DHARI DEVI:नौ साल बाद अपने मंदिर में विराजेंगी ‘चारधाम की रक्षक’ मां धारी देवी: आप भी करें मां धारी देवी के दर्शन


विनय भट्ट,श्रीनगर
श्रीनगर। आखिरकार नौ साल के लंबे इंतजार के बाद चारधाम की रक्षक मां धारी देवी की मूर्ति नवनिर्मित मंदिर में विराजमान होंगी। इसको लेकर लिए मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए धारी देवी मंदिर का नए सिरे से रंग-रोगन किया जा रहा है। साथ ही टूटी-फूटी जगहों को ठीक किया जा रहा है। 22 जनवरी से नवनिर्मित मंदिर में धारी देवी के नाम से पाठ शुरू कर दिया जाएगा, जबकि मंदिर में मूर्ति 28 जनवरी को शिफ्ट की जाएगी।

electronics

28 जनवरी को होगा शिफ्ट


मंदिर के पुजारी ने शिफ्टिंग के लिए 28 जनवरी का दिन तय किया है। पुजारी न्यास ने क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को भी कार्यक्रम में शिरकत करने का न्योता दिया है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि सिद्धपीठ धारी देवी का ये मंदिर श्रीनगर से करीब 13 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी किनारे स्थित था। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह डूब क्षेत्र में आ रहा था। इसके लिए इसी स्थान पर परियोजना संचालन कर रही कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था, लेकिन जून 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया था और पिछले नौ साल से प्रतिमा इसी अस्थायी स्थान में विराजमान है।

दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं मां धारी देवी
उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर अलकनंदा नदी के किनारे है धारी देवी मंदिर। यहां माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है।

ये भी पढ़ें:  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देहरादून में किया 11 वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ

गांव वालों मूर्ति स्थापित करने के दिए निर्देश


माता के इस चमत्कार को लेकर यहां भक्त दूर-दूर से आते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भीषण बाढ़ से मंदिर बह गया था। साथ ही साथ उसमें मौजूद माता की मूर्ति भी बह गई और वह धारो गांव के पास एक चट्टान से टकराकर रुक गई। कहते हैं कि उस मूर्ति से एक ईश्वरीय आवाज निकली, जिसने गांव वालों को उस जगह पर मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया।

मूर्ति के मूल स्थान से हटते ही केदारनाथ में भयानक तबाही
माना जाता है कि धारा देवी की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को हटाया गया था और उसके कुछ ही घंटों बाद मूर्ति के मूल स्थान से हटते ही केदारनाथ में भयानक तबाही आई। बाद में उसी जगह पर फिर से मंदिर का निर्माण कराया गया। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है।

ये भी पढ़ें:  उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष ने श्री दरबार साहिब में टेका मत्था

चारधाम यात्रा तीर्थयात्री धारी देवी मंदिर में जरूर टेकते हैं माथा
चारधाम यात्रा करने वाले भक्त धारी देवी मंदिर में जरूर माथा टेकते हैं। यहां कई लोग मन्नतें भी मांगते है, मन्नतें पूरी होने पर घंटी भी चढ़ाते हैं। मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी मौजूद है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *