एचएनबी विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग द्वारा आयोजित फैकेल्टी कार्यक्रम में देश विदेश के भूगोल विशेषज्ञों ने लिया भाग-क्या खास रहा कार्यक्रम में देखें पूरी खबर

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ओपन सोर्स क्यू जी आई एस के सोलहवें सत्र की अध्यक्षता प्रो.वी.पी. सती विभागाध्यक्ष भूगोल मिजोरम विश्वविद्यालय आईजोल एवं को-चेयरमैन के रूप में गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग श्रीनगर परिसर में शिक्षक के रूप में कार्यरत डॉ राजेश भट्ट ने की. इस अवसर पर प्रो.सती ने कहा रिमोट सेंसिंग जीआईएस तथा क्यू-जीआई एस का भूगोल मैं किस तरह से इसका उपयोग किया जा रहा है, इस पर अपने विचार रखें. गुणवत्ता व शुद्धता के लिए इन सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाना बहुत आवश्यक है. कार्यक्रम के को-चेयरमैन डॉ.राजेश भट्ट ने कहां एक अच्छे भूगोल बेता को अच्छा मानचित्र कार, विषय का ज्ञान व सॉफ्टवेयर में कमांड होना आवश्यक है. इस सत्र के विषय विशेषज्ञ के रूप में राजेश कुमार अभय जो दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं ने मोबाइल फोटो एवं जीपीएस आंकड़ों को किस प्रकार से मानचित्र में जोड़ा जाता है पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया तथा प्रयोगात्मक कार्य भी संपन्न करवाएं.सत्रहवें सत्र के चेयरमैन मनोज कुमार पटारिया जो साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग भारत सरकार में उच्च अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं ने अपने संबोधन में कहां आने वाला समय जीआईएस का है भूगोल सहित अन्य विभिन्न प्लेटफार्म पर इसे उपयोग किया जाना इसकी महत्ता को सिद्ध करता है. इस सत्र के को-चेयरमैन के रूप में गढ़वाल विश्वविद्यालय में भौतिकी विज्ञान विभाग में फैकल्टी के रूप में कार्यरत डॉ मनीष उनियाल ने कहा ज्योग्राफी, जिओ- फिजिक्स मैं नए नए सॉफ्टवेयर से अध्ययन में सुविधा तो हो ही रही है शुद्धता भी आ रही है कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ के रूप में इस सत्र में प्रमुख भूवैज्ञानिक डॉ जे बी. घिल्डियाल ने तथा जीआईएस, बिल्डिंग इनफॉरमेशन मॉडलिंग, ट्रांसफॉर्मिंग एंड प्रोजेक्ट लाइफसाईकिल पर महत्वपूर्ण प्रस्तुतिकरण दिया.
अठारहवेंरवें सत्र की अध्यक्षता प्रमुख पुरातत्व वेता एवं स्कूल ऑफ सोशल साइंस एंड ह्यूमैनिटीज के पूर्व डीन प्रोफेसर विनोद नौटियाल एवं को-चेयरमैन के रूप में प्रख्यात मेडिकल सर्जन जिन्होंने हाल में स्प्रिचवल हेल्थ पर प्रमुख पुस्तक लिखी है डॉ महेश भट्ट ने की तथा इस सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में मोनिका कनान रही. प्रो0 विनोद नौटियाल ने अपने संबोधन में कहा जीआईएस का उपयोग भूगोल ही नहीं आर्कोलॉजी के क्षेत्र में भी प्रमुखता से किया जा रहा है पुराने लैंडस्केप, सेटलमेंट, का अध्ययन इससे काफी आसान हो जाता है. इसके उपयोग ने पुरातत्व क्षेत्र के अध्ययन को एक नया ही आयाम दे दिया है. इस अवसर पर डॉ महेश भट्ट ने जीआईएस का हेल्थ सिस्टम मैं किस प्रकार से उपयोग किया जा रहा है. मेडिकल क्षेत्र में आपदा का आकलन कर उसके प्रबंधन की योजना में यह काफी सहायक है. डॉ मोनिका कनान ने राजस्थान के मानचित्र में कोरोप्लेथ, जिओरिपेरेनसिग, स्केल फोटोग्राफ को मानचित्र में कैसे सेट किया जाता है उसकी डिजाइनिंग के बारे में विस्तार से बताया. इस कार्यक्रम के मुख्य मास्टर ट्रेनर के रूप में डॉ दलजीत जो दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं ने डिजिटल इमेज क्यू- जीआईएफ से मैपिंग करना बताया.अठारहवें सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर आई.वी. मुरलीकृष्णन ने की जो डीआरडीओ सहित देश की विभिन्न संस्थाओं के महत्वपूर्ण अधिकारी रहे हैं ने अपने संबोधन में कहा समाज में बढ़ती हुई चुनौतियों का सामनाकरने में जीआईएस की महत्वपूर्ण भूमिका है विकास के अनेक पहलू में इसके उपयोग पर्याप्त संभावनाएं हैं को- चेयरमैन के रूप में हे न ब गढ़वाल विश्वविद्यालय पौड़ी परिसर में विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान प्रोफेसर प्रभाकर बडोनी ने आपदा प्रबंधन के साथ ही आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में खतरों के प्रबंधन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है इस सत्र के विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर सुदर्शन कांडले ने प्रस्तुतीकरण में जी आई एस डेटा का उपयोग करना बताया डी इ एम तथा विभिन्न मॉडलों के माध्यम से उनमे होने वाले बदलाव को समझाया. अगले सत्र की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के प्रो बैद्य व को चेयरमैन शहीद भगत सिंह कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग में एसोसिएट प्रो एस.के बंदूनी थे. इस सत्र में अवसर पर प्रतिभागियों से अबतक के कार्यक्रम के संबंध में फीडबैक लिया गया जिसमें सभी प्रतिभागियों ने इस सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम को उत्कृष्ट,अनुशासित कार्यक्रम बताया. प्रोफेसर वैद्य ने कहां प्रतिभागियों के फीड बेक से स्पष्ट होता है कार्यक्रम बहुत उच्च स्तर का रहा निश्चित रूप से जीआईएस जीपीएस को प्रतिभागियों ने अच्छी तरह से सीखा होगाडॉ बंदूनि ने जी आई एस की उपयोगिता को समझाया. समापन समारोह से पूर्व के सत्र मे प्रमुख भूगोलवेता उदयपुर विश्वविद्यालय में पूर्व में डीन एवं विभागाध्यक्ष भूगोल प्रो.पी.आर व्यास ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया.कार्यक्रम के चेयरमैन प्रमुख भूगोलबेता विभागाध्यक्ष भूगोल इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर यार सिद्धकी तथा को -चेयरमैन दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉक्टर वी डब्लू पांडे थे. प्रोफेसर सिद्दीकी ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की बहुत सराहना की. ओपन सोर्स क्यू जी आई एस महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर हैं.
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