बुझ गई पहाड़ देश की साहित्यिक की जलती लालटेन-नही रहे प्रसिद्ध कवि और लेखक मंगलेश डबराल-मंगलेश डबराल जी के बारे में

वरिष्ठ कवि और लेखक मंगलेश डबराल का बुधवार को निधन हो गया। वे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे, जिसके बाद उन्हें गाजियाबाद के वसुंधरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलेश डबराल को साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका था। बता दें कि मंगलेश डबराल समकालीन हिंदी कवियों में सबसे चर्चित नाम थे। उनका जन्म 14 मई 1948 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड के काफलपानी गांव में हुआ था। इसके बाद, उनकी शिक्षा देहरादून में हुई।

(उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, अर्जून मुंडा, और प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने मंगेश डबराल को ट्वीट के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की)

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मंगलेश डबराल जनसत्ता के साहित्य संपादक भी रह चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने कुछ समय तक लखनऊ से प्रकाशित होने वाले अमृत प्रभात में भी नौकरी की। इस समय वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए थे।
मंगलेश डबराल की पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनके नाम- पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु है। इसके अलावा, इनके दो गद्य संग्रह- लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन भी प्रकाशित हो चुका है।