कलश यात्रा के साथ देवी भागवत कथा का शुभारंभ,आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं की मधुरवाणी सुनने के लिए आप भी आएं अखिल गढ़वाल महासभा देहरादून

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आज नेशविला रोड में जन कल्याण के लिए समस्त क्षेत्रवासियों व महिला कल्याण समिति के द्वारा आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा से पूर्व सैकड़ों की संख्या में पीत और रक्त वस्त्र में सिर पर कलश लिए हुए दुर्गा की जय मैया की जय भजन गायन करते हुए गढ़वाल सभा भवन मां जगदंबा का अभिषेक के बाद पूजन और कथा का शुभारंभ हुआ जिसमें ज्योतिषपीठ व्यास पद से अलंकृत प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगांई जी ने कहा वैदिक काल में धर्म का स्वरूप देव स्तुति परक रहा है , वैदिक देवता प्राकृतिक शक्तियों के स्वामी है तथा अपने ईश्वरी की अनुदान के प्राणियों को उपकृत करते हैं। कभी-कभी कुपित होकर बाढ़ अकाल आदि प्राकृतिक बाधाओं के रूप में प्राणियों को दंडित भी करते हैं ।वेद इन देवताओं से ऐश्वर्य समृद्धि की प्राप्ति तथा भय मुक्ति के लिए इनकी स्तुति का निदर्शन करते हैं। इस प्रकार वैदिक धर्म उपासनात्मक धर्म है। उपनिषदों में वेद प्रतिपादित प्रवृत्ति मार्ग यहलौकिक अभ्युदय से निवृत्ति मार्ग मोक्ष की ओर प्रस्थान किया गया और धर्म को आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान किया गया है।हिंदू धर्म कोश के अनुसार स्मृतियों में धर्म के स्वरूप का साधारण क्रम यह है कि पहले साधारण धर्म का वर्णन किया गया है। जिसका जगत के सभी प्राणियों द्वारा अनुपालन करना उचित है। जिसके पालन से समाज की रक्षा होती है। यह धर्म आस्तिक और नास्तिक दोनों पक्षों को मान्य होता है। फिर समाज की स्थिति के लिए जीवन के विविध व्यापारों और अव्यवस्थाओं वर्णों आश्रमों के कर्तव्यों का धर्म के रूप में निर्देश किया जाता है। इसको ही विशिष्ट धर्म कहते हैं ।जिससे मनुष्य संयमी होजाता है संयमी जीवन ही संस्कारों को सम्पन्न करता है और संस्कारों का फल होता है शरीर और आत्मा का उत्तरोत्तर विकास। धर्म सन्मार्ग का प्रथम उपदेश है अभ्युदय लिए नियम है, संयम उस आदेश का नियम पालन है संस्कार उन संयमों का सामूहिक फल है और किसी देश काल और और नियमित में विशेष प्रकार को उन्नत अवस्था में प्रवेश करने का द्वार है सब संस्कारों का अंतिम परिणाम व्यक्तित्व का विकास है। लक्ष्मी आज विशेष रूप से महिला कल्याण समिति अध्यक्ष लक्ष्मी बहुगुणा महासचिव सुजाता पाटनी देवेश्वरी बम्पाल सरस्वरती रतूड़ी सुषमा थपलियाल रोशनी नंदा तिवारी रेखा संतोष गैरोला मीना सेमवाल सशि सती रजनी राणा चन्दरबल्लभ बछेती मंजू चंदा बडोनी उषा भट्ट आशा रावत शकुंतला रावत अनिता भट्ट सिमा थपलियाल रमेश जखवाल जी आदि भक्त गण उपस्थित थे

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