लाख परेशानियों के बाद भी मानवता के लिए दिन रात कर रहे कोरोना योद्धा काम-उत्तराखणड करता इन योद्धाओं को सलाम

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण भारत समेत विश्व के अनेक देशों में कोहराम मचा हुआ है। देश के लगभग सभी राज्यों में दिन प्रतिदिन करोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेहद संक्रामक और अधिक जानलेवा है जिसके कारण अभी तक लाखों लोग समय से पहले ही दम तोड़ चुके हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एक और केंद्र सरकार कोरोना वैक्सीनेशन का कार्यक्रम चला रही है वही कोरोना वायरस की घातक होती रफ्तार लोगों की लगातार जान ले रही है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर देवभूमि उत्तराखंड मैं भी नित नए कीर्तिमान बना रही है ।प्रदेश के सबसे विकसित जिले देहरादून व हरिद्वार,उद्मसिंहनगर,नैनीताल खतरनाक वायरस की सबसे ज्यादा त्रासदी से ग्रसित हो गए हैं। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में आम जनता को कोरोना जांच से लेकर सामान्य बैड, आईसीयू बैड और वेंटीलेटर के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। अभी तक कई लोग बिना इलाज के दम तोड़ चुके हैं। जिससे राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है।

दून अस्पताल के जज्बे को सलाम

पिछले 1 साल से अधिक समय से प्रदेश के सबसे बड़े कोविड19 अस्पताल दून में अभी तक हजारों मरीज अपना इलाज करा कर ठीक हो चुके हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत समेत कई दिग्गज नेता , समाजसेवी व आम जनता शामिल है। कोविड मरीजों की सेवा में तल्लीन यहां के कोरोना योद्धाओं में प्रशासनिक अधिकारी से लेकर जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर, नर्स वार्ड बॉय और सफाई कर्मचारी प्रमुख है।
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कोरोना मरीजों की हर समस्या का समाधान के लिए समर्पित हैं सीपीआरओ महेंद्र भंडारी
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दून अस्पताल के सीनियर जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी पिछले 1 साल से अधिक समय से कोरोना संक्रमित मरीजों व उनके तीमारदारों की हर समस्या का समाधान करने का अथक प्रयास करने में जुटे हुए हैं,लेकिन इस बार कोरोना वायरस की दूसरी लहर में जब अस्पताल मैं मरीजों की संख्या अत्यधिक हो गई है तब भी वह अपना कर्तव्य पूरी तरह से निभा रहे हैं। सरल व्यवहार के धनी महेंद्र भंडारी इस बार दोहरी परेशानी से जूझने के बावजूद सुबह से शाम तक एक हजार से अधिक फोन रिसीव करते हैं और उनका समाधान करने का भरसक प्रयास करते हैं। घर में पत्नी बीमार होने के बावजूद 12 घंटे अस्पताल में काम कर रहे हैं रात में किसी भी वक्त वह जरूरत पर अस्पताल पहुंचते हैं भर्ती से लेकर वार्ड में किसी भी जरूरत का समाधान करते हैं।
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पी आर ओ संदीप राणा कोरोना मरीजों के लिए बने देवदूत
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पिछले 1 साल से अधिक समय से कोविड मरीजों की सेवा में तल्लीन संदीप राणा अभी तक हजारों मरीजों वह उनके तीमारदारों के देवदूत बनकर काम कर रहे हैं। दिनभर रोजाना 15 सौ से अधिक फोन रिसीव कर उनकी समस्याओं का समाधान करने का अथक प्रयास कर रहे हैं। संदीप राणा पिछले 1 माह से अपने घर नहीं जा पाए हैं ।कोरोना संक्रमण की सबसे ज्यादा संभावना के बावजूद उन्होंने मानव सेवा के लिए अस्पताल को ही अपना घर बना दिया है। देर रात वह जब थक जाते हैं तो दून अस्पताल के किसी कोने में लेट जाते हैं। कोरोना मरीजों की केयर से लेकर भर्ती करने और मृत्यु होने पर उनका अंतिम संस्कार तक का काम संदीप करते आ रहे हैं।
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अभय नेगी की पत्नी कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद भी डटे है ड्यूटी पर
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दून अस्पताल में सिटी स्कैन प्रभारी अभय नेगी अपने कर्तव्य का पालन पूरी शिद्दत के साथ निभा रहे हैं ।उनकी पत्नी खुद पॉजिटिव है और वार्ड में भर्ती है लेकिन इसके बावजूद बच्चों को दादी- नानी के पास छोड़कर खुद को विभाग के एक रूम में शिफ्ट कर दिन रात कोरोना मरीजों का सिटी स्कैन कर काम में जुटे हैं ।मधुर व्यवहार के धनी अभय नेगी मानव सेवा में इस प्रकार जुटे हैं कि जैसे वहां किसी मिशन पर हो।
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पिता के संक्रमित होने की बाद भी ड्यूटी पर मुस्तैद है सचिन।
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दून अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट तकनीशियन के पिता कोरोना संक्रमित है साथ ही उनके परिवार के एक सदस्य की मौत भी हो चुकी है और कई सदस्य संक्रमित है, लेकिन इसके बावजूद सचिन पूरे जज्बे के साथ अपने कार्य में जुटे हैं और पिछले कई दिनों से वह अपने घर भी नहीं गए हैं। कोरोना मरीजों का उनके पास रिपोर्ट लेने के लिए हर वक्त फोन बजता है और वह मुस्तैदी के साथ अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं।
