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मजदूरों की फोटो |
कुलदीप सिंह बिष्ट (, पौड़ी) पौड़ी- देश के साथ पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए लॉक डाउन किया गया है,और केंद्र और राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अपील की जाती है।

, कि जो व्यक्ति जहां है वही रहे उन सभी मजदूरों और लोगों को वहीं पर राज्य सरकार द्वारा आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। मगर इन तमाम घोषणाओं और योजनाओं की पोल खुलती हुई दिखाई पड़ रही है, जिला मुख्यालय पौड़ी से मात्र 24 किलोमीटर दूर स्थित पाबौ में 15 से 20 मजदूर ऐसे फंसे हैं, जो धीयाडी मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे थे, बिहार प्रदेश के किशनगंज जिले के रहने वाले ये मजदूर लॉक डाउन शुरू होने से ही जिला प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहे हैं,

(अंशुल सिंह, उपजिलाधिकारी, पौड़ी)
इन मजदूरों तक लॉक डाउन के दूसरे चरण लग जाने के बावजूद भी अब तक कोई भी सरकारी सुविधा मजदूरों तक नहीं पहुंच पाई है, अब्दुल कमान बताते हैं कि दिहाड़ी मजदूरी ही इनका जीवन यापन का मुख्य साधन है,मगर लोक डाउन के बाद तो जैसे इनकी आमदनी में ब्रेक ही लग गया है, जिसके कारण इन्हें दो वक्त के खाने के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है, ये लोग जैसे तैसे करके आपने दिन काट रहे हैं तो वही महेश्वरी बेगम ने बताया कि लॉक डाउन के बाद जहां इनकी आमदनी ना के बराबर है जिसके कारण इन्हें परिवार का पालन पोषण करने में बहुत दिक्कत हो रही है जिला प्रशासन द्वारा इनको अब तक कोई भी राहत सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई है तो वही आलम राय ने बताया कि इन मजदूरों ने तीन बार ग्राम प्रधान को लिखित देकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया है मगर प्रधान द्वारा 15 दिन बीत जाने के बाद भी उनकी कोई सुध नहीं ली गई है, जो कि बहुत ही सोचनीय ओर अति गम्भीर विषय है जहां जिला प्रशासन तमाम योजनाएं लॉक डाउन के वक्त ऐसी बेघर मजदूरों के लिए चला रहा है मगर उसके बावजूद भी ऐसे कई मजदूर हैं जो बिना राशन पानी के ही जीवन यापन करने के लिए मजबूर है यह मजदूर अब जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इन्हें जैसे तैसे करके इनके प्रदेश वापस भेजने की व्यवस्था की जाए। इस पूरे मामले में उपजिलाधिकारी अंशुल सिंह का कहना है कि जल्द से जल्द इन मजदूरों तक राहत सामग्री जिला प्रशासन द्वारा पहुंचाई जाएगी । मगर सवाल भी जिला प्रशासन की योजनाओं में सवालिया निशान खड़ा करता है कि अब तक मजदूरों द्वारा अवगत कराने के बाद भी इन मजदूरों की सुविधा ग्राम प्रधान और जिला प्रशासन द्वारा क्यों नहीं ली गई ।
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