चमोली अपडेट

33 शव अभी तक बरामद, 171 लापता।

रुद्रप्रयाग मे 1 शव की शिनाख्त की गयी है. सूरज S/0 बेचूलाल R/0 बाबूपुर. बेलराय

कोतवाली -तिकोनिया तहसील – निखासना जिला – लखीमपुर खीरी
उत्तरप्रदेश
*ड्रोन और हॉलिकॉप्टर के जरिये SDRF ने अत्याधुनिक तकनीक ब्लॉक टनल जियो सर्जिकल स्कैनिंग का इस्तेमाल किया*
रेणी तपोवन क्षेत्र में आई भीषण आपदा में राहत एवम बचाव कार्य युद्ध स्तर में चल रहा है SDRF सहित देश की अनेक एजेंसियां राहत कार्य मे लगी हुई है ऋषिगंगा प्रोजेक्ट के क्षतिग्रस्त होने से आये जल सैलाब ने श्रीनगर डेम क्षेत्र तक अपना प्रभाव दिखाया।
आपदा के बाद ही SDRF रेस्कयू में जुटी है रेस्कयू कार्य के साथ ही SDRF ने सर्चिंग के लिए भी युद्धस्तर पर काम किया श्रीनगर क्षेत्र में मोटरवोट एवम राफ्ट से सर्चिंग की, वहीं अनेक टुकड़ियों ने नदी तटों पर तलाश जारी रखी , 9 फरवरी रात तक SDRF ने अलग अलग स्थानों से लगभग 33 शवों को खोज कर सिविल पुलिस के सुपर्द किया।
सर्चिंग में गति लाने के लिए राज्य आपदा प्रतिवादन बल ( SFRF)के *ड्रोन सर्चिंग एवम डॉग स्क्वाड की भी मदद* ली। SDRF टीमों के द्वारा प्रभावित रेणी गाँव मे जाकर ग्रामीणों के लिए रसद पहुचाई जबकि वहीं समय समय पर आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी किए जा रहे है।
लेकिन इस सबके बाद भी रेस्कयू ऑपरेशन अपने अंजाम तक नही पहुंच पा रहा है क्योंकि दूसरी टनल में फंसे लगभग 30 से 35 मजदूरों तक पहुंचने का मार्ग अभी भी मलबे से भरा है सभी एजेंसियां रास्ते को साफ कर मजदूरों तक पहुँच बनाने का प्रयास कर रही है।
इस सर्चिंग को अंजाम तक पहचानें के लिए आज *DIG SDRF उत्तराखंड पुलिस रिद्धिम अग्रवाल ने विशेष प्रकार की तकनीक के इस्तेमाल की अनुमति दी है*
इस तकनीक में ड्रोन और हॉलिकॉप्टर के जरिए ब्लॉक टनल का जियो सर्जिकल स्कैनिंग कराई जा रही है। जिसमें रिमोट सेंसिंग के जरिए टनल की ज्योग्राफिकल मैपिंग कराई जाएगी और टनल के अंदर मलवे की स्थिति के अलावा और भी कई तरह की जानकारियां साफ हो पाएंगे। इसके अलावा थर्मल स्कैनिंग या फिर लेजर स्कैनिंग के जरिए तपोवन में ब्लॉक टनल के अंदर फंसे कर्मचारियों के होने की कुछ जानकारियां भी एसडीआरएफ को मिल पाएगी ,इसमें कई तकनीकों के जरिए चमोली तपोवन में ब्लॉक टनल के अंदर पहुंचने का काम किया जा रहा है तो वही डाटा कलेक्शन के लिए ड्रोन और हॉलिकॉप्टर के माध्यम से कई एजेंसियों को अलग-अलग तकनीकों के माध्यम से अंदर की जानकारियां कलेक्ट करने की जिम्मेदारी दी गई है वर्तमान में साइंटिस्ट मैंपिंग से प्राप्त डिजिटल संदेशों को पढ़ने ओर समझने की कोशिश कर रहे हैं ।
कैसे होती है टनल की जियोग्राफिकल मैपिंग–
जब भी किसी जगह पर टनल बनाई जाती है तो उससे पहले भी उस जमीन की भौगोलिक संरचना को समझने के लिए इसी तरह के सर्वे कराए जाते हैं। उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग में मौजूद एक वरिष्ठ इंजीनियर ने बताया कि जब भी किस जगह पर टनल बनाई जाती है तो रिमोट सेंसिंग के जरिए वहां की ज्योग्राफिकल मैपिंग की जाती है जिससे जमीन के अंदर की भौगोलिक संरचना से संबंधित डाटा उपलब्ध होता है साथ ही उन्होंने बताया कि जमीन के अंदर की वस्तुस्थिति को अधिक सटीकता से समझने के लिए ड्रोन से जिओ मैपिंग के जरिए अधिक जानकारियां मिलती है इसके अलावा जमीन के अंदर मौजूद किसी जीवित की जानकारी के लिए थर्मल स्कैनिंग की जाती है लेकिन थर्मल स्कैनिंग का दायरा बेहद कम होता है इसके लिए लेजर के जरिए स्कैनिंग की जाती है जिसे से जमीन के नीचे की थर्मल इमेज हमे मिल पाती है।