21जून को फादर्स डे यानी पिता दिवस है
– कल रविवार 21 जून को पूरे विश्व सहित भारत मे भी फादर्स डे मनाया जाएगा। वास्तव में एक पिता की अपने बच्चो के प्रति असल जिम्मेदारी का अहसास तो हमे इस कोरेना काल से जूझते हुवे महसूस हुवा।आधुनिक तकनीकी के इस युग मे जहाँ जीवनयापन की जादोजहथ में अधिकतर परिवारों के बीच एक सामाजिक दूरी स्थापित हो गयी थी दिलो की इस दूरी को कोरेना जैसी महामारी ने काफी हद तक पाटने का कार्य किया।
नगर के नेत्र चिकित्सक एवं समाजसेवी डॉ राजे नेगी का कहना है कि भागदौड़ भरी जिंदगी के पहिये एकदम से कभी यूं ठहर जाएंगे ऐसा सोचा नही था,डॉ नेगी बताते है कि उनकी दो बेटियां है, हसबेंड वाईफ(मियां बीबी) दोनों ही वर्किंग होने के कारण कभी भी बच्चो को पूर्ण समय नही दे पाते थे, रिस्तो की असल अहमियत तो इस लॉक डाऊन ने हमे समझाई। वैश्विक कोरेना महामारी संक्रमण के कारण आज हम सभी की आर्थिक स्तिथि भलें ही लड़खड़ाई हुई है और इस महामारी से बचाव हेतु जहां एक दूसरे से व्यक्ति संक्रमित न हो जाये इसके लिए सामाजिक एवं शारीरिक दूरी ही पहला इलाज है,वहीं इस महामारी ने दिलो को पास लाने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है इस महामारी से हमे एक ओर सीख भी मिली कि जीवनयापन के लिए तो खर्च बहुत कम है सिर्फ हमारा लाइफस्टाइल एवं दिखावा ही खर्चीला होता है।डॉ नेगी बताते है जून माह के तीसरे रविवार को हर वर्ष पूरे विश्व मे फादर्स डे मनाया जाता है,
मां की ही तरह हमारे जीवन में पिता का महत्व बेहद खास होता है। मां हमारी जन्मदाता हैं तो पिता पालनहार। पिता भले ही ऊपर से सख्त दिखते हों ,लेकिन अंदर से अपने बच्चों के प्रति नर्म ही होते हैं। शायद इसलिए उन्हें नारियल की तरह कहा जाता है। पिता हमारा भविष्य बनाने के लिए अपने सपनों और ख्वाहिशों को भी भूल जाते हैं और सबकुछ करने को तैयार होते हैं। पिता का महत्व शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।इस लॉक डाऊन में हम लोग अपने पिता को कहीं बाहर तो घुमाने के लिए नही ले जा सकते पर अपने पिता के प्रति प्यार एवं सम्मान में या फिर उनकी स्मृति में एक पौधा लगाकर अपने इस धरा (प्रकृति) को हराभरा एवं खुशहाल बनाये रखने में अपनी भूमिका निभा सकते है।