जयंती विशेष: जनरल बिपिन रावत के जन्मदिन पर देश कर रहा उनको याद, जानिए उनके साहस और पराक्रम की कहानी
उत्तराखंड के सपूत और देश की सेना के सबसे बड़े अफसर, देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत का आज 65वां जन्मदिन है। उनके जन्मदिवस पर सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें शेयर करते हुए लोग उन्हें याद कर रहे हैं। बेहद ही दुखद है कि पिछले साल 8 दिसंबर को तमिलनाडु में हवाई दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत शहीद हो गए थे। बिपिन रावत को सेना में बड़े परिवर्तनों के लिए जाना जाता है। वे सीडीएस के साथ-साथ सेना के 27वें आर्मी चीफ भी थे। जनरल बिपिन रावत ने अपने सैन्य काल में देश की रक्षा के लिए कई बड़े निर्णय लिए थे।
1978 से दिसंबर 2021 तक की देश की सेवा
सीडीएस बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च, 1958 में उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में हुआ था। आज सीडीएस बिपिन रावत हमारे बीच होते तो 65 जन्मदिवस मनाते। साल 1978 से 8 दिसंबर 2021 तक उन्होंने लगातार देश की सेवा की थी। बचपन से ही उनकी सेना में जाने की दिलचस्पी थी और उनको घर में ही फौजी माहौल मिला था। वह परिवार की तीसरी पीढ़ी के ‘फौजी’ हैं। उनका परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा था। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) लक्ष्मण सिंह रावत भारतीय सेना के उप-प्रमुख रह चुके हैं। रोचक यह भी है कि पिता-पुत्र दोनों को 11वीं गोरखा रायफल्स की पांचवीं बटालियन में ही कमीशन मिला था।
कई पद संभाले
अपने चार दशकों की सेवा के दौरान जनरल रावत ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव के रूप में कार्य किया है। जूनियर कमांड विंग में सैन्य सचिव की शाखा और वरिष्ठ प्रशिक्षक। वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी। गोरखा ब्रिगेड से सीओएएस बनने वाले चौथे अधिकारी बनने से पहले रावत थल सेनाध्यक्ष बने।

दूसरे देश में की सर्जिकल स्ट्राइक
जनरल रावत को सेना के लिए रणनीति बनाने में माहिर माना जाता है। 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में नागा विद्रोहियों ने छापामार हमला करके 6 डोगरा रेजिमेंट के 18 भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी। सेना ने जब सर्च ऑपरेशन चलाया तो ये विद्रोही म्यांमार में जाकर छुप गए। विद्रोहियों के बढ़ते हौसलों को कुचलने और सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए सख्त कार्रवाई की दरकार थी। तय हुआ कि विद्रोहियों को करारा जवाब दिया जाएगा। बतौर सेना की तीसरी कोर के प्रमुख ले. जनरल बिपिन रावत ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के सामने नागा विद्रोहियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की योजना का विस्तृत खाका रखा। उत्तर-पूर्व में घुसपैठ रोकने के सैन्य अभियानों का खासा अनुभव रखने वाले बिपिन रावत ने स्ट्राइक की। प्लानिंग इतने डिटेल में और इतनी सजगता से तैयार की थी कि हमले करने के महज छह दिनों के भीतर 10 जून 2015 को सेना के पैरा कमांडो ने म्यांमार की सीमा में दाखिल होकर करीब 40 मिनट में एक बड़े सफल सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया और सुरक्षित वापस लौट आए। म्यांमार की सीमा के अंदर बने उग्रवादी गुट एनएससीएन-खापलांग के आतंकी कैंप तबाह हो गए। इस कार्रवाई से भारत के दुश्मनों में एक कड़ा संदेश दिया।

पीओके में सफल सर्जिकल स्ट्राइक
म्यांमार की सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बहुत सफल रही थी। इस ऑपरेशन की सफलता ने ही साल 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की जमीन तैयार की। 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों ने भारतीय सेना के कैंप पर आतंकी हमला किया। 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने इसका जवाब देते हुए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की और कई आतंकियों को मार गिराया। इस कार्रवाई ने भारत को दुनिया में एक बड़ी और निर्णायक कार्रवाई करने वाले देश के तौर पर स्थापित किया। इस कार्रवाई का खांका भी जनरल रावत ने ही खींचा था। हालांकि तब वह लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर थे।

पाकिस्तान को दिया मुह तोड़ जवाब
म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक, पीओके सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका के साथ-साथ जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन आल आउट किया था। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। आतंकी बुरहान वानी समेत हिज्बुल, लश्कर, जैश के कई टॉप कमांडर ढेर किए थे। आर्टिकल 370 के बाद जम्मू कश्मीर के हालात को काबू किया था। सीमापार से होने वाली घुसपैठ पर लगाम लगाई थी। सीजफायर उल्लंघन पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। पाकिस्तान को सख्त लहजे में जवाब देने में बिपिन रावत मुखर रहे थे।
अनेकों सम्मान से नवाजा
सीडीएस बिपिन रावत को उनके पूरे करियर में अनेकों सम्मान से नवाजा गया। इनमें अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल आदि जैसे कई सम्मान शामिल रहे। इतना ही नहीं दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत के 65वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर भारतीय सेना ने यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) में चेयर ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया।
सर्जिकल स्ट्राइक की योजना में अहम योगदान देने और सेना के विभिन्न पदों पर रहते हुए राष्ट्र सेवा करने के लिए देश सीडीएस बिपिन रावत का सदैव ऋणी रहेगा। जनरल बिपिन रावत को उनके जन्मदिवस पर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।
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