उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक आहूत की और इस दौरान उन्होंने एक बड़ा निर्णय लिया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में फैसला लिया गया कि उत्तराखंड में अब यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा. इसके लिए बकायदा उन्होंने एक कमेटी बनाने की बात भी कही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह फैसला उनके चुनावी घोषणा पत्र में की गई बड़ी घोषणाओं में से एक है।
अब आपको बताते हैं कि क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड जिसको लेकर देशभर में एक बार फिर से बहस छिड़ गई है, और उत्तराखंड देश के उस राज्य में शामिल हो गया है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड को मंजूरी देने की बात की है।
आज से पहले जब यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट की बात की जा रही थी तो सबको लगता था कि इसे केंद्र सरकार लागू करेगी, लेकिन अब यह लगभग तय हो गया है कि इसे केंद्र सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकारें अपने स्तर पर लागू करेंगी.
यूनिफॉर्म सिविल कोड को अगर हम एक सीधी भाषा में समझाएं तो इसका मतलब होगा सभी धर्मों के लिए समान कानून, आज जब हम कानून की बात करते हैं तो दिखता है की शादी को लेकर या फिर प्रॉपर्टी को लेकर हिंदू हो या मुसलमान इन के लिए अलग-अलग कानून है, और यूनिफॉर्म सिविल कोड जिस दिन लागू हो जाएगा उसके बाद सभी के लिए एक ही कानून होगा, लेकिन यह इतना ही आसान नहीं होगा।
पहले आपको कुछ और बातें बताते हैं।
भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 में यह साफ-साफ लिखा गया है कि आने वाले समय में भारत सरकार देश में एक ऐसा कानून लागू करें जो सभी धर्मों के लिए एक समान हो, और इस बात से यह भी साबित होता है कि हमारे देश के उन कानून निर्माताओं की भी सोच थी कि देश में आने वाले समय में सभी के लिए एक समान कानून हो 1947 में भारत शायद उस वक्त इस तरह के किसी भी कानून के लिए तैयार नहीं था,और आज एक लंबा समय गुजर जाने के बावजूद स्थिति यह है कि इस कानून को लागू करने में केंद्र सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
वैसे आपको बताते चलें कि हमारा देश फिलहाल इस कानून के लिए तैयार है कि नहीं तो इसको लेकर 2018 में लॉ कमीशन ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड कि फिलहाल भारत को कोई जरूरत नहीं है. दूसरी तरफ दिल्ली हाईकोर्ट ने एक केस के दौरान यह बात कही थी कि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत है और इसे होना चाहिए.
तो इससे साफ यह बात नजर आती है कि भारत में अभी भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अलग-अलग विचार मौजूद है और एक राय इसके लिए फिलहाल नहीं हो पा रही है.
उत्तराखंड में जब हम यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात करते हैं तो हमें नजर आता है कि यदि यहां पर सभी के लिए एक समान कानून होता है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी धर्म की महिलाओं को होगा, जब हम भारतीय संविधान की बात करते हैं तो भारतीय संविधान में हिंदू सकसेशन एक्ट 1956 में लिखा हुआ है, यदि किसी व्यक्ति के दो बच्चे हैं जिसमें एक बेटी और एक बेटा है बाद में जब उस व्यक्ति की जायदाद का बंटवारा होगा तो बेटी और बेटे दोनों को समान हिस्सा दिया जाएगा, और यह एक हिंदू, बुद्ध, जैन और सिख को।वही जब हम मुस्लिम महिला की बात करते हैं तो यहां पर मुस्लिम पर्सनल लॉ सामने आ जाता है इसके तहत यदि किसी पति और पत्नी का डिवोर्स होता है तो पत्नी को पति का 1/8 हिस्सा अपने पति का मिलेगा, दूसरी तरफ यही स्थिति तब भी रहेगी जब एक पिता अपनी बेटी और बेटे में अपनी प्रॉपर्टी का हिस्सा बांटता है तो इसमें भी बेटे को एक बड़ा हिस्सा मिलेगा और बेटी को छोटा सा, साथ ही ऐसा ही क्रिश्चियन,पारसी और जुस्ज महिलाओं के साथ भी।और यूनिफॉर्म सिविल कोड इसी को एक समान कर देगा और इसी का फायदा उन महिलाओं को मिलेगा जिनके साथ कभी ऐसी स्थिति पैदा होती है जब उन्हें अपने पति से और अपने पिता से प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा लेना हो, तो उन्हें उसका आधा हिस्सा मिलेगा जो कि अभी तक संभव नहीं हो पा रहा है.
इसलिए यदि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो इसका फायदा सीधे तौर पर उत्तराखंड की उन महिलाओं को मिलेगा जो प्रदेश की मातृशक्ति है।

Explore the ranked best online casinos of 2025. Compare bonuses, game selections, and trustworthiness of top platforms for secure and rewarding gameplaycasino slot machine.