रामरतन पवांर/जखोली

गर्मीयों का मोसम आया नहीं की, भारत का हिमालय के सबसे नजदीक का राज्य का क्षेत्र चौपता पानी के लिए त्रस्त

चोपता की जनता गदेरे से टैंकर द्वारा सप्लाई हो रहे गन्दे पानी को पीने के लिए मजबूर।

उत्तराखंड में बढता जल संकट
तल्ला नागपुर के चोपता की जनता किस प्रकार दुषित जल पीने को मजबूर हैं
भले सरकार घर घर नल और जल की योजना के तहत प्रत्येक गाँव मे प्रत्येक परिवारों की प्यास बुझाने हेतू हर घर नल ,हर घर जल देने का कार्य शूरु तो करवा दिया लेकिन सवाल इस बात का है इस वारिस न होने के कारण अधिक से जलस्रोत सूख चुके है,जल संस्थान, जल निगम, स्वजल द्वारा. बर्षो पूर्व बनाई गई पेयजल योजनाओं ने नौ माह से वारिस न।होने के कारण दम तोड़ दिया हो तो फिर सरकार की हर घर नल हर घर जल का कोई महत्व नही रह जाता ,अब तो सरकार की ये योजना केवल सरकारी धन को ठिकाने लगाने मात्र रह गयी है लेकिन हकीकत किसी से छिपाई नही जाती जिसका जीता जागता उदाहरण विकासखंड अगस्त्यमुनि का चोपता है जहां पर लोग टैंकरों से सप्लाई होने वाले गंदे पानी पीने को मजबूर है।
ऐसा नहीं है, की ग्रीष्म काल के लिए जल भण्डारण नहीं किया जा सकता है। जेसे छोटे छोटे डेमो का निर्माण गर्मियों में फिलटरेसन करने के बाद इसकी सप्लाई कि जाए।
लेकिन सरकारों कि सोच इस दिशा पर ध्यान देने के बजाय कथन डालने जैसी रह पर जाती है
अगर हम यकीन माने तो
मानिएगा ऐसी समस्या खारे समुद्र के नजदिक बसें भारत की माया नगरी मुंबई में भी देखने को नही मिलती हैं ।
इसलिए इस बात से खफा हो कर किसी ने यह बिडियो बनाई है, इस बिडियो को सरकार के सांसद, विधायक,जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, प्रधान, सभी जनप्रतिनिधि को देखना चाहिए।
ओर अपने आप को समझते हुए, झूठा प्रमाणित कर लेना चाहिए,
ओर जनता को भी जांच परख कर जनप्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए,वता दे कि चोपता, सतेराखाल के ग्रामीण एक बूंद पानी के तरस रहे है और सर हर घर जल हर घर नल की बात कर रहे है, अगर जलस्रोतों मे पानी ही नही होगा तो फिर इस सरकारी मिशन का क्या फायदा