ऊंचा देवलगढ़ मा रेंदी मेरी मां राज-राजेश्वरी …सबू की मनोकामना पूरी करी


दीपक कैन्तुरा( मां राजराजेश्वरी भक्त)

जनश्रुती का अनुसार देवलगढ़ मा देवल ऋषि निवास करदा था येकी वजह सी देवलगढ़ नों पड़ी
• देवलगढ़ मां राजराजेश्वरी मंदिर कु निर्माण 14 वीं शताब्दी मां राजा अजयपालन करवे थो किले की देवल गढ़ राजा कु गढ़ थो
• जापान अमेरिका का लोग भी ओंदन मां राज-राजेश्वरी का द्वार
• विदेशों तक मंगोंदन मां की बबूत
• शाजापुर उत्तर प्रदेश मा भी मां राजराजेश्वरी विराजमान
• राजस्थान मंडला में राज-राजेश्वरी मंदिर विराजमान च


उत्तराखण्ड देवी भूमि अर यख कण-कण मा द्यबतों कू वास च … और यख हर क्वणेंठी देवतों का थान च और थानों मा रात दिन देवी देवताओं की पूजा होंदी प्राचीन समय मा उत्तराखण्ड द्वि भागों मा बंटियों थो गढ़वाल तैं केदारखण्ड का नोंउ सी जाणिये जांदू अर कुमों तैं मानसखण्ड़ का नौंउ सी जाणिएं जांदू.. ये का अलावा गढ़वाल तें गढ़देश बोली जांदू किले की 52 गढ्ढों कु यख अपणु अलग स्थान महत्व च यों गढ्ढ़ो मा एक प्रसिद्ध गढ़ च देवलगढ़ जै गढ़ कु अपणु एक अलग महत्व च 14 वीं शताब्दी मा जब राजा अजयपाल न चांदपुर गढ़ मा सिंहासन मा बिराजमान ह्वे था त ऊंन वै समै सुरक्षा की दृष्टी से बहुत ही सुरक्षित जगा माणी थे अर 1512 में अपनी राजधानी बणाई थे..अपणा 19 साल का शासनकाल मा राजा अजयपालन न देवभूमि का 48 गढ़ों तैं जीती जोंकू विस्तार करी थो अर मा राजराजेश्वरी गढ़वाल का राजों की देवी थे.अर आज जू राज राजेश्वरी माता कु सबसे प्राचीन अर सबसे बड़ू मंदिर बांज-बूरांश अर कोलेई का बणों का बीच देवलगढ़ मा च ये मंदिर कु निमार्ण 14 वीं शताब्दी का राजा अजयपाल न ही करवाई थो …अर गढ़वाली शैली मा बणियूं यु मंदिर तीन मंजिल च अर देणि कक्षा मा असली मंदिर .. अर ये मंदिर मा अलग-अलग मुद्राओं मा मा राज-राजेश्वरी कि स्वर्ण प्रतिमा सबसे सुंदर च। अर ये मंदिर मा यंत्र पूजा को विधान भी शामिल च.. यख कामख्या यन्त्र, महाकाली यन्त्र, बगलामुखी यन्त्र, महालक्ष्मी यन्त्र अर श्रीयन्त्र की भी विधिवत पूजा होंदी..वखी संपूर्ण उत्तराखण्ड मा उन्नत श्रीयन्त्र केवल ये मन्दिर में स्थापित च.. मन्दिर का पुजारी न आज भी यख हर दिन सुबैर मा यज्ञ किए जांदू…वखी नवरात्रों मा रात का समै राजराजेश्वरी यज्ञ का आयोजन किया जांदू.. की सिद्धपीठ मा अखण्ड ज्योति की परम्परा पीढ़ियों से चली ओंणी च..ये कारण ये तें जागृत शक्तिपीठ भी बोल्ये जांदू।

