वीर वीरांगना तीलू रौतेली पर कविता कैन्तुरा
—–तीलू रौंतेली—
अपड़ु बाळा पन
त्याग करी जैन,
पन्द्र बरस कि
आयु मा।
लाड़े लाड़ि
वीरोंखाळ
कि
प्यारी
तीलू रौंतेली ——
दुश्मनों तै, मारी जैंन
तब जे-तै अपणा भैयूं,
अर
बाबा जी कु, बदलो
पूरु करि त्वेन,
लाड़े लाड़ि
वीरोंखाळ
कि
प्यारी
तीलू रौंतेली ——
रणभूमी मा विजय,
ह्वे,
जैन दी दीनि बलिदान
अपडु।
लाड़े लाड़ि
वीरोंखाळ
कि
प्यारी
तीलू रौंतेली ——
थकीऽ- कुसांई लड़ै मा तीलू,
जब
नयार का छाळा पाणी प्येण
जांदि!
तबरि निर्भागी दुश्मनों न
पीठ पिछाडी,
चोरमार्या वार करि,
तीलो रौंतेलीे ।
लाड़े लाड़ि
वीरोंखाळ
कि
प्यारी
तीलू रौंतेली ——
वीरोंखाळ मा, तेरा नौं,
कौथिग होंदु
ढ़ोल-दमौं, तेरा नौं कु निसाण,
कौथिग,
कन भलूऽ सजदू ।
लाड़े लाड़ि
वीरोंखाळ
कि
प्यारी
तीलू रौंतेली ——
—–@कविता कैन्तुरा लुटियाग चिरबटिया रूद्रप्रयाग
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