July 27, 2024

भोलेनाथ की असीम कृपा से कालीमठ की माँ कालिंका देवी की पौराणिक स्थली में किया भ्रमण

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    गुप्त काशी से 10 कीमी दूर मंदाकिनी के तट पर  स्थित ढाई हजार वर्ष पुरातन पौराणिक श्याम शिलाओं द्वारा निर्मित यह मंदिर आज भी यथावत है ! यद्यपि अब यहां पर माता का एक नवीन भव्य मंदिर भी निर्माण हो चुका है ! 

 कहा जाता है कि  भारत के सर्वश्रेठ महाकवि  कालीदास जी की यह ज्ञानप्राप्ति स्थली रही है , मां काली ने वरदान देकर उन्हे महान विद्वान रचित कर दिया था ....

जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने तीन महान रूपक : अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम् मालविकाग्निमित्रम् दो महाकाव्य: रघुवंशम् और कुमारसंभवम्, और दो खण्डकाव्य: मेघदूतम् और ऋतुसंहार। , जैसे महनतम ग्रंथों की रचना की !

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कालीदास जी का जन्मस्थान कंविल्ठा गांव मंदाकिनी के तट से लगभग ढाई कीमी दूर आज भी अवस्थित है |

उच्च ब्रह्मण परिवार के कालिदास बचपन में बडे ही भोंदू स्वभाव के थे इसलिए बचपन में उनका नाम बांदरू पडा था….किंतु किशोर अवस्था में एक घटना के फलस्वरूप मां कलिंका के बरदान से वे विद्वान हो चुके थे….इसी दौरान उनका नजदीकी गांव की विद्याधर (वादी जाति) की अद्वितीय सुंदरी विद्दयावती से गहन प्रेम हुआ !

इस असहज क्रिया के कारण परिवार और गांव समाज में विरोध होने लगा…बात न्यायिक थोकदार तक पंहुची…एक उच्चकुल ब्रह्मण का नीच कुल की बद्दी जाति की कन्या विद्यावती से प्रेमसबंध उस क्षेत्र के थोकदार को गवारा नही हुआ और कालीदास को देशनिकाला (क्षेत्र निष्कासित) कर दिया गया…

.कालीदास कई वर्षों तक भटकते भटकते राजस्थान के पुष्कर पहुंचे…जहां उन्होने विद्यावती के प्रेम मे विह्वल होकर सर्वप्रथम मेघदूतंम काव्य ग्रंथ की रचना कर डाली…उनकी अप्रितिम विद्वता की बात महाराज विक्रमादित्या तक पहुंची ..इतनी सुंदर रचना से विक्रमादित्य बहुत प्रभावित हुए और उन्होने कालीदास को राजकवि घोषित कर राजदरवार में स्थान दे दिया !

हमें गर्व है कि भारत के सबसे बडे कवि आदिकाल में मूलत: गढक्षेत्र के रहे हैं जिन्हें आम लोग राजस्थान व मालवा के बताते हैं ! जबकि यदि आप मेघदूतम ग्रंध पढेंगे तो उसमें कंविल्ठा ग्राम , कालीमठ, मंदाकिनी, बद्द्दी जाति की विद्यावती के साथ हिमशिलाओं हिमालय की कंद्राओं और पुष्कर से मेघों के द्वारा प्रेयसी विद्यावती को संदेश भेजने के अनेक वृतांत उल्लेखित हैं ! इन तथ्यों से प्रामाणिकता प्राप्त होती है कि कालीदास कालीमठ मंदाकिनी क्षेत्र के ही थे !

लेखक राकेश पुंडीर…. मुंबई

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