
(साभार हिंदुस्तान समाचार पत्र)
मार्च 2020 में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा देने वाली भाजपा ने •अगले पांच साल के अपने दृष्टिपत्र में इसका उल्लेख तक नहीं किया है। इसी तरह मौजूदा विधानसभा के पहले सत्र में ही लोकायुक्त बिल पेश करने के बावजूद, नए दृष्टिपत्र में भाजपा ने लोकायुक्त पर भी चुप्पी साध ली है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इन दोनों विषयों पर अपना स्पष्ट मत जाहिर किया है।
वर्ष 2017 के घोषणापत्र में भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का वादा किया था। मार्च 2020 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने वादे पर अमल करते हुए, सदन में ना सिर्फ इसका ऐलान किया की बल्कि दो महीने बाद ग्रीष्मकालीन राजधानी का जीओ भी जारी कर दिया था। इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए त्रिवेंद्र रावत गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने का भी ऐलान कर चुके थे, हालांकि बाद में विवाद के चलते इस निर्णय को स्थगित करना पड़ा। फिर भी इस कदम से गैरसैंण को लेकर सरकार की गंभीरता जाहिर हुई थी। अब भाजपा
उपेक्षा
• गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के बाद भी दृष्टिपत्र से नदारद
• कांग्रेस ने इन दोनों मुद्दों पर अपने घोषणा पत्र में की है स्पष्ट बात
ने अपने 54 पेज के दृष्टिपत्र में गैरसैंण का उल्लेख नहीं किया है। पार्टी गैरसैंण के विकास के लिए ठोस प्रस्ताव वोटरों के सामने रख सकती थी। लोकायुक्त कानून पर भी भाजपा ने चुप्पी साध ली। जबकि त्रिवेंद्र सरकार ने अपने पहले ही विधानसभा सत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की घोषणा करते हुए लोकायुक्त कानून सदन पटल पर रख दिया था। हालांकि इसके बाद यह बिल प्रवर समिति को सौंप दिया गया, जो अब तक वहीं फंसा हुआ है।
दूसरी तरफ कांग्रेस अपने घोषणापत्र में गैरसैंण को राजधानी का दर्जा देने की घोषणा के साथ अवस्थापना विकास को नीति आयोग के समक्ष कार्ययोजना पेश करने की घोषणा की है। लोकायुक्त पर भी कांग्रेस ने सरकार बनने पर लोकायुक्त व्यवस्था लागू करने की बात कही है।

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