कुंज बिहारी नेगी: गढ़वाल विश्वविद्यालय के निर्माण के नायक को श्रद्धांजलि

कुंज बिहारी नेगी: गढ़वाल विश्वविद्यालय के निर्माण के नायक को श्रद्धांजलि

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आज पौड़ी गढ़वाल की पावन धरती एक ऐसे सपूत को अलविदा कह रही है, जिसने अपनी जिंदगी के हर पल को इस क्षेत्र की शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति के लिए समर्पित कर दिया। श्री कुंज बिहारी नेगी, जिनका बुधवार शाम को निधन हो गया, न केवल गढ़वाल विश्वविद्यालय के निर्माण के आंदोलन के एक प्रमुख योद्धा थे, बल्कि पौड़ी और समूचे गढ़वाल के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने वाले एक दृढ़निश्चयी नेता भी थे। उनकी अनथक मेहनत, अटूट समर्पण और विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने की भावना ने उन्हें गढ़वाल की जनता के दिलों में एक अमर नायक बना दिया।

गढ़वाल विश्वविद्यालय: एक सपने का साकार होना

गढ़वाल विश्वविद्यालय का निर्माण केवल एक शैक्षिक संस्थान की स्थापना नहीं था; यह गढ़वाल के लोगों की आकांक्षाओं, उनकी सांस्कृतिक पहचान और शैक्षिक प्रगति का प्रतीक था। इस सपने को साकार करने में कुंज बिहारी नेगी की भूमिका निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण थी। स्वामी मनमंथन के साथ मिलकर उन्होंने इस आंदोलन को न केवल नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि इसे जन-जन का आंदोलन बनाया। यह आंदोलन केवल दीवारें और भवन खड़े करने का प्रयास नहीं था, बल्कि गढ़वाल के युवाओं को शिक्षा का प्रकाश देने और उनकी आकांक्षाओं को पंख प्रदान करने का संकल्प था।

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इस आंदोलन के दौरान कुंज बिहारी नेगी को असंख्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कानूनी कार्रवाइयों और सामाजिक दबावों ने उनके मार्ग को और कठिन बना दिया। उन्होंने 14 दिन पौड़ी जेल में, 67 दिन रामपुर जेल में और एक माह पुनः पौड़ी जेल में कठोर कैद की सजा भुगती। आठ वर्षों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाए, लेकिन उनकी आत्मा कभी टूटी नहीं। उनकी यह दृढ़ता और समर्पण गढ़वाल विश्वविद्यालय के निर्माण की नींव में एक मजबूत स्तंभ बनकर उभरी।

एक नेता का उदय और उनकी विरासत

कुंज बिहारी नेगी का प्रभाव केवल विश्वविद्यालय निर्माण तक सीमित नहीं था। 1971 में कैंपस कॉलेज के उद्घाटन के बाद उन्हें पौड़ी छात्र संघ का पहला अध्यक्ष चुना गया, जिसने उनके नेतृत्व कौशल को पहली बार व्यापक मंच प्रदान किया। उनके प्रबंधन और संगठनात्मक कौशल ने छात्र संघ को नई दिशा दी और युवाओं को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, उन्होंने यंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन पौड़ी, ट्रेड एसोसिएशन पौड़ी, गढ़वाल मंडल बहुउद्देशीय सहकारी समिति पौड़ी और नगर परिषद पौड़ी जैसे संगठनों की अध्यक्षता की, जिससे उनका प्रभाव और व्यापक हुआ।

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नेगी जी का व्यक्तित्व इतना प्रेरणादायी था कि उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता श्री हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज भी उनके करीबी थे। हालाँकि, विधायक या सांसद बनने का सौभाग्य उन्हें नहीं मिला, लेकिन उनकी लोकप्रियता और प्रभाव ने कभी कमी नहीं देखी। उनकी भूख हड़तालों, जेल यात्राओं और सामाजिक आंदोलनों में भागीदारी ने उन्हें जनता का सच्चा नेता बनाया। लगभग सौ दिनों की भूख हड़ताल, दो सौ जेल यात्राएँ और दस हजार से अधिक युवाओं को रोजगार दिलाने में उनकी भूमिका उनके सामाजिक दायित्व और समर्पण का जीवंत प्रमाण है।

पौड़ी के प्रति अटूट प्रेम

कुंज बिहारी नेगी का पौड़ी से गहरा जुड़ाव उनकी पहचान का अभिन्न हिस्सा था। उस दौर में, जब छोटे शहरों से बड़े शहरों की ओर पलायन एक आम प्रवृत्ति थी, नेगी ने पौड़ी को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने न केवल इस शहर में रहकर इसके विकास में योगदान दिया, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने के लिए भी अथक प्रयास किए। 1969 में गढ़वाल मंडल को कुमाऊँ से अलग करने के आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी गढ़वाली पहचान को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। उनके प्रयासों का एक और उल्लेखनीय उदाहरण पौड़ी परिसर का नामकरण था, जिसे उन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. बेजवाड़ा गोपाल रेड्डी के नाम पर करने के लिए प्रेरित किया। डॉ. रेड्डी के नेतृत्व में पौड़ी के विकास को देखकर नेगी का विश्वास और दृढ़ हुआ कि यह शहर प्रगति का केंद्र बन सकता है। आज भी गढ़वाल विश्वविद्यालय का पौड़ी परिसर डॉ. रेड्डी के नाम से जाना जाता है, जो नेगी के दूरदर्शी सोच का प्रतीक है।

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एक युग का अंत, लेकिन विरासत अमर

1 दिसम्बर 2023 को 50 वर्ष पूरे होने पर गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती अन्नपूर्णा नौटियाल ने कुंज बिहारी नेगी को सम्मानित कर उनके योगदान को ऐतिहासिक रूप से दर्ज किया। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों का सम्मान था, बल्कि उस सपने का उत्सव था, जिसे उन्होंने साकार किया। आज, जब हम उन्हें अंतिम विदाई दे रहे हैं, हमारा हृदय दुख और गर्व से भरा है। दुख इस बात का कि एक अच्छा सामाजिक कार्यकर्ता हमारे बीच नहीं रहा, और गर्व इस बात का कि उनकी विरासत गढ़वाल विश्वविद्यालय और पौड़ी के प्रत्येक कोने में जीवित रहेगी। कुंज बिहारी नेगी का जीवन एक प्रेरणा है। उन्हें पुनः नमन!

 

शीशपाल गुसाईं: वरिष्ठ पत्रकार