फैल रहा कोरोना कांप रही दुनिया-कवि बेलीराम कंसवाल की कविता-


मित्रों  कोरोना के रूप में एक वैश्विक संकट हम सबके सामने है, आओ इससे निपटने के लिए कुछ ऐतिहात बरतें। आम जनमानस और खासकर विदेशों में रहने वाले हमारे भाइयों की मंगल कामना हेतु प्रस्तुत हैं मेरी कविता से कुछ पंक्तियां।।

फोटो-बेलीराम कंसवाल


                           

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दावानल की लपटों सा
   फैल रहा कोरोना,
      एक देश की मूरखता 
          और सारे जग का रोना।।

जापान हो या अमरीका 
    ब्रितानी हों या रशिया ,
         चाइना के कर्मों का फल
              सबको भुगतना होगा,
                   अनचाहे वैश्विक संकट में
                      अब,बस धीरज रखना होगा।। 

हाहाकार मचा है सारे
    दुनियां के देशों में ,
       दस्तक दे दी उसने अब तो 
             अपने भारत में भी ।।

इस महामारी से बचना कैसे 
    कुछ एतिहात बरतना होगा ,
         सजग रहें और फूंक फूंककर
              कदम बढ़ाना होगा ।।

बिना डरे अब हमको बस
   इतना करना होगा,
       हाथ धुलें साबुन से नित 
            मुंह ढक कर रखना होगा ।।

भीड़ भाड़ से दूर रहें
    ना हाथ मिलाना होगा,
        स्वच्छ रखें अब  तन अपना 
             और नित्य नहाना होगा।।

 चाइना के कर्मों का फल 
     सबको भुगतना होगा,
         अनचाहे वैश्विक संकट में अब 
               बस धीरज रखना होगा।
                    धीरज रखना होगा।।
             
                                             ***रचना***
                                          बेली राम कंसवाल
                                    घनसाली ग्यारह गांव से

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