बणि खिचड़ी –बजिन ढ़ोल-मकर संक्रांति पर खास रैबार

 बणि खिचड़ी –बजिन ढ़ोल

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(दीपक कैन्तुरा लुठियाग जखोली)



रंत रैबार- मकर संक्रान्ति का अलग अलग राज्यों मा अलग- अलग नौं अर रीति-रिवाजों द्वारा वख स्थानीय लोगों द्वारा भक्ति अर हौंस  उल्लार का दगड़ी मनाये जांदू। ये पर्व तैं नैं फसल लोंण कु समै भी ये दिन तैं शुभ माण्ये जांदू। अर दगड़ा ही वसंत ऋतू का ओंणे की  खुशी भी मनाये जांदी। पतग उड़ाये जांदि

मकर संक्राति कु अर्थ

साल की 12 सक्रांतियों मा सी मकर संक्रांति एक राशी च। जैकु सबसी जादा महत्व च। किलेकी ये दिन सूर्य देव मकर राशि मा ओंदन।सूर्य की एक राशी दूसरी राशी मा जाणे की प्रकिया तैं सक्रांति बोलदन। सूर्य का मकर राशी मा प्रवेश कन का कारण ये तैं मकर सक्रांति बोल्ये जांदू।

मकर संक्राति कब अर किले मनाये जांदी

आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं बथोंदन की शास्त्रों मा शनि महाराज तैं मकर अर कुंभ राशी कु स्वामी बताये गी। हिन्दु घर्म का अनुसार सूर्य तैं मकर राशी मा ओंदु तभि मकर संक्राति बोल्ये जांदू। यु त्योहार जादात्तर। चौदह अर पंद्रह तारिक तैं मनाये जांदू। यु यीं बात पर निर्भर करदू  कि सूर्य कब धनु राशी तैं छोड़िक तैं मकर राशी मा प्रवेश करदू। ये दिन सूर्य की उत्तरायण गति शुरु ह्वे जांदी और येही कारण ये तैं भी उत्तरायणी बोल्ये जांदू । ये पर्व तैं देश मा कै नामों सी जाण्ये जांदू । जैमा उत्तराखण्ड मा मकरैण खिचड़ी संक्राति , बिहार मा भा खिचड़ी संक्राति , तमिलाड़ू में पोंगल,आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व केरल मा यूं पर्व सक्रांति अर असम मा बिहू का नौं सी जाण्ये जांदू।

मकर सक्रांति कु महत्व

 मकर राशी मा सूर्य कु ओंणु धार्मिक दृष्टी सी भौत बढिया माण्ये जांदू। शास्त्रों का अनुसार दक्षिणायन तैं द्यबतों की रात मतलब नकारात्मा कु प्रतिक अर उत्तरायण तैं द्यबतों कु दिन माण्ये जांदू। ये दिन तैं जप,तप,दान, अर स्नान, श्राद्ध,तर्पण, अन्य धार्मिक क्रियाकलापों कु विशेष  महत्व च। यनु  भी माण्ये जांदू  ये दिन पर दान करियों  सौ गुणा बढ़िक तैं मिलदू। ये दिन घ्यू त्यल कु दान कन सी मोक्ष की प्राप्ति होंदी।

 मकर संक्राति  की कै पौराणिक कथा

·        यनि मान्यता च की ये दिन भगवान भास्कर अपणा नोन्याल शनि सी मिलण स्वंयम ऊंका घर मा जांदन। शनिदेव मकर राशि का स्वामी च। युंही कारण च ये दिन तैं मकर संक्रांति का नौं सी जाण्ये जांदू।

·        महाभारत का समै का महान योद्धा न भी यु शुभ दिन अपणा शरीर त्यागणक तैं चुनी थौ

·        मकर संक्राति का दिन ही गंगा जी भागीरथ का पिछ्वाड़ी चलिक कपिल मुनी आश्रम सी ह्वेक सागर मा जैक मिली थै।

·        येही दिन भगवान बिष्णुन असुरों कु अंत कैक तैं  युद्ध समाप्ति की घोषणा करी थै । अर राक्षसों का मुंड मंदार पर्वत मा दबैलिन। या ही वजै च ये दिन तैं बुरायों अर नकारात्मकता तैं खत्म कन वालू दिन भी माण्ये जादू

·        यशोदान जब कृष्ण जन्म क तैं व्रत करी थौ तब सूर्य द्बता उत्तरायण काल मा पदापर्ण करणा था। अर वै दिन मकर संक्राति थै। बोल्ये जांदू तभी सी मकर संक्राति कु प्रचलन शुरु ह्वे।

मकर संक्राति का वैज्ञानिक महत्त्व

मकर संक्राति ठंड का मौसम जाणकु  प्रतिक माण्ये जांदू मकरैंण बटिन दिन मठु-मठु कै दिन लंबा होंदन अर रात छ्वटी होंदिन। अर मौसम मा गर्माहट ओंण लगि जांदिन। ये समैं गाड़ गंदनियों मा वाष्पन होंदू जैसी कै प्रकारे की बिमारी दूर ह्वे जांदिन।ये दिन गंगा मा न्हयणु शुभ  माण्ये जांदू। किले की यू पर्व ठंड़ का समै रेंदू । यन मा तिल गुड़ खाण सी शरीर तैं ऊर्जा मिलदी।जु शरीर का खातिर भलु माण्ये जांदू। अर ये दिन खिचड़ी खाण पाचन शक्ति तैं भलु माण्ये जांदू।

पतंग उड़ाण कु बानु

 पतंग उड़ोंणा का बाना लोग जल्दी उठि जांदन वखी शरीर मा धूप मिलण सी  विटामिन ड़ी मिली जांदी। ये तैं त्वचा तैं भी बढाया माण्यें जांदू।

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