लक्ष्मण सिंह नेगी
ऊखीमठ। 11 वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ के कपाट विधि-विधान व वेद ऋचाओं के साथ आज शीतकाल के लिए बन्द कर दिये गये हैं। केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ के कपाट बन्द होने के मौके पर प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग, कार्यधिकारी आर सी तिवारी सहित भारी संख्या में विद्वान आचार्य व तीर्थ पुरोहित मौजूद थे।
भुकुंट बाबा है केदारनाथ के क्षेत्रपाल
भुकुंट बाबा को केदारनाथ का पहला रावल माना जाता है। उन्हेंद यहां का क्षेत्रपाल माना जाता है। बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ भुकुंट बाबा की पूजा किए जाने का विधान है और उसके बाद विधिविधान से केदानाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।
भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद होती है केदारनाथ की पूजा
केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद शनिवार या फिर मंगलवार को भैरवनाथ के कपाट खोल दिए जाते हैं। भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद भगवान केदारनाथ की आरती शुरू होती है। साथ ही भगवान को भोग भी लगाया जाता है। इसी प्रकार केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने से पहले भगवान भैरवनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं। भैरवनाथ के कपाट खोलने या बंद करने के लिए तिथि तय नहीं की जाती है।
कपाट खुलने के बाद शनिवार या मंगलवार और कपाट बंद होने की तिथि से पहले पड़ने वाले शनिवार या मंगलवार को भैरवनाथ के कपाट खोले और बंद किए जाते हैं। केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए जब बंद होते हैं तो भगवान भैरवनाथ की भी शीतकालीन गद्दीस्थल में नित्य पूजा होती है। केदारनाथ की डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से धाम रवाना होने के पहले दिन भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि शीतकालीन गद्दीस्थल में होने वाली पूजा के बाद भैरवनाथ केदारपुरी के लिए रवाना हो जाते हैं।
केदारपुरी की रक्षा और बाबा केदार के अग्रवीर होने के नाते बाबा केदार से पहले की पूजा भैरवनाथ को दी जाती है। केदारनाथ धाम जाने वाले लाखों भक्त भैरवनाथ के दर्शन करके भी पुण्य अर्जित करते हैं. केदारनाथ धाम से डेढ़ किमी दूरी पर भैरवनाथ का मंदिर स्थित है। यहां एक शिला पर भैरव मूर्तियां हैं। केदारनाथ के पुजारी ही यहां की पूजाएं संपंन्न करते हैं।

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