देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। खुद सीएम धामी खटीमा सीट से हारे है। बीजेपी ने इस हार की वजह को ढूंढ लिया है। 23 में से कुछ सीटों पर भितरघात को भी वजह बताया जा रहा है। पार्टी के समीक्षकों ने अपनी रिपोर्ट सौंपनी शुरू कर दी है। अब इस रिपोर्ट पर के आधार पर पार्टी आगे की रणनीति तय कर सकती है। माना जा रहा है जल्द ही भितरघात करने वालो पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
यमुनोत्री, हरिद्वार ग्रामीण, किच्छा और नानकमत्ता शामिल हैं, जबकि अन्य ज्यादात्तर सीटें पर संवादहीनता को वजह माना जा रहा है। सीएम पुष्कर धामी के खटीमा के अलावा लक्सर सीट पर भी भितरघात के साथ ही संवादहीनता की बात सामने आई है। जसपुर, मंगलौर, ज्वालापुर, पिरान कलियर, झबरेड़ा और हल्द्वानी में ध्रुवीकरण होने से पार्टी प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा। बताया जा रहा है कि जिन सीटों पर भितरघात करने वालों के खिलाफ साक्ष्य मिले हैं। उनका जवाब-तलब किया जाएगा। संतुष्ट न होने पर ऐसे पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को इसका एहसास भी कराया जाएगा। इतना ही नहीं जिलाध्यक्ष का तो पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ आडियो सबूत के तौर पर मिला है।आपको बता दें की रैबार पहाड़ ने एक खबर प्रकाशित की थी जिसमें लिखा था सीएम धामी को अपनों ने हरवाया और दिल्ली से देहरादून का पैसा खटीमा पहुंचाया जिस पर अब मुहर लगती दिख रही है लेकिन सवाल है की केवल कार्रवाई कार्यकर्ता पर ही गाज गिरेगी या बड़े पदों पर बैठे नेताओ पर भी भित्तरघात के लिए कार्रवाई होगी। वहीं सूत्रो
की माने तो यमुनोत्री सीट पर केदार सिंह रावत को हराने के लिए भाजपा के सांसद के करीबी और उत्तराखंड भाजपा कार्यालय में बडे पद पर बैठे नेताओ ने केदार सिंह रावत को हराया और निर्दलीय प्रत्याशी का तन मन धन से सहयोग करके भाजपा के लोगों ने भाजपा को हरवाया क्या भाजपा इन नेताओ पर कार्रवाई करेगी।वही श्रीनगर सीट पर डॉक्टर धन सिंह रावत को हराने के लिए भाजपा के दो बड़े नेताओं ने बिसात बिछाई थी लेकिन धन सिंह रावत ने अपनी सूझबूझ से काम करते हुए अपनी सीट बचाली,

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