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तीर्थाटन सर्किट से जुड़ेंगे कालीमठ घाटी के प्राचीन मठ-मंदिर । 

 

रामरतन पंवार /जखोली

 

तीर्थाटन सर्किट से जुड़ेंगे कालीमठ घाटी के प्राचीन मठ-मंदिर ।

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कालीमठ घाटी को तीर्थ स्थलों के पर्यटन सर्किट से जोड़े जाने से केदारनाथ यात्रा के दौरान लगने वाले जाम से मिलेगा निजात।

 

  • रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु कालीमठ घाटी के प्राचीन मठ-मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे। साथ ही कविल्ठा गांव स्थित कालीदास भू-स्मारक को भी नई पहचान मिलेगी। यह बात केदारनाथ विधानसभा की नवनिर्वाचित विधायक  आशा नौटियाल ने सिद्धपीठ कालीमठ मे पूजा अर्चना के बाद कही । उन्होने कहा कि कालीमठ घाटी तीर्था स्थलो के पर्यटन सर्किट से जुड़ने से केदारनाथ यात्रा में लगने वाले जाम से निजात मिलेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे। कहा कि केदारनाथ विधानसभा की हर घाटी व गांव में कई प्राचीन मठ-मंदिर हैं, पर प्रचार-प्रसार के अभाव में कई गुमनाम हैं। प्रतिवर्ष यात्राकाल में केदारनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु भी इन मठ-मंदिरों का दीदार नहीं कर पाते हैं, अब, कालीमठ घाटी के प्राचीन मठ-मंदिरों को तीर्थाटन व पर्यटन के नक्शे पर लाया जाएगा, इसके लिए बकायदा ठोस कार्ययोजना भी बनाई जाएगी। यहां शक्तिपीठ कालीमठ, चामुंंडा मंदिर, माता लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती मंदिर, कालीशिला, रुच्छ महादेव और चामुंडा मंदिर शामिल है। साथ ही कविल्ठा गांव में महाकवि कालिदास का भू-स्मारक है। मान्यता है कि कविल्ठा गांव में महाकवि कालिदास का जन्म हुआ था, जिसके प्रमाण भी साबित हो चुके हैं। केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि कालीमठ घाटी का पूरे क्षेत्र ही नहीं देवभूमि उत्तराखंड में अपना विशेष धार्मिक महत्व है। यहां के सभी प्राचीन मठ-मंदिरों को तीर्थाटन से जोड़ने के लिए तीर्थाटन सर्किट बनाया जाएगा। बताया कि श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति और पर्यटन विभाग के सहयोग से इन सभी स्थलों का सर्वेक्षण कराया जाएगा और रिपोर्ट के आधार पर यहां जरूरी सुविधाएं जुटाई जाएंगी। उन्होने कहा कि, केदारनाथ यात्रा में बाबा केदार के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालु कालीमठ घाटी सहित अन्य क्षेत्र के प्राचीन मठ-मंदिरों का दर्शन करें, इसके लिए प्राथमिकता से कार्य किया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से भेंट की जायेगी । वही दूसरी ओर मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव में 22 वर्ष बाद के बाद पांरपरिक जागर अनुष्ठान शुरू हो गया है। दो दिवसीय अनुष्ठान के पहले दिन राकेश्वनी मंदिर रांसी से मां नंदा की भव्य झांकी निकाली गई। इस मौके पर नंदा देवी यात्रा में शामिल हुए लोगों ने आराध्य के दर्शन कर घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

मंगवार को राकेश्वरी मंदिर में रांसी व उनियाणा के ग्रामीणों की मौजूदगी में मां नंदा देवी की मूर्ति का श्रृृंगार किया गया। आचार्य रोशन देवशाली ने मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करते हुए विधि-विधान से वेद-मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की। साथ ही अन्य धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया। नंदा की मूर्ति को डोली में विराजमान करते हुए डोली ने अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया। लगभग तीन सौ मीटर दूर क्यूंजा तोक में देवी की मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया गया। इस मौके पर केदारनाथ विधानसभा की नव निर्वाचित विधायक आशा नौटियाल ने देवी के दर्शन करते हुए क्षेत्र व देवभूमि उत्तराखंड की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।उ न्होने कहा कि रांसी गांव धार्मिक संस्कृति के क्षेत्र में विशेष स्थान रखता है। यहां ग्रामीण द्वारा पौराणिक जागरों को जीवंत रखा गया है। उन्होंने नई पीढ़ी से आह्वान किया कि वह अपने बड़े-बुजुर्गों से अपनी लोक संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसके संरक्षण के लिए कार्य करे। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर उभारने का भरसक प्रयास किया जायेगा। इस दौरान अलग अलग कार्यक्रमो में उन के साथ कई क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे