हरदा बोले ब्राह्मण जनों की चर्चा से बौखला गए महेंद्र भट्ट

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ब्राह्मण प्रेम बयान के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट आमने सामने हैं महेन्द्र भट्ट ने हरीश रावत के ब्राह्मण प्रेम को ढोंग बताया है भट्ट ने तंज कसते हुए कहा कि हरीश रावत का ब्रहामण प्रेम तब सबने देखा था जब पंडित नारायण दत्त तिवारी और बहुगुणा मुख्यमंत्री थे उसके बाद हरीश रावत ने महेंद्र भट्ट के जबाब में एक पोस्ट लिखी 

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भाजपा के माननीय प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट जी, आदरणीय ब्राह्मण जनों की चर्चा करते ही इतना बौखला गये कि उन्होंने मुझ पर जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप जड़ दिया।
मैंने, आदरणीय #ब्राह्मणजनों को उदार, सहिष्णु, समन्वयवादी व सनातन परंपरा का ध्वजवाहक बताया। यदि मेरी इस समझ में श्री भट्ट को कुछ आपत्ति है तो अवश्य बताएं! लगता है श्री भट्ट को इसलिए गुस्सा आया क्योंकि मैंने कांग्रेस और ब्राह्मणों के लंबे ऐतिहासिक स्वभावगत संबंधों की चर्चा कर दी। भट्ट जी मैंने केवल ऐतिहासिक तथ्य रखे हैं। उत्तराखंड हो या देश, कांग्रेस और तत्कालीन ख्याति प्राप्त समस्त ब्राह्मण जनों का एक लंबा पारस्परिक जुड़ाव रहा है। भट्ट जी मैंने तो कुछ ही नाम गिनाए हैं, इसी में आप इतने बेचैन हो गए? यदि मैं सारी ऐतिहासिक लंबी सूची को बताने लगूं तो निश्चय ही आप और आपकी पार्टी को राजनीतिक दस्त लग जाएंगे।
आपकी पार्टी ने तो उत्तराखंड के ब्राह्मण समाज के साथ इतना न्याय किया कि परम विद्वान, पूज्यनीय डाॅ. मुरली मनोहर जोशी जी को राजनीतिक वियावन में डाल दिया है। आप बार-बार श्री नारायण दत्त तिवारी जी का नाम ले रहे हैं, अच्छी बात है। परंतु इतना भर तो बताइये इन 11 सालों में आपकी सरकार को श्री तिवारी जी व बहुगुणा जी को राष्ट्रीय अलंकरण से अलंकृत करने का ख्याल नहीं आया?
आपकी सरकार को चाहिए था कि राष्ट्र निर्माण में श्री नारायण दत्त तिवारी जी एवं श्री हेमवती नंदन बहुगुणा जी के अभूतपूर्व योगदान को देखते हुये उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित करते, नहीं तो कम से कम “पद्म विभूषण” से सम्मानित किया ही जाना चाहिए था।
श्री भट्ट जी, आप बार-बार बहुगुणा-बहुगुणा कह रहे हैं। देश और दुनिया श्री हेमवती नंदन बहुगुणा नाम के व्यक्ति को जानती है। यह वहीं व्यक्ति हैं जिन्होंने आरएसएस की दोहरी सदस्यता के प्रश्न पर जनता पार्टी और उसकी सरकार तोड़ दी थी। श्री हेमवती नंदन बहुगुणा जी कौमी एकता के प्रतीक थे। उनके बहु-आयामी व्यक्तित्व के इस महान गुण को दुनिया नमन करती है। आपकी पार्टी ने बहुगुणा जी के परिवार को तो अपनी गोद में उठा लिया, परन्तु श्री हेमवती नंदन बहुगुणा जी के नाम को अपने माथे पर लगाने और सम्मानित करने के लिए आपकी पार्टी व सरकार तैयार नहीं है।
श्री कौटिल्य से लेकर आज तक ब्राह्मण ने हमेशा हक व न्याय का साथ दिया है और लड़ाई लड़ी है। यदि मैंने भी जब कभी आवाज उठाई है तो हक और न्याय के लिए उठाई है। आपकी सरकार का ब्राह्मण प्रेम तो इतना खोखला है कि हमारी सरकार द्वारा प्रारंभ की गई पुरोहित पेंशन और वेदपाठी ब्राह्मणों के लिए छात्रवृत्ति की योजना को आपकी सरकार ने बंद कर दिया।

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