दुनिया में लहराया उत्तराखंड की जैविक खेती का परचम रानीखेत के गोपाल उप्रेती का नाम गिनीज बुक में हुआ दर्ज-देखें पूरी खबर
- रानीखेत के गोपाल उप्रेती ने सात फीट ऊंचे धनिया के पेड़ के साथ गिनिज बुक में नाम हुआ दर्ज
- प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी दी बधाई देश कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने फोन करके दी बधाई
- उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि
- 22 अप्रैल को वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल गुसाईं ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा था जिसका विवरण हम नीचे दे रहे हैं
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फाइल फोटो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी बधाई |
देहरादून- रानीखेत के गोपाल उप्रेती , सबसे ऊंचा धनिये का पौधे के साथ
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की दहलीज पर
श्री गोपाल उप्रेती , बिल्लेख गांव, रानीखेत, अल्मोड़ा जिले के
प्रगति शील किसान हैं। उन्होंने गांव की अपनी जमीन में
बगीचा बनाया हुआ है। जब उन्होंने बगीचा बनाना शुरू किया
तो लोगों ने शाबासी देने के बज़ाय , उन्हें हतोत्साहित करने का प्रयास किया। लेकिन वह विचलित नहीं हुए, उन्होंने अपने बगीचे पर ध्यान दिया। देखते ही देखते उनका कुमाऊँ मंडल का सबसे
बड़ा बगीचा फार्म बन गया । वहाँ 200 सेब के पेड़ हैं , इनके बीच बीच में धनिये का पेड़ उगाया है। जो अभी तक संसार में सबसे बड़ा
5.7 फ़ीट होने का दावा किया जा रहा है। गोपाल दत्त उप्रेती
इस बगीचे के एप्पल नई दिल्ली में हर साल 200, 250 रुपये
किलो बेचते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान के दो वैज्ञानिकों ने कल बिल्लेख गांव
जाकर इस पौधे पर ठप्पा लगाया। यह इन्हीं विज्ञानियो के
रिकमंड के आधार पर यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में
दर्ज होगा। उत्तराखंड के लिए यह अच्छी बात है।
गोपाल जी से आज बात हुई थीं, उन्होंने दावा किया कि
धनिया बिल्कुल हरा है। पत्ते बहुत हैं। उन्होंने खुद यह
उपजाया है। यदि इस धनिये को उगाया जाता है तो
किसान की आमदनी दोगुनी हो जायेगी।
उत्तराखंड में एक धारणा यह है कि, इन बंज़र खेतों में कुछ नहीं हो
सकता है। यह बात हर फैली हुई है। पहाड़ के गांव तक
नजीबाबाद की सब्जी के भरोसे हैं।
एक तर्क और दिया जाता है इन खेतो में कुछ
नहीं हो सकता है। यहाँ कुछ बोयेंगे तो बंदर, सुवर खा जाएंगे।
उप्रेती कहते हैं कि, इस धारणा को वह बदल देंगे।
यदि एक एक जिले से 10,10 लोग जो कुछ करने का मादा
रखते हैं मिल जाये, तो वह इस धारना को खत्म कर सकते हैं।
उन्होंने कहा यहाँ की जमीन उपजाऊ है।
अल्मोड़ा जिले के मुख्य उद्यान अधिकारी श्री टीएन पांडे का कहना है कि उनके जिले में धनिये की काफी पैदावार हो रही है लेकिन जिस तरह से जीएस ऑर्गेनिक एप्पल फॉर्म विल्लेख में धनिये की पैदावार हुई है वह बहुत ही आश्चर्य पैदा करता है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अभी तक इतने बड़े धनिये के पौधे नहीं देखे हैं. पांडे जी ने उम्मीद के साथ कहा कि धनिये की यह जैविक पैदावार एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बन सकता है. अगर यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बन जाता है तो यह हमारे उत्तराखंड के लिए बहुत गर्व की बात होगी.
आईसीएआर- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा से आए वैज्ञानिक डॉक्टर गणेश चौधरी ने भी जब पौधे की पैमाइश की तो आश्चर्य जताया. उन्होंने कहा कि धनिये के पौधे की इतनी बड़ी लंबाई उनके संज्ञान में नहीं है। धनिये की इस पैदावार पर आश्चर्च प्रकट करते हुए उन्होंने बताया कि इसे गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड्स और लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स जैसे संस्थानों को भेजा जा सकता है. धन्यवाद Ganesh Singh Rautela
जी का जिन्होंने नोएडा से मुझ से फोन पर बात की और गोपाल दत्त उप्रेती जी का नंबर दिया।
कल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने भी गोपल जी की अपने फेसबुक पेज में तारीफ की थीं। फेसबुक में रावत जी ने लिखा
है कि, मेरे गाँव के बगल के गांव में किसान गोपाल की खेती
को देखकर खुशी हुई।
सवाल यह है, हम लोग गोपाल दत्त उप्रेती के जैसे सेब, धनिये के फार्म हाऊस क्यों नहीं विकसित कर सकते हैं ? उत्तराखंड में
आर्गेनिक खेती की अपार संभावनाएं हैं।
रैबार पहाड़ की टीम की और से गोपाल उप्रेती जी को बहुत बहुत बधाई व शुभकामना