सर्वप्रथम भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें तत्पश्चाततांबे को छोड़ अन्य किसी भी पात्र विशेषकर चांदी के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें, ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करेंश्रावण में शिव चरित्र श्रवण से मिलती है सफलतायह बात अजबपुर खुर्द शिवशक्ति मन्दिर में सरस्वतीविहार विकास समिति के द्वारा आयोजित शिवपुराण कथा समापन दिवस पर ज्योतिष्पीठ व्यास पदाल॔कृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें भक्तों को सम्बोधित करते हुए कि कलियुग में तो
शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें
भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। खासकर तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए। इससे ये सब मदिरा समान हो जाते हैं। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक बिल्कुल वर्जित होता है। क्योंकि तांबे के पात्र में दूध अर्पित या उससे भगवान शंकर को अभिषेक कर उन्हें अनजाने में आप विष अर्पित करते हैं। पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
आज भारी संख्या में लोगो ने कथा श्रवण करि समिति के द्वारा भण्डारे का आयोजन किया गया सुदूर क्षेत्रों से आकर लोगो ने कथा श्रवण व भण्डारे को ग्रहण किया मन्दिर समिति अध्यक्ष पँचम सिंह जी ने सबका आभार व्यक्त किया और लोगों की भक्ति एकजुटता का परिचय कहते हुए कार्यकर्ताओ का धन्यवाद दिया समिति के महासचिव गजेंद्र भण्डारी ने कहा उत्तराखंड देव भूमि है हम लोगो को अपनी देवभूमि की रक्षा के लिए एकजुटता के साथ धार्मिक आयोजन में सहभागिता निभाते हुए अपने बच्चो के प्रथम संस्कार में मन्दिर जाने की आदत देनीं बड़ो का आदर छोटो को स्नेह की आदत में ढालना आवश्यक है आज पश्चिम सभ्यता के दुष्प्रभाव से हमारा रहन सहन बिगड़ता जा रहा है सत्संग कथा के आयोजन से कोविड जैसी महामारी से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति की पहचान होगी
आज की कथा में विशेष पँचम विष्ट वरिष्ठ उपाध्यक्ष बी एस चौहान उपाध्यक्ष कैलाश तिवारी सचिव गजेंद्र भण्डारी वरिष्ठ मंत्री अनूप सिंह फर्त्याल मंत्री सुबोध मैठाणी कोषाध्यक्ष विजय रावत अजय जोशी मोनू पंच भैय्या संप्रेक्षक पी एल चमोली हरीश गैरोला मन्दिर संयोजक मूर्तिराम बिजल्वाण सह संयोजक दिनेशजुयाल मन्दिर प्रकोष्ठ मंगल सिंह कुट्टी बगवालिया सिंह रावत उर्मिला कला सरोजनी सेमवाल सालावाला कठैत आचार्य तोताराम मलेठा आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल पुष्कर नेगी राजेन्द्र डिमरी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे!!!

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