
उत्तराखंड में शहद उत्पादन की संभावनाओं के मद्देनजर एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग डॉ. प्रमोद मल्ल, प्रोफेसर जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय की देखरेख में हुई। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उद्देश्य मौन पालकों को शहद और उसके उत्पादों की जानकारी देना था। डॉ. मल्ल ने बताया कि किस प्रकार मधुमक्खी पालन किया जाए और उत्तराखंड में कौन सी मधुमक्खियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार चिड़ियों, ततैया, भालू और मौसम से मधुमक्खियों की कॉलोनियों को बचाया जा सकता है। डॉ. प्रमोद मल्ल ने बताया कि शहद के अलावा उसके बाय प्रोडक्ट्स जैसे प्रोपोलिस,बी वेनम, वैक्स, बी पोलन आदि इकट्ठा कर अधिक आमदनी की जा सकती है। डॉ. मल्ल ने बताया कि उत्तराखंड में उत्पादित आर्गेनिक शहद की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जबरदस्त मांग है।

कार्यक्रम के आयोजक हरिपाल रावत ने बताया कि भारत सरकार द्वारा शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक वृहद ‘हनी मिशन’ का गठन किया गया है। इस मिशन के तहत केंद्र सरकार की मदद से राज्यों के शहद उत्पादकों के लिए बहुत सी योजनाओं के तहत सब्सिडी इत्यादि का भी प्रावधान है। हरिपाल रावत ने शहद उत्पादन के क्षेत्र में कार्य कर रहे उत्पादकों से आग्रह किया कि वे ‘हनी मिशन’ के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराएं।
पिछले कई वर्षों से शहद उत्पादन का कार्य कर रहे संजय जोशी, राज प्रकाश भदूला और हंसराज कुकरेती ने शहद उत्पादन को लेकर अपने अनुभव साझा किए। बैठक में तय किया गया कि बहुत जल्द एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग का आयोजन कर उत्तराखंड के सभी जिलों से शहद उत्पादन और कृषि कार्यों में रुचि लेने वाले लोगों को जोड़ा जाएगा। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में देश के अन्य राज्यों से संबंधित वैज्ञानिक और अनुभवी लोग हिस्सा लेंगे।
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में भाग लेने अन्य प्रतिभागियों में वेद भदोला, कैलाश चंद्र दिवेदी, उमाशंकर कपरुवान, अखिलेश कुमार, रणजीत रावत स्वरोजगार वाला, चतर सिंह गुसाईं, लोकेश नेगी, वीपी भट्ट, राजीव तिवारी और राजेंद्र रावत थे।
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