचा काश कोइ मेरे पहाड का खिलोना भी होताजिसमे पहाडी -गढवाली गाने बजते और वो पहाड का प्रतिनिधित्व करता। बस वंही से सोचा कि क्या ये मैं खुद नहीं कर सकता?





क्या किसी गुडिया को जो पहाड की नारी (जिन्होंने पहाड को बनाया है)गीत संगीत वेश-भूषा आदि को दर्शाये।

ये बात मैने अपने परम मित्रों अक्की अधिकारी एवं पंकज अधिकारी से साझा करी और फ़िर हम तीन इसमें शामिल हो गये । रिसर्च का काम शुरु हुवा । सोचा कि क्यों ना अपनी एक कंपनी (स्टार्ट-अप) शुरु किया जाय और उसका पहला प्रोड्क्ट जुन्याली को बाजार में उतारा जाय। “फ्योंली एन्ड पाइन्स – जर्नी टुवर्ड्स द हिल्स” LLP अधिनियम, 2008 की धारा 23 (4) के अनुसार पंजीकृत हैं। कंपनी का लक्ष्य कृषिखिलोने अनाज कपडे टूरिज्म संबंधित उत्पादों का निर्माण करना या बेचना है। कंपनी का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर अपने प्रोडक्ट्स को बेचने का है।


                           (ऐसे नाचती है जुन्याली)

हमारी रिसर्च पर एक से डेढ साल बीत गयाबहुत सारी चीजें जो पता नहीं थी धीरे-धीरे समझ में आयी । गुडीया के लिये पहाडी लूक वाले बहुत सारे सैंपल देखे लेकिन बाद मे एक अच्छी लूक एवं गुण्वत्ता वाली गुडिया का कच्चा माल फ़ाइनल हुवा। कच्चा माल बाहर से मंगाने की बादइसको जोड कर दिल्ही एवं उत्तराखंड में तैयार किया गया। इसकी वेश-भूषासंगीत का चयननाम आदि हम तीनों मित्रों ने मिलकर पूरा किया और औऱ उत्तराखण्ड की संस्कृति का बच्चों के मन मे बीज बोले वाली जुन्याली गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी के कर कमलों से अक्तूबर  २०१९ को देहरादून में लॉन्च किया गया ।



 

और इस तरह से जन्म हुवा “जुन्याली” – पहाड़ की पहली म्यूजिकल डॉल का। “जुन्याली” जो की अपने नाम के साथ-साथ अपनी वेश-भूषा और गीत-संगीत से भी पूरी तरह उत्तराखंडी है। यह केवल एक खिलौना मात्र नहीं है बल्कि कई अभिभावकों का सपना है कि वो अपने बच्चों से हमारी समृद्ध सांस्कृतिक भाषा को बोलते हुवे सुनें या कम से कम उन्हें इसकी जानकारी हो । इसीलिए हमने अपने बच्चों के लिए इस संगीतमय गुड़िया का सपना देखा ताकि उनकी छोटी उम्र से ही वो हमारी संस्कृति और भाषा  के प्रति रुचि भी लें और वो इनकी ओर आकर्षित भी हों।




यह उत्पाद न केवल रचनात्मकता का एक उदाहरण हैबल्कि सांस्कृतिक जागरूकता लाने और खिलौने की मदद से बाल-मन को शिक्षित करने के हमारे इरादे को भी प्रदर्शित करता है।  कंपनी और जुन्यली को लांच करने के बाद हमें व्यक्तिगत रूप से पूरे उत्तराखंड का सहयोग मिल रहा है। सबसे अच्छी बात ये है की जुन्याली छोटे बच्चो के अलावा बड़े लोगो को भी बहुत पसंद आ रही है। हर कोई जुन्याली को या तो अपने घर में रखना चाहता है या उपहार स्वरुप अपने दोस्तों पारिवारिक मित्रो को भेंट करना चाहता है।





 मुख्यमंत्री माननीय  त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने भी जुन्याली को बहुत पसंद किया और इस स्टार्टअप की सराहना की। जुन्याली हमारे अपने लोगो तक तो पहुँच रही है लेकिन उत्तराखंड की इस संस्कृति को “जुन्याली” के जरिये पूरे विश्व में पहुँचाने के लिए हमें लोगों के साथ-साथ सरकार से भी सहयोग की अपेक्षा है।

 

