ज्ञान कु उजियालू दीक-मन कू अंधियारु मिटे दे-युवा कवित्री किरण भट्ट की कविता

 ज्ञान की देवी छै तू माँ मेरी भी अर्ज सुण ले 

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भरियू भरियू च तेरु भण्डार मीं तैं भी तू ज्ञान दे 

हे सरस्वती हे भगवती मेरी भी अर्ज सुण ले  ….ज्ञान कू उजालू दीक मन कू अंधियारु मिटे …

वेद शास्त्रों मा भी जब जब ज्ञान की चरचा हवैं  …तू ही अगवाड़ी रै हे माता तू ही सर्वश्रेष्ठ हवैं…

 हे सरस्वती हे भगवती मेरी भी अर्ज सुण ले… बुद्धि की दाता छै तू हम तैं भी तू तारी दे… ज्ञान धन दीक हे माता चरणों मा स्थान दे… मन भरियू च जू भी मैल हे माँ तू वै तैं मिटे …सरस्वती हे भगवती माँ मेरी भी अर्ज सुण ले …मेरा शब्दों मा उज्यालू हो जो इन वीणा तू फिर बजे …दयालु कृपालु छै तू मीक भी दैंणी हवैं जे… सरस्वती हे भगवती माँ मेरी भी अर्ज सुण ले …शब्दों की दाता छै तू मेरा स्वर शब्दों तैं श्रृंगार दे विदया दानी तू छै वरदानी मेरा जीवन तैं संवार दे …ज्ञान की देवी छै तू माँ मेरी भी अर्ज सुण ले… हे सरस्वती हे भगवती माँ मेरी भी अर्ज सुण ले  ……किरन भट्ट

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