
विश्व पर्यावरण दिवस की औपचारिकता भी सम्पन्न हो गयी है, लेकिन लग रहा है कि सूर्यदेव हमारे इतने भर के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं। शायद यही वजह है कि सूर्यदेव लगातार अपना ताप बढ़ाकर धरती के वासिंदों के धैर्य को आजमा रहे हैं। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी पर्यावरण बचाने के लिए बहुत सारे कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। स्वाभाविक है ज्यादातर आयोजन वातानुकूलित होटलों के बड़े-बड़े हालों में भाषणबाजी व फाइव स्टार लंच के साथ सम्पन्न हो गये होंगे, लेकिन कुछ कार्यक्रम ऐसे भी हुए जो सही मायने में पर्यावरण के प्रति अलख जगा गये।
ऐसा ही एक आयोजन इस बार जनपद चमोली के नारायणबगड़ प्रखंड के दूरस्त गांव सणकोट में हुआ।
वातानुकूलित होटलों में होने वाले आयोजनों व सणकोट के आयोजन में बड़ा अंतर था। जहां एक तरफ होटलों में लोगों ने कुछ घंटे पर्यावरण के नाम पर ताली बजाकर शानदार लंच का आनंद लिया तो वहीं सणकोट में ऐसे पर्यावरण प्रेमी कार्यक्रम का हिस्सा बने जिन्होंने स्व. नारायण सिंंह नेगी जी की प्रेरणा से लगाये गये पांच लाख वृक्षों के हरे-भरे जंगल को बचाकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। दोनों ही कार्यक्रमों में फर्क इतना ही नहीं रहा। होटलों के वातानुकूलित हालों में आयोजित कार्यक्रमों को अखबारों के पन्नों पर बड़ी—बड़ी कवरेज भी मिली जबकि सणकोट में आयोजित प्रकृति को बचाने की इस अलख की आवाज अखबार के दफ्तरों के शोर में खो गयी। सणकोट में नारायण सिंह नेगी जी के द्वारा लगाये गये जंगल के बारे में तो सुना था, लेकिन इतना अंदाज नहीं था कि एक व्यक्ति की पहल से इतना बड़ा जंगल भी विकसित हो सकता है। नागिणी माता की इस धरती पर शायद सणकोट उस इलाके का सबसे सुंदर गांव भी है। पर्यावरण संरक्षण के चलते गांव के बीच में स्थित नौ—धारे इस बात की गवाही भी देते हैं कि गांव के लोगों ने नारायण सिंह नेगी जी के साथ हाथ से हाथ बंटाकर प्रकृति को बचाने के लिए जो काम किया है वह सबकेे लिए प्रेरणा बन रहा है।
प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान से सम्मानित व पर्यावरण बचाने में बहुत सहायक हो रहे मैती आंदोलन के प्रणेता भाई कल्याण सिंह रावत जी को विशेष साधुवाद कि उन्होंने नारायण सिंह नेगी जी जैसे असली धरती पुत्र के सम्मान में पर्यावरण दिवस का कार्यक्रम सणकोट में आयोजित किया। मेरे लिए इस मंच पर मैती पुरस्कार से सम्मानित होने का अवसर खुद के लिए गौरवान्वित महसूस करने वाला है। यह मौका इसलिए भी खास हो गया क्योंकि इस अवसर पर नारायण सिंह नेगी जी के द्वारा लगाये गये वन का नाम अब *नारायण वन* रख दिया गया है। स्व. नेगी ने 24 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में स्वयं के प्रयास से 5 लाख से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगाकर एक ऐसे मिश्रित व अद्भुत वन क्षेत्र को विकसित किया है, जिसका लाभ युग—युगांतर तक धरती के वासिंदों को मिलेगा। गांव के लोगों से पता चला कि अपनी दुकान और खेती के काम के बावजूद स्व. नेगी हर दिन तीन घंटे इस वन को बनाने के लिए देते थे।
