डोबरा चांटी पुल का माॅडल बना आकर्षण का केंद्र-काष्ट शिल्पी दिनेश लाल का-कमाल
(मुकेश सारंग पौड़ी की.... कलम से)
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अपनी कास्ट कला के साथ शिल्पी दिनेश लाल |
शिल्पी के हाथों में निस्संदेह कोई ना कोई चमत्कार होता है। किसी चीज को आकार देना बहुत बडी कला होती है। अपने प्रदेश के ऐसे ही एक शिल्पी है जो आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है।अपने हुनर से उनके द्वारा बनाये गये उत्पाद, मानो हमारे आंखो ने उधार ले लिया हो और हृदय से आवाज आती है कि, वाह क्या शिल्पकला के धनी है आप !
(N R Filam promo by Narendra Singh Rana)
जी हां मै बात कर रहा हूं टिहरी जिले के ग्राम जेलम खंडोगी पट्टी खास (जाखणीधार) के श्री मूर्ति मिस्त्री के घर में जन्मे श्री दिनेश लाल की जो काष्ठकला के महान शिल्प के धनी है। बाल्यकाल से पुराने घरों पर की गयी नक्काशी अपनी ओर आकर्षित करती रही किन्तु आकर्षित होकर पेट का लालन-पालन होना असंभव था। इस कारण रोजगार की तलाश में दुबई जाना पडा। वहां दो वर्ष के प्रवास के दौरान अपने पहाड की पीड़ा बसूबी महसूस करते रहे और वर्ष 2009 में उत्तराखंड लौटने का मन बनाया। और उत्तराखंड मे ही रहकर कुछ ऐसे करने निश्चय किया कि जिससे बाहरी पर्यटक हमारे उत्तराखंड आकर यहां की पुरातन चीजों को देखकर आकर्षित हो। निस्संदेह इस कार्य को पर्यटन से जोडना बहुत बडा कार्य था किन्तु कभी हौसला नी खोया।
उसके बाद कई ऐसे स्थानों का भ्रमण किया जहां पुरानी तिबारी-डंड्याली, पत्थरों पर की गई नक्काशी और ऐसे जर्जर पडे हुये मकानों का भ्रमण किया जो अपने समय में बहुत उच्चकोटि के शिल्पकारों द्वारा बनाये गये थे। बस यही से प्रेरणा पाकर अपने पुरानी चीजों को काष्ठ से माॅडल पर बनाकर देश और दुनिया के सामने लाने का भरपूर प्रयास किया कि पर्यटक यहां आकर हमारी पहचान बेजोड शिल्पकला को देखे और उत्तराखंड की मूल पहचान को समझे। और निरन्तर यह कार्य आगे भी जारी रहेगा, ऐसा उनका कहना है ।
वर्तमान में लकडी से प्राचीन घरों का माडल, गंज्याली, ढोल-दमाऊ, लालटेन, क्रिकेट प्रतियोगिता की हस्त निर्मित ट्राॅफियां और बहुत सारे मौमेण्टो, तांदीगीत नृत्य का शानदार काष्ठ माॅडल से निर्मित किया जो बहुत ही प्रशंसनीय है। और कुछ समय पूर्व टिहरी झील के दो किनारों को जोडने वाला बहुप्रसिद्ध पुल डोबरा चांटी के माॅडल को लकडी से बनाकर प्रसिद्धि लब्धता हासिल की। इस माॅडल की विशेषता यह है कि सारा काम लकडी से किया और एक-एक चीज को इसमे दिखाया जो वास्तविक रूप से दिखता है साथ ही इसका प्रकाशिकरण भी देखने लायक है। इस माॅडल को निर्मित करने में लगभग 45 दिन लगे और यह माॅडल हाथों-हाथ दिल्ली के किसी प्रशंसक ने खरीद भी लिया।
श्री दिनेश लाल ने अपने हुनर को अपनी आजीविका से जोड़ा और साथ ही प्राचीन समय में प्रयुक्त वस्तुओ को आधुनिक पीढी को दिखाया कि उत्तराखंड की कला इस तरह विख्यात है ताकि सभी लोग इसे देखे, पर्यटकों की नजर इस चीजों की ओर आकर्षित हो जो हमारे पहाड़ के मूल में हो।
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