बद्रीनाथ धाम में भागवत महापुराण में आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं की व्यासपीठ से उठी अंकिता हत्याकांड के दरिंदों को मृत्युदंड देने की मांग: देखें वीडियो

सृष्टि समाज मानव जीवन की आधार शिला है नारी ममगांई

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जिसके अन्दर काटने वाली भावना नहीं समर्पण स्नेह वात्सल्य मय त्रिवेणी है नारी जिसके विना पुरूष का अस्तित्व नहीं है जिसको सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा इन तीन समन्वित कृति का नाम नारी है , सृष्टि समाज मानव जीवन की आधार शिला है नारी ।
आज पूरा देश महानवमी के दिन कन्या पूजन कर रहा है खुस खुशहाली के लिए होना भी चाहिए उत्तराखंड की बद्रीनाथ व्यास पीठ से मैं इस बात को कहने में मेरा द्रवितचित हो रहा है कि उत्तराखंड की बेटी अंकिता भण्डारी को आज तक न्याय नही मिला अंकिता के हत्यारों को दंडित करने के लिए हमको एकजुटता के साथ आवाज उठानी चाहिए समस्त देश व उत्तराखंड वासियों को तभी हमारे नवरात्र व कन्या पूजन भी सफल होगा जिस दिन अंकिता को न्याय मिलेगा भगवान कृष्ण ने भी अर्जुन से कहा अन्याय करना अपराध है किंतु अन्याय सहन करना महा अपराध है अन्याय के विरुद्ध हथियार उठाओ आज हत्या नहीं तो आवाज उठा ही सकते हैं एकजुटता के साथ हमें अंकिता को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठानी चाहिए, अपने देश प्रदेश की नर नारी व सरकार से यही अनुरोध है भविष्य में हमारी बेटियां तभी सुरक्षित रह सकती हैं इसके लिए हमको थोड़ा भी बिलम्ब नही करना चाहिए उक्त विचार बद्रीनाथ धाम भारत सेवा आश्रम में स्वर्गीय कैप्टन निशान्त नेगी की पुण्य स्मृति में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर व्यक्त करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी कहा कि
आत्मा का स्वरूप ब्रह्म के समान है। जैसे सूर्य और दीपक में जो फर्क है उसी तरह आत्मा और परमात्मा में फर्क है। आत्मा के शरीर में होने के कारण ही यह शरीर संचालित हो रहा है। ठीक उसी तरह जिस तरह कि संपूर्ण धरती, सूर्य, ग्रह नक्षत्र और तारे भी उस एक परमपिता की उपस्थिति से ही संचालित हो रहे हैं।
आत्मा का न जन्म होता है और न ही उसकी कोई मृत्यु है। आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरा शरीर धारण करती है। यह आत्मा अजर और अमर है। आत्मा को प्रकृति द्वारा तीन शरीर मिलते हैं एक वह जो स्थूल आंखों से दिखाई देता है। दूसरा वह जिसे सूक्ष्म शरीर कहते हैं जो कि ध्यानी को ही दिखाई देता है और तीसरा वह शरीर जिसे कारण शरीर कहते हैं उसे देखना अत्यंत ही मुश्किल है। बस उसे वही आत्मा महसूस करती है जो कि उसमें रहती है। आप और हम दोनों ही आत्मा है हमारे नाम और शरीर अलग अलग हैं लेकिन भीतरी स्वरूप एक ही है। आज विशेष रूप से पुष्कर सिंह नेगी रेखानेगी शुभम नेगी आस्था महरा मधुर महीरा रविंद्र पुष्पा सुंदरियाल सुरेंद्र पटवाल उर्मिला पटवाल मेहरबान सिंह देवेन्द्र नेगी प्रभा अजय राय सौरभ पांडेय मोनिका विष्ट चंद्रमोहन ममगाईं वेदपाठी आचार्य रविंद्र भट्ट डॉक्टर हरीश गौड़ आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे!!

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