परमात्मा सुख से ओत-प्रोत है। परमात्मा सुख का अथाह सागर है। अनन्त सुख ही परमात्मा है। वेदान्त में परमात्मा की यही परिभाषा दी गई है।
परमात्मा में केवल सुख होता है — इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं होता। जो परमात्मा में डूबता है, वह भी सुख से सरोबार हो जाता है। सुख में डूब जाने का ज्ञान ही ब्रह्मज्ञान है।
आनन्द में डूब जाने का ज्ञान ब्रह्मज्ञान है। आचार्य ममगांई कहते हैं यह बात पदमपुर लालपुर कोटद्वार के आकर्षण वैडिंग प्वाइंट में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के चतुर्थ दिवस पर ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें कहा कि
परमात्मा की प्राप्ति मे मुख्य बाधा है संयोगजन्य सुख की आसक्ति, प्रियता। संयोगजन्य सुख ही दुःखो का कारण है। सुख की चाहत से ही दुख पैदा होता है। किसी चीज के अभाव से दुख नहीं होता, प्रत्युत सुख की इच्छा से होता है। अगर संयोजन्य सुख की इच्छा मिट जाय तो योग हो जायेगा। संयोजन्य सुख से अतीत जो महान सुख है जिसमें दुखो के संयोग का सर्वथा वियोग है उसको योग कहते है —तं विद्याद दुःखसंयोगवियोगं योगसंज्ञीतम –
सम्बन्धजन्य सुख का भीतर से ही त्याग हो जाय अर्थात उस की इच्छा का, वासना का, आशा का, तृष्णा का त्याग हो जाये तो उस योग की सिद्धि स्वत: हो जायेगी।
सुख की चाहना से ही संसार से सम्बंद जुड़ता है और अगर संसार से सुख की चाहना ही छोड़ दो संसार से सम्बन्ध विच्छेद हो जाता है। सुख लेने की चीज नही, प्रत्युत देने की चीज है। दुसरो को सुख देने की वृत्ति से हमारा प्रवाह जड़ता से हटकर चिन्मयता की तरफ हो जाएगा तो परमात्मा की प्राप्ति हो जाएगी। आज कृष्ण जन्म जन्म प्रसङ्ग में नन्द घर आनंद भयो भजनों में पूरा पाण्डाल झूम उठा वहीं आयोजकों के द्वारा कृष्ण जन्म उपलक्ष में माखन मिश्री का प्रसाद वितरण किया गया इस कथा में सूदूर क्षेत्र से लोग श्रवण के लिए पहूंच रहे हैं
इस अवसर पर मुख्य रूप से सुशीला बलूनी प्रदीप बलूनी अनिल बलूनी भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभारी रूद्रप्रयाग ऋषि कण्डवाल आचार्य जयन्ती कण्डवाल अनुपम बलूनी रमेश जखवाल शिखा जखवाल आयुष धर्मानंद राजेश कुलदीप हरीश वीरेंद्र खंतवाल आकाश सरिता बलूनी अभिलाषा शशि आस्था अंजलि राजेश्वरी खन्तवाल शिखा जखवाल सुशीला जखवाल सुधीर दूधपुड़ी दिवाकर भट्ट संदीप बहुगुणा हिमांशु मैथाणी सूरज पाठक अनिल चमोली मणीलाल अग्रवाल आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित रहे।।