*कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ भागवत बुढना
शिष्य प्रशिष्य की शाखाओं से सुखदेव जी की झोली से जिसे सुखदेव जी ने जूठा किया हो जिसमे अठारह हजार ईश्लोक आठ और एक नौ होता है जो पूर्णांक हैं जो ठाकुर श्याम सुंदर की वांगमई मूर्ति जिसके मूल मे भक्ति की कथा हैं अर्थात मानव जीवन के मूल मे भक्ति होनी चाहिए जो की एक देवता एक धर्म नही पूरे ब्रह्माण्ड के रक्षण करने वाले श्याम सुंदर हैं राधा जो जिसे चौबीस घंटे भगवान अपने उपर पीताम्बर के रूप मे ओढ़ कर रखते हैं कथा यज्ञा भगवात् से पूर्व कलश यात्रा का मतलब पीताम्बर रूप राधा स्वरूप ह तो जल धारा को उल्टा कर दिया जाये तो राधा हो जाता है सिर पर रखे हुए जल कलश लड्डू गोपाल के रूप मे भगवान का स्नान करना राधा कृष्ण के रूप मे भगवान का मेल करने पर सप्ताह यज्ञ सफल होता है हार व्यवहार चारित्रिक दोषी को बढ़ावा देने वाला धुंधकारी हैं यह बात ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य. शिव प्रसाद मामगाई जी ने ग्राम पंचायत बुढ़ना जखोली परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण मे व्यक्त किये कथा से पूर्ब निकली गयी शोभा यात्रा मे पिले वास्त्रों से सुसज्जित महिलाओ द्वारा निकली जिसमे ढोल दामऊ की थाप के साथ शोभा यात्रा कथा पंडाल तक पहुंची इस कथा को सुनने के बाद गौ करण जो की सरल स्वभाव का व्यक्ति माता पिता के साहित समाज के दोषों को दूर करे वहि गौ करण हैं भागवत को भागवत बनाये रखने की प्रार्थना आचार्य ममगाई ने करी मनोरंजन नही मनोभंजन के लिए भागवत होती हैं जितने श्रोता आते हैं उनके पितृ का भी तारण श्रवण करने से हो जाता है या उनकी हर मनोरथ सिद्धि होती है गायन मे भी भागवत मे कीर्तन मन को प्रसन्न करता हैं किंतु प्रसंग संबंधित होनी चाहिए स्लोक बद्ध कथा करना श्रवण करने वालो के लिए रक्षा कवच होता है पूजन परायण पाठो का या जप का होना कथा की पूर्ति या उसमे पूर्णता लाने का काम करता ह उत्तराखंड से भगवती गंगा प्रवाहित हुई हैं जिसने पूरे विश्व को अभिशिचित किया इसलिए यहां कथा बोलने का सबका अधिकार हैं योग समाधी से सभी फल प्राप्त होते हैं जो नही प्राप्त होते उसकी पूर्ति भागवत से होती हैं श्रोता वक़्ता कर्ता तीनो पावान होते हैं कर्ता की श्रद्धा वक़्ता का कर्म श्रोताओ की भावना से श्रीमद्भागवत कथा सफल होती है आदि प्रसंगो पर बोलते हुए आचार्य श्री ने भक्तो को भाव विभोर किया
इस अवसर रूक्मणी नैथानी जितेंद्र नैथानी अनेन्द्र नैथानी प्रधानश्रीमति आरती नैथानी पार्वती नैथानी आचार्य गिता राम नैथानी विनय नैथानी अनिल नैथानी सतीश नैथानी आचार्य सन्दीप बहुगुणा आचार्य सूरज पाठक आचार्य राम प्रसाद ममगांई आचार्य हिमांशु मैठानी आचार्य जितेंद्र ममगांई अनिल चमोली भानु प्रसाद नैथानी केदार दत्त डंगवाल देवेन्द्र प्रसाद सेमवाल विरेन्द्र बडोनी बुद्धि राम कौठारी प्रदीप गैरोला गणेश डंगवाल अखलेश लोकश रुद्राक्ष देवांशी शिवांशी सुरेन्द्र सेमवाल गणेश डंगवाल रावल बसंत सिंह रावत सूरज नैथानी श्री कृष्ण नैथानी प्रेम प्रकाश नैथानी कुन्दन सिंह पंवार दौलत सिंह गहरवार राजेन्द्र कंडवाल भगवान सिंह राणा गोविन्द सिंह कैन्तुरा सुनील नौटियाल आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित थे।।