उत्तराखंड की सरकार बिगड़ा हुआ दूध है। इसे न तो मथा जा सकता है और न इससे मक्खन ही निकल सकता है। फेंकने के अलावा यह किसी काम की नहीं है।
प्रदेश की भाजपा सरकार ने जनादेश का भी अपमान किया है। जनता ने जिन उम्मीदों से उसे सत्ता सौंपी थी,भाजपा ने उसका भी निरादर किया है। इस सरकार के सत्ता संभालने के बाद ही पिछले साल उत्तराखंड की बेटी अंकिता की हत्या हो गई, तमाम भर्ती परीक्षाओं में भाजपा से जुड़े लोगों की मिलीभगत उजागर हुई, हाल में लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा में भी भाजपाइयों के चेहरे बेनकाब हुए लेकिन सरकार बेशर्मी से उन पर पर्दा डालती रही है।
महंगाई आसमान छू रही है लेकिन लोगों को राहत देने की सरकार की कोई मंशा नहीं दिख रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली ठप्प हो चुकी है। मनरेगा के काम ठप्प हैं। स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। अस्पताल बिना डाक्टरों के चल रहे हैं। खासकर पहाड़ में लोग भगवान भरोसे हैं। मार्च में ही अनेक गांवों में पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है। बिजली मिल नहीं रही है। छोटे छोटे कुटीर उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। भाजपा सिर्फ बयानबाजी कर लोगों का ध्यान भटका रही है। जुमलों के सहारे राजनीति करने वाली पार्टी ने आम लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। अंकिता की आत्मा न्याय मांग रही है लेकिन भाजपा अपने लोगों को बचाने में व्यस्त है। इस सरकार से अब लोगों को निजात मिलनी ही चाहिए।

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