स्वदेशी भालू भगाने में होगा विदेशी प्रयोग-ये खबर आपके काम की है

समूचे उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में पिछले कुछ सालों से भालू के आतंक की घटनायें बड गई है। ताजा घटना जनपद चमोली के नारायणबगड़ क्षेत्र के हरमनी गांव मंे भालू ने हमला कर जहां कई गायों को घायल कर दिया था वही बाजार जा रहे दो व्यक्तियों को भी बुरी तरह से जख्मी कर दिया था।प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी का कहना है कि भालू के आंतक से बचने के लिए विदेशों में प्रयोग किये जाने वाले वियर स्प्रे के प्रयोग के लिए वन अधिकारियों को र्निदेशित किया गया है।जल्द यह योजना प्रभावित क्षेत्रो फ्री में दी जायेगी ताकि भालू के आंतक से मुक्ति मिल सके। आपको बता दे कि उत्तराखंड में भालूओं की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है।

उपर प्रमुख वन संरक्षक प्रशासन वन्यजीव सुरक्षा एवं आसूचना उत्तराखंड आर के मिश्रा का कहना है, कि पिछले कुछ सालों से भालू और इंसान के संर्धष की घटनायें गुलदार के साथ हो रही संर्धष के बराबर हो रही है। जिससे अब इंसान को ज्यादा सर्तक रहने की आवश्यकता है।मौसम परिवर्तन के कारण बर्फबारी के क्षेत्रफल कम होता जा रहा है इसलिए भालू काफी परेसान हो रहा है। यह भी देखा गया है कि ग्रामीण इलाके में लोग सर्तक नहीं होते है। भालू एक ऐसा जानवर हैै जो बहुत बडा होने के बाद भी ऐसी जगह में छुप जाता है जहां पर पता भी नहीं चलता है, इसलिए जो लोग जंगलों में जाते है उन्हें बहुत सर्तक रहने की आवश्यकता है।ग्रामीण क्षेत्रों मंे पशुपालक अक्सर गाय या भैंस के बच्चे की मृत्यु हो जाने पर खुले स्थानों पर फेंक देतें है जिसकी गंद दूर तक आती है और भालू इस गंद से गांव के नजदीक पंहुच जाता है और इसांन के उसके नजदीक आने पर वह हमलावर हो जाता है। इसलिए जानवरों के बच्चे मरने पर और उनके बच्चे देते समय निकले प्लेसेन्टा को गहरे गढ्ढे में दबा देना चाहिए जिससे उसकी गंद न आ सके।साथ ही घर के आस पास उचित प्रकाश की व्यवस्था और शौचालय होना आवश्यक है। भालू के बच्चों के आस पास इंसान के पंहुचने से वह बहुत आक्रमक हो जाता है।

वही पशुचिकित्साधिकारी डाॅ अदिति शर्मा का कहना है कि यदि कोई जानवर इंसानो पर लगतार हमला कर रहा हो तो,माना जा सकता है कि उसे आदत हो गई है।उसे पकड़कर उसके स्वभाव पर अध्ययन किया जाता है और उसके बाद यह तय किया जाता है कि उसे रेस्क्यु सेंटर भेजना है या वापस जंगल में छोड़ना है।