भाजपा और कांग्रेस में जो मूलभूत अंतर है वह 2 वर्ष पश्चात गैरसैंण में आयोजित हो रहे बजट सत्र में कांग्रेस के विधायकों द्वारा दिखाई जा रही अनुशासन हीनता से स्पष्ट हो जाता है।

देश में इमरजेंसी थोपने वाली कांग्रेस हमेशा से लोकतंत्र विरोधी रही है।

देवभूमि की जनता देख रही है कि हम गैरसैण में जहां एक ओर सत्र चलाना चाह रहे हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस हंगामा कर गैरसैण में सत्र नहीं चलने दे रही है।

राज्यपाल के अभिभाषण पर हंगामा कर के कांग्रेस ने स्वस्थ लोकतंत्र की परंपरा को तोड़ दिया है।
कांग्रेस के विधायक राज्यपाल और विधान सभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पदों तक का सम्मान नहीं कर रहे, यह हमारी संस्कृति के ठीक विपरीत आचरण है।
खैर, जब इनके नेता विदेशों में जाकर भारतीय लोकतंत्र के बारे में अपशब्द कह सकते हैं तो इनसे और अधिक क्या उम्मीद की जा सकती है।
फिर भी मैं विपक्ष के सभी सम्मानित सदस्यों से आवाह्न करता हूं कि वे अभी भी सत्र के बचे हुए समय का सदुपयोग कर स्वस्थ लोकतंत्र की हमारी महान परंपरा का सम्मान करें।
आइए, मिलकर एक श्रेष्ठ उत्तराखंड का निर्माण करें जहां वैचारिक असहमति के लिए तो पर्याप्त जगह हो परंतु अंधविरोध के लिए कोई जगह नहीं हो
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