हम (Phyonli & Pines ) ने रिवर्स माइग्रेशन का लक्ष्य रखा है और  कम्पनी की मूल पंक्तिया भी यही कहती हैं की – “पहाड़ो की ओर यात्रा ” इसिलिये इस वक्त कंपनी से जुडे अधिक्तर  लोग उत्तराखंड से काम कर रहे हैं । उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि हम खुद के साथ-साथ अपने पहाड के लोगों को भी काम दें या कम से कम एक कोशिश तो करें । कंपनी का  एक आफ़िस उत्तराखंड – टिहरी एवं एक दिल्ली  में है है जो की रिवर्स माइग्रेशन के लिए हमारी सोच को धरातल पर लाने का पहला कदम है । “फ्योंली एन्ड पाइन्स” कंपनी जुन्याली को आप लोगों तक पहुचाने वाली कंपनी है जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई युवा जुड़े है । अभी जुन्याली का परिचय पूरे उत्तराखंड में केवल 10 % लोगों में कम्पनी लक्ष्य 100% उत्तराखण्ड के लोगों तक पहुंचने का है । जब जुन्याली हर घर की पहचान बनेगी स्वभाविक है उस समय जुन्याली बनाने वालों की माँग भी बढ़ेगी जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे इस प्रकार पलायन करती संस्कृति के साथ साथ रोजगार के लिए पलायन करने वालों को उत्तराखण्ड में रोजगार के अवसर मिलेंगे हमारा उद्देश्य है कि उत्तराखंड में खिलोनो में “जुन्याली” एक ब्रांड हो जैसे की बार्बी डॉल आज पूरे विश्व पटल पर छाई है ।

बहुत जल्द हम कंपनी के बाकि प्रोड्क्ट को भी बाजारों में उतारेंगे।

 



 

दीप नेगीपंकज अधिकारी और अक्की अधिकारी हम तीनों ने एक  प्रयास व गहन रिसर्च कर जुन्याली आप सब के सामने लाने का एक प्रयास किया । मैं दीप नेगी टिहरी गढ़वाल के जुवा पट्टी के सुनार गावँ का हूं और  वर्तमान में दुबई में हेल्थकेयर कम्पनी में लर्निंग स्पेश्लिस्ट के पद पर कार्यरत हूं वंही पंकज  एवं अक्की अधिकारी जुवा पट्टी के अलेरू गाँव के है जो वर्तमान में गुड़गांव में प्राइवेट कंपनी में अच्छे पदों में कार्यरत है ।



 

पहाड की नारी ,पहाड के सन्गीत पहाड कि संस्क्रितिपहाड की वेश-भूषा का प्रतिनिधित्व करती हैआज के इस डिजिटल युग में हमारे बच्चेपहाड के पांरपरिक खेलों को भूल से गये हैं। चुला-भांडीगुड्डा-गुड्डियापिठु,राज और ना जाने कौन-कौन से खेल आज कहीं खो गये हैं । अभी तक मिली प्रतिक्रियाओं के अनुसार जुन्याळी बच्चों के साथ-साथ बडो को भी बहुत पंसद आ रही हैऔर उसका कारण है जुन्याळी की हाथों से बनी पांरपरिक उत्तराखंडी वेश-भूषा एंवम इसका बडा आकार। जुन्याळी  एक फ़िट लंबी गुडिया है।

 

जुन्याळी को हर एक पहाडी अलग अलग तरिकों से उप्योग कर सकता है । जुन्याळी बच्चों के लिये किसी भी पर्व में एक अच्छा उपहार हो सकती हैबडे लोगों के लिये उनके आफ़िस मे सजाने के लिये काम आ सकती है आपके ड्राईंग रूम की सजावाट में चार चांद लगा सकती हैकोइ भी उत्तराखंडी सरकारी और गैर सरकारी संस्थायें जब कोइ भी प्रतियोगिता कराती हैं तो इनाम के तौर पर जुन्याळी एक अच्छा विकल्प हो सकती हैजुन्याळी आपके आफ़िस केहोटल केरेस्टोरेन्ट आदि के रिसेप्शन पर उत्तराखंड की संस्क्रिति के सूक्ष्म रूप का प्रतिनिधित्व कर सकती है ।

 

जुन्याली की पारंपरिक पोशाक में घाघरागुलाबंद पिछोड़ाटाल्खाकोटिपहाड़ी टोपीघिल्डा टोकरी आदि  शामिल हैं और भविष्य में भी हम इसमें बाकि चीज़ों को जोडते रहेंगे।

 

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