देश की मुख्यधारा से जुड़ी जनपद चमोली की सीमांत घेस घाटी

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वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन बिष्ट की फेसबुक वॉल से

देश की मुख्यधारा से जुड़ी जनपद चमोली की सीमांत घेस घाटी

-घाटी के नवनिर्मित मोबाइल टावरों में पहुंचीं सिग्नल की सांसें

देहरादून। मित्रों आज का दिन मेरे लिए एक बहुत ही उपलब्धियों भरा दिन है। मैं कहूं मेरे लिए ही नहीं बल्कि जनपद चमोली की सबसे अविकसित मानी जाने वाली त्रिशूल हिमालय की तलहटी में बसी घेस घाटी जिसमें आज 4 ग्राम पंचायत घेस, हिमनी, बलाण और पिनाऊं हैं, के लिए एक उल्लास का दिन है। हो भी क्यों नहीं आज हमारा एक ऐसा सपना पूरा हो गया है जिसे हम पिछले कई वर्षों से देख रहे थे। हमारा यह सीमांत क्षेत्र आज जीओ के मोबाइल नेटवर्क से जुड़ गया है। अब हमारे क्षेत्र के लोगों को फोन करने के लिए धार-धारों में नेटवर्क सर्च नहीं करना पड़ेगा।
आज सुबह 11:00 बजे के करीब घेस के भरतपुर और हिमनी के मल्ला बहतरा में बने टावरों ने जब मोबाइल सिगनल प्रसारित किए तो लोगों के फोन घनघनाने लगे।
यहां तक मोबाइल सिग्नल पहुंचने की यह यात्रा काफी मुश्किल भरी रही। 2017 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी घेस के पहले दौरे पर गए तो उन्होंने क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को देखते हुए पहला बैलून टावर यहां लगाने की घोषणा की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश जिस कंपनी ने बैलून टावर लगाने की बात की थी उस कंपनी का वह प्रयोग विफल हो गया जिसकी वजह से क्षेत्र के लोगों को मायूसी झेलनी पड़ी। कुछ वर्ष बाद तब फिर उम्मीद जगी जब त्रिवेंद्र सरकार ने प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटरों को टावर लगाने के लिए 40-40 लाख रुपए की सरकारी मदद देने का निर्णय लिया। उस निर्णय के बाद क्षेत्र के लोगों ने जिओ कंपनी से संपर्क साधा।
इस मुहिम में विकासखंड देवाल के युवा प्रमुख डॉ दर्शन दानू की पहल सराहनीय है। दर्शन दानू ने लगातार जिओ कंपनी के अधिकारियों के साथ संवाद जारी रखा और उसके बाद 2 महीने पहले वहां टावर बनकर तैयार हो गए। टावर लगने के तुरंत बाद है सिग्नल देना संभव नहीं था तो बहुत सारे लोग फिर प्रतिकूल प्रतिक्रिया भी व्यक्त करने लगे। यह स्वाभाविक भी था क्योंकि स्थानीय लोग पिछले वर्षों में बार-बार सरकारी कार्यप्रणाली की विफलता से परेशान भी रहे हैं।
आज जब मूकदर्शक और बेजान खड़े इन टावरों पर सिग्नल की सांसें पहुंची तो क्षेत्र के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ऐसा लगा कि मानो इन टावरों को सिग्नल की सांसें मिलने से समूची घेस घाटी को नया जीवन मिल गया है।
अब सीमांत क्षेत्र के देश और दुनिया के मुख्यधारा से जुड़ जाने के बाद यहां होने वाली तमाम तरह की परेशानियों का समय रहते हल हो जाएगा। पिछले वर्षों में यह क्षेत्र सड़क मार्ग से जुड़ गया है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल से इस क्षेत्र को ग्रिड की विद्युत लाइन से भी जोड़ा जा चुका है। अब संचार सुविधाएं मिल जाने के बाद यह दूरस्थ क्षेत्र न केवल पर्यटकों की पसंद बनेगा बल्कि स्थानीय लोगों की दुश्वारियों को भी काफी हद तक कम करेगा। मेरा मानना है कि प्रमुख डा. दर्शन दानू के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से यह भी एक है। हालांकि दर्शन की पहल पर आज पिंडर घाटी की वर्षों से रुकी हुई सड़क भी काफी आगे जा चुकी है और कई दूसरे प्रयास भी दर्शन के कार्यकाल में हो रहे हैं। आने वाले वर्षों में जिसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
बहुत सारे साथी टावर के लिए मुझे भी बधाई दे रहे हैं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि पिंडर घाटी की सड़क हो या घेस क्षेत्र में संचार सुविधाओं का विस्तार, मेरा योगदान मात्र उस गिलहरी की तरह है जो रामेश्वरम में रामसेतु के निर्माण के लिए सच्ची निष्ठा से पुल बनने की कामना करते हुए मिट्टी के छोटे-छोटे ढेले आगे बढ़ा रही थी। बाकी सारा श्रेय हनुमान रूपी दर्शन दानू और उनकी बानर सेना को जाता है। क्षेत्र के समस्त लोगों को बधाई के साथ मैं दर्शन दानू और उनकी टीम को इस सफलता के लिए हृदय से बधाइयां देना चाहता हूं। आप आगे भी इसी तरह इस विकासखंड के दूसरे गांवों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए मन से काम करेंगे ऐसी मुझे उम्मीद है।।।

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