आज प्रातः यज्ञ आहुति देने के बाद प्रधान आचार्य डॉक्टर प्रदीप सेमवाल के द्वारा यज्ञ की पूर्णाहुति की गई उसके बाद भक्तो की भीड़ से खचाखच भरे पंडाल में श्रीमद्देवी भागवत कथा में ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने कहा कि मूल प्रकृति स्वरुपिणी भुवनेशी से सृष्टि के समय दो शक्तियां आविर्भूत हुई जो भगवान श्रीकृष्ण की प्राण वृद्धि की अधिस्ठात्री देवी हैं अर्थात प्राणों की अधिष्ठात्री देवी राधा व व्रद्धि की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा हैं साथ ही वे समस्त सृष्टि की समष्टि व्यष्टि की प्राण व्रद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं वे ही सबकी नियंत्रण पूरक प्रेरिका भी हैं इनके अधीन ही सम्पूर्ण जगत है आचार्य ममगाईं जी ने कहा कि जहाँ जन्म है वहाँ कर्म है जीवन कर्म का ही व्यर्थ पर्याय है जन्म के साथ ही कर्मो का आरम्भ होता है और मृत्यु के साथ वे समाप्त हो जाते हैं इसलिए जीवन ही कर्म है व म्रत्यु कर्म का अभाव है मृत्यु के बाद चित पर उनकी स्मृतियां शेष रह जाती हैं जो कई वासनाओं को जन्म देती है यही नए जन्म का कारण है जगत की गति वृत्ताकार है इसका न कही आदि है न अंत सृष्टि निर्माण व विध्वंस का कार्य सतत रूप से चल रहा है जहां यह वृत पूरा हो जाएगा व नई सृष्टि के लिए अवसर उपस्थित हो जायेगा इसी प्रकार कर्म व वासनाओं की गति भी वृत्ताकार है कर्म से स्मृति और संस्कार बनते हैं संस्कारों के कारण वासना उठती है जिससे कर्म होते हैं इस वासना से ही जन्म मृत्यु व पुनर्जन्म का चक्र आरम्भ होता है वासनाओं का मूल अहंकार है अहंकार के गिरने से वासनाएं भी समाप्त हो जाती हैं
इस अवसर पर विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सांसद तीरथ सिंह रावत भोलादत सती प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय मण्डल डॉक्टर प्रदीप सेमवाल मनोहर सेमवाल हरि प्रसाद सती भगत सिंह विष्ट अध्यक्ष अनसुइया मंदिर समिति दिगम्बर विष्ट सचिव विनोद सिंह राणा नंदन सिंह राणा हरि प्रसाद सती पूर्व पालिकाध्यक्ष विपुल राणा रामेश्वरी भट्ट विनोद सेमवाल राजेन्द्र सेमवाल सतेश्वरी सेमवाल जगमोहन राणा रामेश्वरी भट्ट लज्जावती देवी आरती देवी ग्राम प्रधान मण्डल देवेन्द्र सिंह उमानंद सेमवाल आदि भक्त गण उपस्थित थे!!!

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