चमोली। बच्चे देश का भविष्य होते हैं और इन बच्चों को बेहतर शिक्षा दीक्षा देकर शिक्षक उनका भविष्य संवारते हैं। लेकिन इसके उलट पहाड़ी जिलों में सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल हैं। कहीं स्कूलों में बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं तो कहीं शिक्षक ही स्कूलों से नदारद हैं। इसी की बानगी है थराली का दूरस्थ गांव घेस जहां राजकीय इंटर कालेज। यहां बच्चे सर्दियों की धूप सेकते हुए मास्टर जी का इंतजार कर रहे हैं।
दरअसल, राजकीय इंटर कालेज घेस में कक्षाएं क्लास रूम के बजाए धूप में संचालित हो रही हैं। अब कह सकते हैं कि मौसम सर्द है इसलिए गुरुजी ने बच्चों की सेहत का ध्यान रखा और धूप में पढ़ा लिया। लेकिन सेहत का ध्यान रखते रखते गुरुजी बच्चो के भविष्य का ध्यान रखना भूल ही गये। ऐसा इसिलए कहा जा रहा है क्योंकि छात्रों के साथ-साथ इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों का इंतजार खाली कुर्सियां भी कर रही हैं। आलम तो ये है कि स्कूल की छत पर केवल एक नहीं बल्कि पांच कक्षाएं संचालित हो रही है, लेकिन किसी क्लास के आगे शिक्षक की कुर्सी खाली हैं।
वहीं राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सन्दीप कुमार से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने विद्यालय में शिक्षकों की कमी का हवाला देते बताया कि विद्यालय में कई पद रिक्त चल रहे हैं और सिर्फ 5 परमानेंट अध्यापक और 3 गेस्ट टीचर अध्यापन कार्य के लिए उपलब्ध हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इस स्कूल में 8 अध्यापकों की मौजूदगी के बावजूद भी छत पर धूप सेकते इन छात्र-छात्राओं को पढ़ाने की जहमत एक भी अध्यापक न उठा सके।

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