चार धाम यात्रा पर अंकुश के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार को उच्च न्यायालय से राहत

- नैनीताल- हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को कुछ प्रतिबंधों के साथ हटाया
- केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800 भक्त या यात्रियों, बद्रीनाथ धाम में 1200, गंगोत्रि में 600 और यमनोत्री धाम में कुल 400 भक्तों जाने की अनुमति
- हर भक्त या यात्री को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और डबल वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लेकर जाना अनिवार्य
- चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाई जाए
- हाईकोर्ट ने कहा भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।
अमित गिरि गोस्वामी देहरादून/नैनीताल (उत्तराखंड)

नैनीताल उत्तराखंड में एक ज्वलंतशील मुद्दा बन चुके चारधाम यात्रा पर लागू अंकुश के चलते चौतरफा घिरती जा रही धामी सरकार को आखिरकार आज नैनीताल उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिल गई चीफ जस्टिस आर. एस. चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार के शपथ पत्र पर सुनवाई करते बड़ी राहत दे दी है ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय ने 26 जून को कोरोना संक्रमण के खतरे और उत्तराखंड सरकार की आधी-अधूरी तैयारियों के चलते चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी जिसके बाद बीते जुलाई महीने में धामी सरकार चार हफ्ते की उच्च न्यायालय में स्टे के खिलाफ SLP लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी लेकिन जुलाई-अगस्त 2 माह बीत जाने के बाद भी सरकारी वकील मामले की लिस्टिंग तक नहीं करा पाए उच्च न्यायालय की चारधाम यात्रा पर चार हफ्ते की रोक हटाने को सुप्रीम कोर्ट में 8 हफ्ते बाद भी मामला लिस्ट नहीं करा पाई धामी सरकार अब लौटकर फिर उच्च न्यायालय पहुंच गई इधर स्थानीय कारोबारियों तीर्थ-पुरोहितों और विपक्ष की घेराबंदी से धामी सरकार बैकफुट पर आ चुकी थी लिहाजा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से SLP वापिस लेकर दोबारा 10 सितंबर को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जहां उसे राहत मिल गई !

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