दीपक कैन्तुरा,लुठियाग, रुद्रप्रयाग

घरों माँ दियू जगु न जगु
मन मा दियू जगैल्या,
आवा हिली मिलिकी सब्बी
एसु बग्वाल मनैल्या

बावन व्यंजन चाहे हो न हो
पर कखि क्वी भुखू न स्यो,
भूखों तै खाणु खलेल्या
एसु बग्वाल मनैल्या |

अगास रोसन पटाखों से हो न हो
पर कैका घर अँध्यारु न हो,
अँध्यारा घरों दियू जगैल्या
एंसु बग्वाल मनैल्या |
जरा ऐंसू कोरोना सी राहत मिलणा का बाद बग्वाली की एक नई आस जगी च और ऐंसू बग्वालियों की कुछ और ही रंगत दिखणक तैं मिलली।
बग्वाल- कातिगा मैना ओंस का दिन औंण वाली बग्वाल कु हमारा क्षेत्र मा भौत बडु महत्व च .. अशूज की धाण काज निपटिक तैं गौंकी बेटी,ब्वारी थैस सी , रेंदिन अर काम धाम निपटेक तैं सी बग्वाल्यों की तैयारी करदिन.. अर बग्वाली सी पैलि भित्तरों तैं लाल माटा सी घस्ये जांदू अर कमेंड़न चमक्ये जांदू… पर आजकल त हर कैका सीमेंटेंट कुड़ा ह्वेगी अर वैका बाद चुन्नु रंग लगाये जांदू अर चौक तिवारी चकाचक ह्वे जांदिन… घर मा नई- नई फोटो लगोंदन अर भित्तरियों तैं चमकोंदन। देश-विदेश दूर दूर जांया भै बंद अपणा घरलोटिक तैं ओंदन अर अपणी कुटुमदारी का दगड़ा बग्वाल मनोंदन। पर उत्तराखण्ड राज्य बणणा का बाद पलायन कु असर हमाराबार त्योहारों का दगड़ी हमारी बोली भाषा पर भी पड़ी। आज स्या चखळ- पखळ गौं मा नी दिखेंदी जु कभरी बग्वालियों मा रैंदी थै। बग्वाळ द्वि होंदी थै छ्वटि,बग्वाल अर बड़ी बग्वाल य़ यों द्वि दिनों मा पैला दिन लक्ष्मी पूजा होंदी। लक्ष्मी पूजन का दिन
दिन सुबेर उठि लोग गौ कि पूजा करदा गौड़ी क गळा उन्द फुलु माळा पैरे तौंकि अलोस फलोस करदा अर हेका दिन बल राज तें बळदु कि पूजा होंदि ये दिन बळदु तें फुंगडा म ज्वतण अशुभ मांणेदु।
द्वि दिन लोग अफड़ा घर म दिवा बाळी घर क ऐथर लैन पर लगे देंनन,बानि बानि क पकवान(स्वाळा,काळी दाळी पकौडी,सौंटे पकौड़ी, कुटियां चौंळ क बाबरअर भरिंयां स्वळा)बंणोंदन पटाका, बम,फुलजडि त फोड़दा हि छन पर जु मुख्य चीज च स्य च रात म झगोटु,कखि कखि झगोटा तें अंध्या,भेलु बि बोळदन।गौं क सबि लोग कै जगा म कठा ह्वेक बारि बारि सि झगोटू घुमोंदन।
यु पुराणा गिल्डा,स्वळटा(कंडी) पर यत सुका लाखुडा गड्वळा पर माळू क लगलन निथर सांगळ(पशुओं को बांधने वाली लोहे के चैन) पर बांदी बंणायुं रंदु।जख कुळें कु बंण छन तख कुळें कि दळी क छिलकु क गडोळा पर सांगळ बांदि झगोटु बांणाये जान्दु।
बग्वाळ कु मुख्य आकर्षण झुमैला च जैक यख अंग्वळठिया गीत बोळदन।
तन त अंग्वळठिया गीत लवार्त बिठि लगण भे जांदा पर बग्वाळ क दिन आधि रात तक झगोटा खैना बाद या पंक्ति म जनानी अर या पंक्ति म मनस्यार गीत लगांदा अर खोटि सारदा,कुछ लोग ढोल दमौ पर मनाण लगै नाचदा बि छन। पर या बग्वाळ अब कखी आलदा बिलदा गौं मुल्क मा द्यखणक तैं मिलदी ।आज का दौर की बग्वाल अब रुपयों की बग्वाल ह्वेगी अर चाईना लडियों की चलकार ह्वेगी। अर बग्वालियों की स्या रस्याण अर पछ्याण अब हरचिगी अर पैलि जनी बग्वाळ अब समलोण्या रेगी