लॉक डाउन में कैसे पहुचेंगा महाराष्ट्र से उत्तराखंड बाबा केदार का स्वर्ण मुकुट? देखें पूरी खबर
महाराष्ट्र में ‘फंस‘ गया बाबा केदार का ‘स्वर्ण मुकुट‘ …
- केदार नाथ के रावल की पहुंचने की जगी उम्मीद
- 30, अप्रैल को बाबा केदार के कपाट खुलने हैं राज्य सरकार का पुरा प्रयास है कि बद्रीधाम केरावल ईश्वरी प्रसाद कपाट खुलने से पहले पंहुच जांय
- यह है वैकल्पिक व्यवस्था- 1939के बदरी-केदार समिति ऐक्ट मैं वैकल्पिक व्यवस्थाका जिक्र है इस समिति के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी जगत सिंह बिष्ट ने बताया कि ऐक्ट 1939के रावल चैप्टर में लिखा है कि विशेष स्थिति में बद्रीनाथ के रावल के नहीं रहने पर सरोला ब्रह्मचारी ब्राहामण पूजा-अर्चना कर सकते हैं
- 1776 में भी आई थी ऐसी स्थिति 1833में सन 1976 में तत्कालीन रावल रामकृष्ण स्वामी का बद्रीनाथ धाम में आकास्मिक निधन हो गया था तब गढ़वाल नरेश प्रदीप शाह ने डिमरी जाति के पंडित गोपाल डिमरी को पूजा अर्चना के लिए नियुक्त किया था
विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के मुख्य पुजारी (रावल) भीमा शंकरलिंगम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें महाराष्ट्र नादेड़ से ऊखीमठ पहुंचाने का आग्रह किया है। रावल भीमा शंकरलिंगम देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से ऊखीमठ नहीं पहुंच पा रहे हैं। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले शीतकालीन गद्दी स्थल पर होने वाली अंतिम पूजा में केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी का उपस्थित होना अनिवार्य माना जाता है क्योंकि उखीमठ से केदारनाथधाम रवाना होते समय बाबा केदार की डोली ‘स्वर्ण मुकुट‘ से सुशोभित होती है, जो इस नांदेड़ में मौजूद रावल के पास रह गया है।
विज्ञापन |
रावल भीमा शंकरलिंगम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि वह वर्तमान में नांदेड़ महाराष्ट्र में हैं। आगामी 29 अप्रैल को सुबह 6 बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिये खोले जाने हैं। इससे पूर्व 24 अप्रैल को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विशेष पूजा होती है जिसमें उनका मौजूद रहना अनिवार्य है। इस पूजा के बाद 25 अप्रैल को भगवान की गद्दी ऊखीमठ से केदारनाथ के लिये रवाना होगी। लिहाजा धार्मिक परम्पराओं को ध्यान में रखते हुये उनका 24 अप्रैल तक हर हाल में ऊखीमठ पहुंचाना जरूरी है। रावल ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार उन्हें नांदेड़ से ऊखीमठ जाने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही उन्हें टीम सहित ऊखीमठ पहुंचाने की व्यवस्था करें। उनके साथ दो सेवादार, एक पुजारी और एक व्यवस्थापक भी ऊखीमठ जायेंगे।
—
मुकुट की भी है बाध्यता
देहरादून। ऊखीमठ में अपने शीतकालीन प्रवास के बाद भगवान केदार की डोली जब केदारनाथ धाम के लिये रवाना होगी तो डोली के ऊपर भगवान केदार का स्वर्ण मुकुट भी विराजमान होना चाहिये। परंपरा अनुसार शीतकाल में यह स्वर्ण मुकुट केदारनाथ के रावल के सिर पर रहता है। समस्या यह है कि लॉकडाउन के कारण केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में फंसे हैं।
केदारनाथ के रावल पहुंचने की पूरी आस
विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम के रावल 1008 भीमा शंकर लिंग के29 अप्रैल को कपाट खुलने से पहले ऊखीमंठ पहुंचने की उम्मीद बढ़ गई है रावल ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने अनुमति देदी।
केदारनाथ धाम के रावल अभी महाराष्ट्र रे नांदेड़ और बदरीधाम के रावल केरल में हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार से चार्टर्ड प्लेन या सड़क मार्ग से लाने की अनुमती मांगी गई बदरीधाम की पूजा अर्चना के लिए टिहरी के राजा की ओर से विकल्प तय करने की भी व्यवस्था है उसका भी अध्यन किया जारहा है
रविनाथ रमन,सीईओ( उत्तराखण्ड देवस्थानम बोर्ड)
Wow, incredible weblog format! How long have you ever
been blogging for? you make blogging look easy. The full glance
of your website is wonderful, let alone the content
material! You can see similar here sklep internetowy