यूक्रेन और रूस के बीच जारी में अभी भी कई भारतीय एमबीबीएस छात्र यूक्रेन में फेंसे हुए हैं। इस बीच यह सवाल उठ रहा है कि हमारे देश मेडिकल कॉलेज और संस्थान छोड़कर छात्र यूक्रेन जैसे देशों में एमबीबीएस करने क्यों जाते है? तो इसका जीता-जागता जवाब देहरादून के जौलीग्रांट का हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस है।
दरअसल, परीक्षा सर पर है और संस्थान ने परीक्षा से 1 दिन पहले 144 बच्चों को नोटिस थमाया है, जिसमें लिखा गया है कि आप एग्जाम नहीं दे सकते। वजह है 144 बच्चों द्वारा 23 लाख रूपए अतिरिक्त ट्यूशन फीस न देना। ट्यूशन फिस के नाम पर 23 लाख रुपए की मांग कॉलेज प्रशासन द्वारा एग्जाम के कुछ दिन पहले ही की गई है। जिसके विरोध में सैकड़ों छात्र अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए हैं।वहीं इसके विरोध में धरने पर बैठी छात्रा ने कहा कि 2017 में हमने एमबीबीएस मैं एडमिशन लिया था। एडमिशन के वक्त उनसे एक शपथ पत्र भी लिया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर कोर्ट द्वारा फीस बढ़ोतरी होती है तो छात्र बढ़ी हुई फीस देंगे। लेकिन अब एग्जाम से पहले छात्रों को बोला जा रहा है कि 23 लाख रुपए का चेक जमा कराएं तभी एग्जाम में बैठने दिया जाएगा। धरने पर बैठे छात्र ने कहा कि हमारे जो एडमिशन हुए थे वह एचएनबी यूनिवर्सिटी के द्वारा हुए थे, जिसमें उत्तराखंड के जो निवासी छात्र हैं उनकी फीस 4 लाख और जो उत्तराखंड से बाहर के छात्र हैं उनकी फीस 5 लाख थी पिछले 6 दिनों से हमारा शोषण किया जा रहा है परीक्षा से पहले हमें नोटिस दिए जा रहे हैं ऐसे हालातों में हम कैसे परीक्षा दें।

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