क्या इस कोरोना काल में आखरी वर्ष के छात्र छात्राओं के पेपर करवाना उचित है।

आखिर जिम्मेदारी किसकी?

दिनों दिन बढ़ रहे कोरोनावायरस से सभी लोग परेशान हैं, कोरोना के चलते कई लोग शहरों से गांव की ओर जा चुके हैं, कई लोगों की रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है, कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं के लिए सकंट की घड़ी आ गई है, यूनिवर्सिटी द्वारा आखिरी साल के छात्र छात्राओं के लिए पेपर की डेट शीट निकाल दी गई है वहीं समय-समय पर उसमें बदलाव किया जा रहा है देहरादून जो शिक्षा हब के लिए जाना जाता है, जहां हजारों छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए यहां आते हैं, वही इस संकट की घड़ी में उनके लिए मुसीबत दुगनी हो गई है पेपर कैसे देने हैं कैसे दूर दराज से यहां आया जाएगा, कैसे कोरोना का टेस्ट किया जाएगा। क्या सभी प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी तैयार है , क्या वहां सुख सुविधा सारी मौजूद हैं कोरोना के रोग धाम से संबंधित।

एक तरफ तो करोना दिनों दिन बढ़ता जा रहा है ,वही छात्र-छात्राएं परेशान है कि कैसे वह यहां पहुंच पाएंगे। किसी के पास आने के लिए पैसा नहीं है किसी के पास फीस देने के लिए पैसा नहीं है , कई छात्र-छात्राएं कोरोना पॉजिटिव है, अगर पेपर देने नहीं पहुंच पाए तो कैसे पास हो पाएंगे। वहीं दूसरी और टीचर भी परेशान है, कि दूरदराज के क्षेत्रों से अगर छात्र छात्राएं यहां पहुंचते हैं, अगर उनमें से एक को भी अगर करोना से संक्रमित रहा और किसी और पर फैला तो यह पता नहीं कितनो को बीमार कर देगा।
आखिर इस सब के लिए जिम्मेदार कौन होगा। वही छात्र-छात्राओं के माता-पिता भी अपने बच्चों को भेजने के इच्छुक नहीं है, छात्र छात्राओं के स्वास्थ्य की गारंटी आखिर कौन लेगा या कॉलेज यूनिवर्सिटी या सरकार?
आखरी साल के छात्र छात्राओं को भी असाइनमेंट के तौर पर पास कर देना चाहिए ताकि इस भयानक बीमारी से वह बच सके और आगे अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें।
तोहिष भट्ट
देहरादून।
Explore the ranked best online casinos of 2025. Compare bonuses, game selections, and trustworthiness of top platforms for secure and rewarding gameplaycasino.