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पीआरओ गौरव मुस्कुराते हुए निभा रहे हैं ड्यूटी
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करोना काल में कोविड मरीजों की सेवा के लिए सुबह 8 बजे से लेकर रात्रि 11 बजे तक अस्पताल के कोने -कोने का 10 चक्कर लगाने के बाद भी गौरव चौहान के पैर नहीं थकते। काम करने का जज्बा ऐसा की मुस्कुराहट से हर मरीज की रिपोर्ट तीमारदार को देते हैं और खुद का भी तनाव कम करते हैं।
प्रदेश के सबसे बड़े कोविड अस्पताल होने के कारण दून अस्पताल पर मरीजों के उचित इलाज वह प्रबंधन की बड़ी जिम्मेदारी है ।इस जिम्मेदारी को दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना बखूबी निभा रहे हैं ।उनकी टीम में शामिल अस्पताल के एमएस डॉक्टर के.सी पंत डिप्टी सी एम एस डॉ एन एस खत्री, डॉ जीपी गोगोई, नोडल अधिकारी डॉ अनुराग अग्रवाल, एमडी मेडिसिन डाॅ. नारायण जीत समेत सभी पीआरओ व कोविड केयर मैं लगे डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, सफाई कर्मचारी शामिल है। डॉक्टर सयाना इन सब हेल्थ केयर वर्करों की तारीफ करते नहीं थकते और खुद भी अस्पताल की एक-एक व्यवस्थाओं पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।
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लापरवाही से हुआ प्रदेश में कोरोना विस्फोट
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पिछले 1 साल से अधिक समय से कोरोना संक्रमण के कारण सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूल कॉलेज समेत सभी प्रतिष्ठानों सामाजिक गतिविधियों पर अंकुश सा लगा हुआ था लेकिन बीच में कोरोना संक्रमण के मामले कम होने और कोरोना वैक्सीनेशन ने लोगों को लगातार लापरवाह बना दिया जिससे राज्य सरकार वह केंद्र सरकार भी लापरवाह नजर आई 1 साल से अधिक समय से कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी से जूझने के बावजूद भी केंद्र सरकार वह राज्य सरकार कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए व्यापक प्रबंध करने में नाकामयाब साबित हुई ।देश के लगभग सभी राज्यों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में अस्पतालों की व्यवस्थाओं की पोल उस वक्त खुल गई जब आम मरीजों के लिए अस्पतालों के पास ऑक्सीजन तक उपलब्ध नहीं हो पाई। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री कोविड केयर फंड में अरबों रुपए जमा होने के बावजूद केंद्र सरकार राज्यों के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट तक नहीं लगा पाई जो केंद्र व राज्य सरकारों की लापरवाही का एक जीता जागता उदाहरण है। ऑक्सीजन की कमी के कारण देश में हर दिन कई मरीजों की जान चली जा रही है लेकिन केंद्र व राज्यों की सरकार है अभी भी कोई ठोस फैसला नहीं ले पा रही है।
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कुंभ मेला व राजनीतिक रैलियां, कार्यक्रम बनी प्रदेश में कोरोना ना संक्रमण का बड़ा कारण
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प्रदेश में मुख्यमंत्री के बदलाव में फंसी भाजपा सरकार कोरोना संक्रमण रोकने में नाकामयाब साबित हुई है पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जहां हरिद्वार महाकुंभ मेले को सीमित और मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए कोरोना की आरटी पी सी आर नेगेटिव रिपोर्ट के बिना प्रवेश नहीं करने के आदेश जारी किए थे। वही नए निजाम तीरथ सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री के फैसले को उलटते हुए सभी लोगों को बिना जांच के कुंभ मेले में आने का न्योता दे दिया ।भले ही बाद में इस फैसले को संशोधित करते हुए उन्होंने मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए आरटी पीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ आने का आदेश जारी किया लेकिन उससे पहले किए गए स्नानों में भारी भीड़ जुट गई थी जिसका प्रभाव सीधे तौर पर देहरादून व हरिद्वार जिले में दिखाई दिया, जहां पर तेजी से कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आने लगे और अब स्थिति यह हो गई है की आए दिन पांच हजार से अधिक मामले कोरोना संक्रमण के सामने आ रहे हैं जबकि मौत का आंकड़ा भी 5 से 6 गुना बढ़ चुका है और रिकवरी प्रतिशत भी लगातार घटता जा रहा है। चिकित्सकों की माने तो कोरोना वायरस की चैन को तोड़ने के लिए कम से कम 2 हफ्ते से अधिक का पूर्ण लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए तभी स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है।
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