जिस गांव के हर घर से निकलता देश की सेवा के लिए जवान-वह लुठियाग गांव आज भी रोड़ के लिए परेशान

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 सड़क न होने के कारण लुठियाग गांव हुआ खाली

  • आज भी अचानक किसी की तबियत खराब होती तो कुर्सी के सहारे पहुंचाया जाता अस्पताल
  • कई लोगों की जा चूकी जान
  • तीन लोकों में बंटा है लुठियाग,चिरबटिया,खल्वा
  • रोड़ नही बनने पर आने वाले चुनाव का  करेंगे वहिष्कार
  • हर घर में जहां जवान वह गांव आज भी सड़क के लिए परेशान


रुद्रप्रयाग:  रुद्रप्रयाग जनपद के विकासखंड जखोली में स्थित लुठियाग गांव के युवाओं में देश के प्रति जज्बे को पूरा राज्य सहित देश सलाम करता है क्योंकि गांव के युवाओं में देश के प्रति समर्पित की भावना पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।


गांव के हर घर में कोई न कोई भारतीय फ़ौज़, अर्द्धसैनिक बल, पुलिस फ़ोर्स में रहकर देश सेवा कर रहा है। इस गांव का इतिहास ही देश सेवा को समर्पित रहा है प्रथम विश्व युद्ध में गांव के दो सगे भाईयों रतन सिंह कैंतुरा व देव सिंह कैंतुरा ने हिस्सा लेकर वीरगति प्राप्त की, जिनकी वीरता के लिए दोनों भाईयों का नाम इंडिया गेट दिल्ली में अंकित है इसके अलावा दिल सिंह आजाद हिंद फौज का हिस्सा रहे हैं।


देश की आजादी के बाद 1962, 1971, 1975 का युद्ध हो या 1999 के कारगिल युद्ध में भी गांव के वीर सपूतों ने भी अपना पराक्रम दिखाया।


लुठियाग गांव के 14वीं राष्ट्रीय राइफल के लांस नायक मुरारी सिंह कैंतुरा का पराक्रम व शौर्य किसी पहचान का मोहताज नहीं है जो जून 2000 को आतंकवादियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। वर्तमान में शहीद मुरारी कैंतुरा का बड़ा बेटा भी सेना में रहकर देश की सेवा कर रहा है।


देश को समर्पित इस गांव का दुर्भाग्य है कि सालों से गांववासी गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क की मांग कर रहें हैं पर सालों से ग्रामवासियों को मिल रहा है तो सिर्फ आश्वाशन।


जय नागेला देवता सामाजिक समिति के अध्यक्ष प्रदीप कैंतुरा का कहना है कि “गांववासी सालों से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं।


चुनाव में जनप्रतिनिधि आश्वाशन तो देते हैं परंतु सड़क का कार्य कभी भी शुरू नहीं हुआ। अगर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गांव में सड़क नहीं आई तो समस्त ग्रामवासी चुनाव का बहिष्कार करेंगे”


जिस गांव की जनता देशभक्ति से इतनी ओतप्रोत हो उसी गांव की ऐसी अनदेखी से ग्रामवासी काफी निराश भी हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि “गांव के लोग वक़्त वक़्त पर शासन प्रशासन को सड़क बनवाने के प्रति अवगत करवाते रहे हैं।


गांववासियों को मुख्य सड़क में आने के लिए 4 से 5 किलोमीटर पैदल जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है। लुठियाग गांव में किसी को स्वास्थ्य समस्या हो तो मुख्य सड़क पर आने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है”


लुठियाग के युवा गांव में अपना रोजगार स्थापित करना चाहते हैं परंतु सड़क न होने से युवाओं की दृढ़ता जबाब दे जाती है, अगर सड़क गांव से जुड़ती है तो ग्रामवासियों को कई समस्याओं से निजात मिल जायेगी साथ ही गांव के युवा गांव में ही अपना रोजगार स्थापित कर सकेंगे।


आज तक कई जनप्रतिनिधि चुन कर आए पर गांववासियों की सड़क की मांग शासन प्रशासन में सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह जाती है ।


ग्राम प्रधान दिनेश कैंतुरा का कहना है कि “लोनिवि पहले भी चिरबाटिया मार्किट से लुठियाग गांव जाने वाली सड़क का सर्वे कर चुकी है जिसमें ग्रामसभा ने एनओसी भी विभाग को प्रदान कर दी है और अब वन विभाग, राजस्व विभाग और लोनिवि भी अपना संयुक्त सर्वे करेगी।


आगे ग्राम प्रधान ने कहा कि अगर इस बार भी गांव को सिर्फ आश्वासन मिला तो ग्रामीण उग्र आंदोलन की राह चलेगा और आगमी चुनाव का भी बहिष्कार करेगा”

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