पर्यावरण के क्षेत्र में विशेष काम कर रहे रामनगर के व्यापार कर अधिकारी मितेश्वर आनन्द जी व रीवर्स माइग्रेशन करके समूचे पिंडर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जनजागरूकता ला रहे समाजसेवी डा. हरपाल सिंह नेगी जी जैसे महानुभावों के साथ इस मंच पर मैती सम्मान पाना मेरे लिए भी सम्मान की बात रही। पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अन्य साथी मालदेवता इंटर कालेज के प्रवक्ता गिरीश चन्द्र पुरोहित जी, नियो विजन फाउंडेशन के अध्यक्ष भाई गजेन्द्र रमोला जी, श्री नन्दा देवी राजजात समिति के महासचिव भुवन नौटियाल जी, गौचर रेंज के रेंज अधिकारी पंकज ध्यानी जी, व पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं केे प्रति जागरूक रहने वाले व मैती आंदोलन को जन—जन तक पहुंचाने वाले वरिष्ठ पत्रकार भाई हरेन्द्र बिष्ट जी, राजूहा तेफना के प्रधानाध्यापक मनोज सती जी, राप्रावि कोट मल्ला के प्रधानाध्यापक सत्येन्द्र सिंह भण्डारी जी, इस बार पुरस्कृत होने वाले महानुभावों में सम्मिलित रहे।
भाई कल्याण सिंह रावत जी बताते हैं कि इस पुरस्कार की शुरूआत उत्तराखंड के महान सपूत व पूर्व मुख्य सचिव डा. आरएस टोलिया की प्रेरणा से की गयी थी। कोविड व कुछ अन्य कारणों से यह पुरस्कार समारोह पिछले पांच साल से नहीं हो पाये थे। इसलिए पिछले वर्षों के लिए चयनित सभी महानुभावों को इस बार के कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में नारायण वन के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सणकोट की मातृशक्ति की मौजूदगी विशेष आकर्षण तो रही ही, मंच को पद्मश्री कल्याण सिंह रावत जी के साथ ही ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट के निदेशक व भारतीय नौसेना में बेहतरीन सेवाओं के लिए कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित रियर एडमिरल ओम प्रकाश राणा साहब, आईसीएफआरई देहरादून के पूर्व एडीजी डा. विजय राज सिंह रावत जी, एफआरआई की पर्यावरण विभाग की अध्यक्ष डा. लक्ष्मी रावत , क्षेत्रीय विधायक भूपाल राम टम्टा जी ने जहां मंच को गरिमा प्रदान की वहीं कार्यक्रम में महासचिव पुरोहित जनकल्याण एवं भातृ सहित देहरादून मनोज पुरोहित जी, प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली में कार्यरत श्रीमती आणा राणा जी, हरिद्वार सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक के प्रतिनिधि देवकीनंदन पुरोहित जी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष चमोली लक्ष्मण सिंह रावत जी, नारायणबगड़ के ब्लाक प्रमुख यशपाल सिंह नेगी जी के साथ ही सणकोट व आसपास के इलाकों के जनप्रतिनिधिगणों ने कार्यक्रम में शिरकत की। इस दूरस्थ क्षेत्र में कार्यक्रम की सफलता के लिए डा. हरपाल सिंह नेगी जी के साथ ही गांव के लोगों ने अथक प्रयास किये।
मडुवा की रोटी व लिंगड़े के साग का स्वाद, नारायण वन से आती ठंडी हवाओं के झोंके, आलू के हरे-भरे खेतों के बीच में नागिणी माता के सफेद रंग से रंगे दो मंदिर, गांव की सडक़ों पर लगी रंग विरंगी टाइलों के साथ ही मंदिरों के बीच में स्थित नौ—धारों से अनवरत गिरती पानी की धार मेरे लिये अविस्मरणीय बन गयी हैं। सणकोट सचमुच एक आदर्श गांव है।
समस्त आयोजकों का आभार।
अर्जुन बिष्ट
वरिष्ठ संवाददाता
राष्ट्रीय सहारा, देहरादून।

फेसबुक से साभार

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