
देश में अब क्रिप्टोकरेंसी के जरिए किसी अवैध काम को अंजाम देना मुश्किल हो जाएगा। मोदी सरकार ने डिजिटल संपत्तियों की निगरानी कड़ी करने के मकसद से क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल संपत्ति पर धन शोधन रोधी प्रावधान लागू कर दिया है। केंद्र सरकार ने डिजिटल ऐसेट्स की निगरानी को कड़ा करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल डिजिटल ऐसेट्स पर मनी लॉन्ड्रिंग के प्रावधान लागू किए हैं। वित्त मंत्रालय ने 7 मार्च को जारी गजट नोटिफिकेशन में कहा कि क्रिप्टो लेनदेन, पास में रखने और संबंधित वित्तीय सेवाओं के लिए धनशोधन निवारण कानून लागू किया गया है। ऐसे में भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों को वित्तीय खुफिया इकाई भारत (एफआईयू-भारत) को संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देनी होगी।
यह कदम बैंकों या शेयर दलालों जैसी अन्य विनियमित संस्थाओं के समान ही डिजिटल ऐसेट्स के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कानूनों का पालन करने की अनिवार्यता के वैश्विक चलन के अनुरूप है।
बता दें, कि पिछले कुछ सालों के दौरान डिजिटल ऐसेट्स दुनिया भर में लोकप्रिय हुई हैं। हालांकि, पिछले साल तक भारत के पास ऐसी ऐसेट्स को विनियमित करने या उन पर कर लगाने के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं थी। अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसी परिसंपत्तियों पर अब धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 लागू होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक ग्लोबल फ्रेमवर्क की वकालत की। इसके साथ ही उन्होंने लोन की वैश्विक कमजोरियों को दूर करने और बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने की भी बात की। वहीं देश का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अक्सर क्रिप्टोकरेंसी के लिए नए नियमों की वकालत करता रहा है और कहता रहा है कि ये पोंजी स्कीम के जैसी ही है।
भारत ने G20 की अध्यक्षता के कार्यकम में आईएमएफ (IMF) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) को संयुक्त रूप से क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर एक तकनीकी पत्र तैयार करने को कहा है। इसका उपयोग क्रिप्टो परिसंपत्तियों को विनियमित करने के लिए एक समन्वित और व्यापक नीति तैयार करने में किया जा सकेगा।

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