विधानसभा भर्ती घोटाले का हाईकमान ने लिया संज्ञान, गिर सकता है विकेट, कांग्रेस नेता जयेंद्र रमोला ने प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ खोला मोर्चा, मांगा इस्तीफा
देहरादून-उत्तराखंड में अधीनस्थ पेपर लीक और विधानसभा भर्ती मामले से उत्तराखंड की सियासत गरमाई हुई है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने अपने कार्यकाल में अपने नाते रिश्तेदारों और गैर उत्तराखंडियों को नौकरी दी, अब इस वजह से उनके साथ भाजपा की भी खूब फजीहत हो रही है। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने साफ कह दिया कि इस मामले की जांच होगी।
UKSSSC पेपर लीक मामले में उत्तराखंड का युवा सड़कों पर है, तो वहीं विधानसभा भर्ती घोटाले ने आग में घी डालने का काम कर दिया, जिससे उत्तराखंड का युवा आक्रोशित है। जिस तरह से उत्तराखंड के युवाओं को छला गया और भाई-भतीजे, नाते-रिश्तेदार को विधानसभा में नौकरी लगाया गया उससे प्रेमचंद अग्रवाल की खूब फजीहत हो रही है। साथ ही गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा भी कुछ नियुक्तियां की गई, जिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। वइस बीच सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने आई की विधान सभा भर्ती घोटाले का संज्ञान बीजेपी आलाकमान ले चुका है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली मे BL संतोष और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देर रात इस मामले मे की चर्चा की। वहीं प्रेमचंद अग्रवाल को दिल्ली तलब किया गया है। बीजेपी आलाकमान जांच में जुट गया है कि इस मामले में कौन शामिल है। वहीं भाजपा नगर निकाय चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस भर्ती धांधली में लोगों पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है। जिससे माना जा रहा भाजपा का विकेट गिर सकता है।
उधर, कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला ने विधानसभा भर्ती घोटाले में सीबीआई जांच की मांग की है। रमोला ने रैबार पहाड़ को दिए गए अपने बयान में कहा कि विधानसभा के अंदर पांच साल तक जितने भी घोटाले हुए उनकी जांच होनी चाहिए। रमोला ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी वर्तमान कैबिनेट मंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री राहत कोष से लाखों रुपए बांटे, जिसकी ने सूचना के अधिकार से जानकारी मांगी गई, लेकिन जानकारी नहीं मिली।
वहीं उत्तराखण्ड के युवा नेता कनक धनै ने चुनाव याचिका दायर कर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अग्रवाल ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से करीब पांच करोड़ रुपए निकालकर लोगों में डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से बांटा है। जिसकी स्वीकृति विधानसभा सचिव ने दी थी। डिमांड ड्राफ्ट चार हजार 975 के बनाए गए है, इनमें तीन फरवरी और 9 फरवरी की तिथि डाली गई है। डिमांड ड्राफ्ट याचिका में सबूत के तौर पर संलग्न किये हैं। याचिका में मामले की जांच करने व जांच सही पाए जाने पर उनका चुनाव प्रमाण पत्र को निरस्त करने की मांग की है।

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