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विदेश का लोग मन्नत मांगदन


राजराजेश्वरी सिद्धपीठ के पुजारी कुंजिका प्रसाद उनियाल न बथै की 10 दिसंबर 1981 सी सी पीठ मां अखंड़ ज्योति अर हवन विगत 16 सालों सी या परंपरा चनी च.अर या बात सो प्रतिशत सच की जु भी मां का द्वार पर सचा मन सी मन्नत लिक ओंदू मा राजराजेश्वरी वैकी मनोकामना पूरी करदी,पुजारी कुंजिका प्रसाद उनियाल बथोंदन की उत्तराखंड मा जु भी श्रीयंत्र च उ यखी च। अर देश विदेश का लोग मन्नत मांगण यख ओंदन..अर नवरात्रों मा हवन करिक तैं हरियाली का रुप मा प्रसाद दिए जांदू।
विदेशों मा भी मां राजराजेशवरी का प्रसाद अर बबूत की डिमांड
मां राजराजेश्वरी का पुजारी पंडित कुंजिका प्रसाद उनियाल बथोंदन की मां राजराजेशी पर लोगों इथका बड़ू विश्वास अर आस्था च कि डाखाना का माध्यम सी विदेशों तक लोग मां की बबूत मंगोंदन ,जापान.अमेरीका,लंदन,सउदी अरब,मलेशिया कुवैत जख भी राजराजेश्वरी का भक्त रेंदन वख मां का भक्त मांकी हवन की बबूत मंगोंदन
मंदिर राजखानदान सी संबंधित च


मंदिर राजखानदान से संबंधित पंवार, कैन्तुरा ,परमार, भंडारी, कंडारी, रावत, रौतेला, रौथाण, चौहान, कुंवर, बिष्ट पुंडीर और ठाकुरों अर उनियाल, रतूड़ी, खंडूडी, डोभाल और श्री विद्या उपासक ब्राह्मणों की या कुलदेवी माण्ये जांदी।
शाजापुर उत्तर प्रदेश मा भी मां राजराजेश्वरी विराजमान
शाजापुर उत्तरप्रदेश की ऐतिहासिक जगा च.. शाजापुर आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग अर चीलर नदी का तट पर मां राजराजेश्वरी कु मंदिर स्थित च.. प्राचीन इतिहास का अनुसार 300 साल पैलि सन 1781 मा मनीबाइ पलटन न 4 बीघा 2 विस्वा भूमि दान करी थे ..जैमा सन सन 1791 ताराबाई 4106 /- रुपये मंदिर निर्माण मां दिनी था ..मंदिर मा बणि मूर्ति की ऊंचाई 6 फीट च ..अर मंदिर का सामणी सन 1734 मा सभा मंडल कु निर्माण किए गी। अर मंदिर मा ऋद्धि-सिद्धि और गणपति की मूर्तियां भी स्थापित कियेगी।अर मंदिर का क्षेत्र मा एक कुआ भी मंदिर का क्षेत्र मा च..ये का अलो धर्मशाला भी मां राज-राजेश्वरी का भक्तों की बणाई च जैसी मां का भक्तों मा ओंण-जाण की क्वीं दिक्कत न हो

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राजस्थान मंडला में राज-राजेश्वरी मंदिर विराजमान च


राजस्थान का मंडला मा भी माता राजराजेश्वरी कु मंदिर विराजमान च यु मंदिर प्राचीन मंदिरों मा शुमार च..अर यु मंदिर मंडला शहर के खंडर किले का बीच स्थित च..माता राजराजेश्वरी मंदिर गोंड राजाओं की कुल देवी कु मन्दिर च। मंदिर कु निर्माण गोंड राजा निजाम शाह न 1749 सी 1779 का बीच करवाई थो..अर 1832 में राजराजेश्वरी मंदिर कु जीर्णोद्धार करवाई थो..मंदिर का गर्भ गृह मा माता- राज-राजेश्वरी की प्राचीन प्रतिमा स्थापित च.. गर्भ गृह का भैर की ओर भी कई प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित है..और सालभर मा मंदिर मा धार्मिक कार्यक्रम होंदा रैंदन। अर विभिन्न धार्मिक त्योहारों अर नवरात्री मा भक्तों की अपार भक्तों की भीड़ रैंदी। आप में यदि दुख विपदा मा च त आप भी जरुर मां राजराजेश्वरी का मंदिर जांया अर आपकी मनोकामना मां राज-राजेश्वरी पूरी करली।

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