ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!

पहाड से हो रहे पलायन नें न केवल पहाड को खोखला कर दिया है अपितु पलायन यहां की संस्कृति, तीज-त्यौहार और पारम्परिक व्यजंनो को भी लीन गया, क्योंकि जब पहाड के गांव में लोग ही नहीं रहेगें तो तीज त्यौहार कौन मनायेगा-?? तो फिर सूने पड़े गांव में पारम्परिक व्यंजन भी किसके लिए बनाये जायेंगे–??

इन सबसे इतर हमारे बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आज भी अपने उत्त्तराखण्ड के व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने की दिशा में बडे शिद्दत और लगन से मेहनत कर रहें हैं। ऐसी ही एक शख्सियत है, मूल रूप से जनपद पौडी निवासी और वर्तमान में देहरादून के शास्त्री नगर में बूढ़ दादी (ट्रेडिशनल हेल्थी फ़ूड क्लाउड किचन) की संचालिका दीपिका डोभाल। जो बूढ दादी के जरिए पिथौरागढ़ के मुनस्यारी से लेकर चमोली के नीती-माणा, उत्तरकाशी के हर्षिल- मुखबा से लेकर जौनसार सहित पूरे पर्वतीय क्षेत्र के व्यजंनों को नयी पहचान दिलाने का कार्य कर रही है।

बूढ़ दादी किचन में उपलब्ध उत्त्तराखण्ड पारंपरिक व्यंजन !
दीपिका के बूढ दादी किचन में आपको न केवल उत्तराखंड की पारम्परिक और पौष्टिक व्यंजन मिलेंगे अपितु परोसे गये व्यंजनो की खुशबू व स्वाद आपको बार बार बूढ दादी आने को मजबूर कर देगा। बूढ दादी किचन में आपको ढ़िढका, असकली, द्यूड़ा-राबड़ी, घिंजा, सिड़कु, खोबड़े, बेडू रोटी, इन्ड्राई, बड़ील, लेमड़ा, बदलपुर की बिरंजी, लसपसी-खीर, कुकला, सूप, मुंडा फोन, ‘बारानाजा-खाजा’, कसार, ल्याटू, असके, सहित कई पारम्परिक व्यंजन उपलब्धता मिलते हैं।
लाॅकल फाॅर वोकल को चरितार्थ करती बूढ दादी..
दीपिका नें अपने पहाड के पारम्परिक व्यंजनो को नयी पहचान देने और इसे रोजगार का साधन बनाने का अनुकरणीय कार्य किया है। दीपिका कहती हैं कि उसका प्रयास है कि उसकी बूढ दादी किचन के बहाने ही सही लोग अपने पहाड के व्यंजनो के बारे में तो जान पायेंगे साथ ही और नयी पीढी को कोदा-झंगोरे से बने व्यंजनों से अपने पहाड से एक भावनात्मक लगाव तो बना रहेगा। कहती हैं कि चाइनीज व फास्ट फूड के इस दौर में पहाड के पारम्परिक व्यंजनो के स्वाद को लोगों तक पहुंचने में भले ही ज्यादा समय लगेगा परंतु उन्हें उम्मीद है की जरूर लोगों को उनके बनाये व्यंजन पसंद आयेंगे।
अगर आप भी उत्तराखंड के पारम्परिक व्यंजनो के स्वाद का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो चले आइए दीपिका डोभाल के देहरादून- शास्त्रीनगर में बूढ़ दादी (ट्रेडिशनल हेल्थी फ़ूड क्लाउड किचन) रसोई में।
कोशिश कीजिए की पहाड के पारम्परिक व्यंजनो की ये सौंधी खुशबु उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में अपनी पहचान बनाये। आप त्यौहार, घर के खुशी के मौके, शादी ब्याह, नामकरण, जन्मदिन सहित विभिन्न आयोजनो पर पहाड के पारम्परिक व्यंजनों के लिए आर्डर भी दे सकते हैं। आप सबके सहयोग से ही दीपिका डोभाल जैसी मात्रशक्ति को प्रोत्साहन मिल सकेगा। तो जरूर एक बार पहुंचे दीपिका डोभाल के बूढ दादी रसोई..
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