
मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में अभी तक 61 कोराना पॉजिटीव केस रिपोर्ट किए गए हैं। इनमें से 39 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं। इस प्रकार वर्तमान में एक्टीव केस 21 हैं। हमारी डबलिंग रेट लगभग 40 दिन है। प्रदेश में रिकवरी दर 65 प्रतिशत है। इस हिसाब से उत्तराखण्ड देश के अग्रणी राज्यों में है।

मार्च में हमारे यहां कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग सुविधा नहीं थी। अब राज्य में 4 टेस्टिंग लेब हैं। इनकी प्रतिदिन टेस्टिंग क्षमता 500 के करीब है। मुख्य सचिव ने बताया कि इमरजेंसी सेवा 108 का रेस्पांस टाईम, ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले एक वर्ष में 32 मिनिट से घटकर 27 मिनिट और शहरी क्षेत्रों में 25 मिनिट से घटकर 15 मिनिट हो गया है। अर्थात हमारी 108 सेवा में सुधार हुआ है।

आज मुख्यमंत्री जी द्वारा बहुत से सरकारी अस्पतालों व जिला अस्पतालों में आईसीयू बेड, वेंटिलेटर व ऑक्सीजन सप्लाई के लिए जरूरी बाईपेप मशीन की सुविधा शुरू की गई है। इनमें मेला अस्पताल, हरिद्वार में 10 आईसीयू बेड, 03 वेंटिलेटर व 4 बाईपेप, कम्बाईंड अस्पताल रूड़की में 10 आईसीयू बेड, 01 वेंटिलेटर, 02 बाईपेप, बीडी पाण्डे अस्पताल,नैनीताल में 04 आईसीयू बेड, 01 वेंटिलेटर, 01 बाईपेप, माधव आश्रम अस्पताल, रूद्रप्रयाग में 06 आईसीयू बेड, 04 वेंटिलेटर, 02 बाईपेप, जिला अस्पताल, चमोली में 06 आईसीयू बेड, 03 वेंटिलेटर, 05 बाईपेप, जिला अस्पताल चम्पावत में 06 आईसीयू बेड, 03 वेंटिलेटर, 02 बाईपेप, जिला अस्पताल पिथौरागढ़ में 06 आईसीयू बेड, 03 वेंटिलेटर 01 बाईपेप, जिला अस्पताल पौड़ी में 04 आईसीयू बेड, 01 वेंटिलेटर, 01 बाईपेप, जिला अस्पताल उत्तरकाशी में 10 आईसीयू बेड, 03 वेंटिलेटर, 01 बाईपेप, और दून मेडिकल कॉलेज में 30 आईसीयू बेड जोड़े गए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि लॉक डाउन के सख्ती से पालन करने से हम प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में सफल रहे। इस दौरान हमने प्रदेश में स्वास्थ्यगत अवस्थापनात्मक सुविधाएं भी विकसित की। लॉकडाउन के दो चरणों में आम जन का काफी सहयोग रहा है। लॉकडाउन 3 में केंद्र सरकार की गाईडलाईन के अनुरूप कई प्रकार की छूट दी गईं। कुछ स्थानों पर भीड़ दिखाई दी। आम जन से निवेदन है कि ये छूटें बनी रहें, इसके लिए जरूरी है कि जो संयम और धैर्य लॉकडाउन के पहले दो चरणों में बनाए रखा, उसे कायम रखें। दूसरों से आवश्यक डिस्टेंस रखें, अनावश्यक भीड़ भाड़ न करें। सरकार ये व्यवस्था बनाए रखना चाहती है। परंतु इसके लिए लोगों को भी सहयोग करना होगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में 4483 उद्योगों को अनुमति दी गई है। इनमें लगभग 85 हजार कार्मिक कार्य करेंगे। तमाम तरह की सावधानियां बरतते हुए बहुत से उद्योगों ने काम भी शुरू कर दिया है। पर्वतीय जिलों में भी बहुत से उद्योगों को अनुमति दी गई। कन्टीन्यूस प्रोसेस वाले उद्योगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों को पूरा करने की शर्तों के साथ 12-12 घंटे की शिफ्ट की अनुमति दी गई है।
भारत सरकार द्वारा मनरेगा में दी गई शिथिलता का लाभ लेते हुए 7311 कार्य प्रारम्भ किए गए हैं। इसमें 85231 श्रमिक काम कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा का काम शुरू हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में तमाम तरह की आर्थिक गतिविधियां चल रही हैं। धीरे-धीरे हम सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं।
आंगनबाड़ी से गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और छोटे बच्चों को डोर टू स्टेप राशन
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में धात्री माताओं, गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चों के लिए टेक होम राशन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा घर पर ही पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इनमें 20067 आंगनबाड़ी केंद्रों से 1 लाख 70 हजार गर्भवती महिलाओं व धात्री माताओं और 6 लाख 20 हजार छोटे बच्चों को घर पर ही टेक होम राशन दिया जाएगा।
किसानों से गेहू खरीद का काम भी तेजी से चल रहा है। अभी तक 1 लाख 69 हजार क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है। किसानों को 48 घंटे के भीतर ही भुगतान किया जा रहा है। अभी तक 30 करोड़ से अधिक धनराशि का भुगतान समयसीमा में किया जा चुका है। आगे भी ये प्रक्रिया चलती रहेगी।
प्रदेश के बाहर रह रहे लगभग 1 लाख 30 हजार प्रवासियों ने उत्तराखण्ड लौटने के लिए पंजीकरण कराया है। 30 हजार के करीब ऐसे भी लोगों ने पंजीकरण किया है, जो कि दूसरे राज्यों के हैं और उत्तराखण्ड से अपने राज्य में जाना चाहते हैं। अभी तक 5669 उत्तराखण्ड के बाहर फंसे लोगों को राज्य में लाए हैं। ये प्रक्रिया चलती रहेगी। सभी राज्यों से समन्वय किया गया है। लोगों से आग्रह है कि धैर्य बनाए रखें क्योंकि पूरी प्रक्रिया काफी सावधानी के साथ की जानी है। राज्य के भीतर ही लगभग 07 हजार लोगों को अपने जिले में भेजा गया है। ग्राम प्रधानों ने बहुत जिम्मेदारी से काम किया है, इसी का परिणाम है कि हमारे ग्रामीण अंचल कोरोना के प्रभाव से मुक्त हैं। बाहर से आने वाले लोग होम क्वारेंटीन का पूरा पालन करें, इसके लिए ग्राम प्रधानों को डिजास्टर मेनेजमेंट एक्ट में कुछ अधिकार दिए गए हैं।
हाल ही में अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान का सर्वे चल रहा है। इसमें मानकों के अनुसार प्रभावितों को क्षतिपूर्ति दी जाएगी। हॉर्टीकल्चर में नुकसान पर भी मानकों के अनुसार क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
कृषि, बागवानी, डेरी, मत्स्य आदि संबंधित क्षेत्रों में सुधार के लिए कृषि एवं उद्यान मंत्री श्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में एक मंत्रीमण्डलीय उप समिति गठित की गई है। इसमें महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्या, उच्च शिक्षा एवं सहकारिता मंत्री डा.धन सिंह रावत, मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण विभाग को सदस्य नामित किया गया है।
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